मध्य प्रदेश में आज से मोहन यादव और छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय का राज आ गया और शुक्रवार से राजस्थान में भजन लाल शर्मा की सत्ता भी कायम हो जायेगी। देखा जाये तो पांचों राज्यों के विधानसभा चुनावों परिणामों के बाद जनता को नये मुख्यमंत्री मिल गये हैं। खास बात यह है कि पांचों राज्यों में नेताओं का मुख्यमंत्री के रूप में यह पहला कार्यकाल है। देखना होगा कि क्षेत्रीय क्षत्रप के रूप में यह पांचों नेता कितनी लंबी राजनीतिक पारी खेल पाते हैं। लेकिन इन पांचों के राजनीतिक कॅरियर पर नजर डालें तो यह सभी जमीन से जुड़े हुए नेता, समर्पित पार्टी कार्यकर्ता और अपने मुद्दों के प्रति जुझारू रुख रखते रहे हैं इसलिए उम्मीद है कि यह सभी नये उत्साह के साथ जनहित के कार्यों को करेंगे।
मध्य प्रदेश में मोहन यादव का राज
जहां तक आज दो राज्यों- मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुए शपथ ग्रहण समारोह की बात है तो आपको बता दें कि भाजपा विधायक दल के नेता और उज्जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव ने बुधवार को भोपाल में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 58 वर्षीय मोहन यादव को राज्य की राजधानी भोपाल के लाल परेड मैदान में राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने पद की शपथ दिलाई। राज्यपाल ने जगदीश देवड़ा (मंदसौर के मल्हारगढ़ से विधायक) और राजेंद्र शुक्ला (रीवा से विधायक) को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और शिवराज सिंह चौहान मौजूद रहे। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नितिन गडकरी भी मौजूद रहे। शपथ समारोह में जाने से पहले मोहन यादव ने भोपाल में एक मंदिर में पूजा-अर्चना की। वह जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय और भाजपा के संस्थापक विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रदेश भाजपा कार्यालय भी गए। अपनी प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर, मोहन यादव ने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार (क्षेत्रों) और अन्य सभी क्षेत्रों में विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे।’’
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हम आपको बता दें कि तीन बार के भाजपा विधायक मोहन यादव मध्य प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री हैं। वर्ष 2003 के बाद से, मध्य प्रदेश में भाजपा के सभी तीन मुख्यमंत्री, अर्थात उमा भारती, बाबूलाल गौर और चौहान, अन्य पिछड़ा वर्ग से रहे हैं। साथ ही, मोहन यादव भी ओबीसी वर्ग से आते हैं। मुख्यमंत्री के रूप में मोहन यादव की नियुक्ति से भाजपा के दिग्गज नेता और चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के युग का भी अंत हो गया, जिन्होंने करीब दो दशकों तक राज्य की राजनीति पर दबदबा बनाए रखा। हम आपको बता दें कि मोहन यादव मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में नहीं थे। उन्हें अहम पद की जिम्मेदारी देना आगामी लोकसभा चुनावों से पहले अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय पर पकड़ मजबूत करने के लिए भाजपा के एक कदम के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 48 प्रतिशत से अधिक है। हम आपको यह भी बता दें कि मोहन यादव के पास पीएचडी, एलएलबी और एमबीए की डिग्री है। वह तलवार चलाने में भी कुशल हैं। वह पहली बार साल 2020 में मंत्री बने थे जब कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के पतन के बाद भाजपा सत्ता में वापस आई थी। मोहन यादव का जन्म 25 मार्च, 1965 को उज्जैन में हुआ था। उज्जैन में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर है। उन्होंने 1982 में माधव साइंस कॉलेज उज्जैन के संयुक्त सचिव के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और 1984 में इसके अध्यक्ष के रूप में चुने गए। मोहन यादव ने एलएलबी और एमबीए की डिग्री के अलावा डॉक्टरेट (पीएचडी) की डिग्री भी हासिल की। मोहन यादव युवा अवस्था से ही आरएसएस से जुड़े रहे और 1993 से 1995 तक वह उज्जैन शहर में इसके पदाधिकारी थे। वर्ष 2013 में पहली बार उज्जैन दक्षिण से विधायक चुने गए मोहन यादव ने 2011-13 तक मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एमपीटीडीसी) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह 2018 और फिर 2023 में इस सीट से पुन: चुने गए। शिवराज सिंह चौहान की पूर्व सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे मोहन यादव ने 17 नवंबर को हुए चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार चेतन यादव को 12,941 वोट के अंतर से हराया था। वर्ष 2021 में, मोहन यादव ने स्नातक (बीए) के प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए दर्शन विषय के तहत हिंदू महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ के पाठ को एक वैकल्पिक (वैकल्पिक) पाठ्यक्रम के रूप में शामिल करने की घोषणा की थी। उन्होंने राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपति पद के हिंदी नामकरण का नाम ‘कुलपति’ से ‘कुलगुरु’ करने का प्रस्ताव भी रखा था। मोहन यादव मंदिरों के शहर उज्जैन से भाजपा के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले नेता हैं। उल्लेखनीय है कि उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल नवनिर्मित महाकाल लोक गलियारा समर्पित किया था। मोहन यादव के समर्थकों का कहना है कि भगवान महाकाल (भगवान शिव) के आशीर्वाद के कारण यादव को शीर्ष पद मिला।
मोहन यादव ने 2004-2010 तक उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। यह धार्मिक शहर हर 12 साल में सिंहस्थ (कुंभ) मेले का आयोजन करता है। मोहन यादव मध्य प्रदेश ओलंपिक एसोसिएशन के उपाध्यक्ष और एमपी कुश्ती एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। मोहन यादव की पत्नी सीमा यादव हैं और उनके दो बेटे एवं एक बेटी हैं।
हम आपको यह भी बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर डॉक्टर मोहन यादव को बधाई दी और विश्वास जताया कि उनके नेतृत्व में ‘डबल इंजन’ सरकार दोगुने जोश के साथ काम करेगी तथा विकास के नए प्रतिमान गढ़ेगी। उन्होंने मध्य प्रदेश की जनता को भरोसा दिलाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार उनके जीवन को आसान बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़गी।
छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय ने संभाली कमान
वहीं छत्तीसगढ़ की बात करें तो आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता विष्णुदेव साय ने बुधवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। विष्णु देव साय के साथ ही भाजपा विधायक अरुण साव और विजय शर्मा ने भी राज्य के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह पहला मौका है जब राज्य में मुख्यमंत्री को सहयोग करने के लिए दो उपमुख्यमंत्री बनाये गये हैं। राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने साइंस कॉलेज मैदान में एक शपथ ग्रहण समारोह के दौरान साय और दोनों उपमुख्यमंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए।
आदिवासी नेता विष्णु देव साय (59) प्रदेश के चौथे मुख्यमंत्री हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री साय छत्तीसगढ़ में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में सरगुजा संभाग के कुनकुरी विधानसभा सीट से जीत हासिल की। इस क्षेत्र की सभी 14 सीटों पर अब भाजपा का कब्जा है। साय के साथ शपथ लेने वाले उपमुख्यमंत्री अरुण साव (54) प्रभावशाली साहू (तेली) ओबीसी समुदाय से आते हैं तथा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। अधिवक्ता से नेता बने साव ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी थानेश्वर साहू को लोरमी सीट से 45,891 वोटों से हराया है। अन्य उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा (50) ब्राह्मण समुदाय से हैं। वह राज्य में भाजपा के महामंत्री हैं। हिंदुत्व के मुखर समर्थक विजय शर्मा ने कवर्धा निर्वाचन क्षेत्र में प्रभावशाली कांग्रेस नेता और निवर्तमान मंत्री मोहम्मद अकबर को 39,592 वोटों से हराया है।
विष्णु देव साय ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले रायपुर स्थित अपने निवास तथा जगन्नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की और भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी के दर्शन किये। इसके अलावा, उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह तथा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। अधिकारियों ने बताया कि साय ने पुरैना इलाके में अपने आवास पर अपनी मां जसमनी देवी का आशीर्वाद भी लिया।
हम आपको बता दें कि साय ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक गांव के सरपंच के रूप में की थी और महत्वपूर्ण संगठनात्मक पदों पर रहने के अलावा लोकसभा सदस्य और केंद्रीय मंत्री बने। देखा जाये तो सरगुजा क्षेत्र के जशपुर जिले से नवनिर्वाचित आदिवासी विधायक साय भाजपा की कार्ययोजना में बिल्कुल फिट बैठते हैं। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की आबादी राज्य की कुल आबादी का लगभग 32 प्रतिशत है। यह ओबीसी के बाद दूसरा सबसे प्रभावशाली सामाजिक समूह है। साय आदिवासी बहुल जशपुर जिले के एक छोटे से गांव बगिया में रहने वाले एक किसान परिवार से हैं। उन्होंने कुनकुरी के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की और स्नातक के लिए अंबिकापुर चले गए लेकिन पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और 1988 में अपने गांव लौट आए। 1989 में उन्हें बगिया ग्राम पंचायत के ‘पंच’ के रूप में चुना गया और अगले वर्ष निर्विरोध सरपंच बने। ऐसा माना जाता है कि भाजपा के दिग्गज नेता दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव ने 1990 में विष्णु देव साय को चुनावी राजनीति में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया था। उसी वर्ष, साय अविभाजित मध्य प्रदेश में तपकरा (जशपुर जिले में) से भाजपा के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गए थे। 1993 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने यह सीट बरकरार रखी। साय ने 1998 में निकटवर्ती पत्थलगांव सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन असफल रहे। बाद में, वह लगातार चार बार- 1999, 2004, 2009 और 2014 में रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। साल 2000 में राज्य निर्माण के बाद भाजपा ने साय को 2003 और 2008 के विधानसभा चुनावों में छत्तीसगढ़ के पत्थलगांव से मैदान में उतारा था लेकिन वह दोनों बार हार गए।
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद साय को इस्पात और खनन राज्य मंत्री बनाया गया था। आदिवासी राजनेता ने 2006 से 2010 तक और फिर जनवरी से अगस्त 2014 तक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। राज्य में 2018 के चुनाव में भाजपा की हार के बाद उन्हें 2020 में फिर से छत्तीसगढ़ में पार्टी का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई। विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले 2022 में उनकी जगह ओबीसी नेता अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इस साल नवंबर में चुनावों से पहले, साय को जुलाई में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य नामित किया गया था। चुनाव में उन्हें कुनकुरी (जशपुर जिला) से मैदान में उतारा गया, जहां उन्होंने कांग्रेस के मौजूदा विधायक यूडी मिंज को 25,541 वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल की। पिछले महीने कुनकुरी निर्वाचन क्षेत्र में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए, अमित शाह ने मतदाताओं से साय को चुनने का आग्रह किया था और वादा किया था कि अगर पार्टी राज्य में सत्ता में वापस आती है तो साय को “बड़ा आदमी” बना दिया जाएगा।
बहरहाल, जहां तक राजस्थान की बात है तो आपको बता दें कि मनोनीत मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और मनोनीत उपमुख्यमंत्रियों- दीया कुमारी तथा प्रेम चंद बैरवा- का शपथ ग्रहण समारोह 15 दिसंबर को आयोजित किया जायेगा। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता ने बताया कि शपथ ग्रहण समारोह 15 दिसंबर को सुबह 11.15 बजे अल्बर्ट हॉल के बाहर आयोजित किया जायेगा।