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मप्र विधानसभा चुनाव: मप्र कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से नामांकन पत्र दाखिल किया

कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को छिंदवाड़ा सीट से पार्टी प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।
कांग्रेस के 76 वर्षीय नेता ने यहां राम मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद अपराह्न दो बजकर 30 मिनट पर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।
स्थानीय पुजारी पंडित मनोहर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया को पुजारियों ने कमलनाथ को हिंदू पंचांग के अनुसार अमृत मुहूर्त (शुभ समय) के दौरान अपना नामांकन पत्र दाखिल करने की सलाह दी थी। तदनुसार, उन्होंने अपराह्न दो बजकर 30 मिनट पर अपने कागजात जमा किए।
उन्होंने कहा, इससे पहले, कमलनाथ जी पूर्वाह्न 11 बजे के आसपास अपना नामांकन पत्र दाखिल करते थे।
विधानसभा चुनावों से पहले, कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की प्रदेश इकाई को महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने के लिए शुभ दिनों और समय पर बहुत अधिक भरोसा करते देखा जा रहा है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया सेल के प्रमुख के.के. मिश्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा,‘‘हमने मध्य प्रदेश के चुनावों के लिए 144 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची नवरात्रि के पहले दिन सुबह नौ बजकर नौ मिनट पर घोषित की, जो शुभ है। अगर हम 1, 4, 4 जोड़ते हैं तो यह 9 आता है, जो एक भाग्यशाली संख्या है।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कमलनाथ के खिलाफ बंटी साहू को मैदान में उतारा है। कांग्रेस नेता ने 2019 में छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में साहू को 25,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया था। कमलनाथ ने नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि मध्य प्रदेश और छिंदवाड़ा की जनता कांग्रेस को अपना आशीर्वाद देगी।
चुनावों से पहले, कमलनाथ ने पहले ही दो प्रमुख हिंदू प्रचारकों पंडित धीरेंद्र शास्त्री और पंडित प्रदीप मिश्रा के उपदेशों का आयोजन किया था।

हिंदू राष्ट्र की वकालत करने वाले शास्त्री ने छिंदवाड़ा में 102 फीट से अधिक ऊंचे हनुमान मंदिर के निर्माण के लिए कमलनाथ की प्रशंसा की थी।
कमलनाथ ने छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र का आठ बार प्रतिनिधित्व किया है।
कमलनाथ के 2018 में मुख्यमंत्री बनने के बाद छिंदवाड़ा से तत्कालीन कांग्रेस विधायक दीपक सक्सेना के इस्तीफा दे दिया था ताकि कमलनाथ उप चुनाव के जरिये विधानसभा पहुंच सके।
कमलनाथ के नेतृत्व में दिसंबर 2018 में सरकार बनी थी जो केवल केवल 15 महीने तक चली क्योंकि मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति निष्ठा रखने वाले कई विधायकों ने कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। इस घटनाक्रम ने राज्य में भाजपा की सत्ता में वापसी का मार्ग प्रशस्त किया और शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मुख्यमंत्री बने।
मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव 17 नवंबर को होंगे और वोटों की गिनती तीन दिसंबर को होगी।

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