विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने मोटे अनाजों के मूल्यवान पोषण एवं स्वास्थ्य लाभों को मान्यता देने के लिए ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ को एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा और स्थिरता के लिए इन अनाजों का बहुत महत्व है।
वर्ष 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ के रूप में नामित किया गया है, इसके लिए भारत द्वारा एक प्रस्ताव लाया गया था और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के शासी निकाय के सदस्यों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में भी इसका अनुमोदन किया गया था।
‘मैजिक मिलेट’ द्वारा आयोजित ‘आइकोनिक वीक ऑन मिलेट्स मैजिक’ के डिजिटल कार्यक्रम में मुरलीधरन ने शुक्रवार को कहा, ‘‘शिक्षा, अनुसंधान और प्रचार के माध्यम से, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि मोटे अनाजों को वह मान्यता मिले जिसके वे हकदार हैं और ये दुनियाभर में खाद्य सुरक्षा और स्थिरता में सुधार करने में मदद करते हैं।’’
मुरलीधरन ने कहा कि मोटा अनाज अन्य अनाजों की तुलना में अधिक सार्थक होता है और जलवायु परिवर्तन तथा मौसम की अनिश्चितता के मद्देनजर अधिक विश्वसनीय फसल होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह उपज और आय में वृद्धि करने की दृष्टि से किसानों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प है। मोटा अनाज एक सस्ता और सुलभ खाद्य स्रोत है।’’
उन्होंने कहा कि मोटे अनाजों के मूल्यवान पोषण एवं स्वास्थ्य लाभों को मान्यता देने के लिए ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज (मिलेट) वर्ष’ को एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा और स्थिरता के लिए इन अनाजों का बहुत महत्व है।
मुरलीधरन ने कहा, ‘‘हमें अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज (मिलेट) वर्ष को एक जन आंदोलन बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए और ऐसा करने में सामुदायिक संगठनों और गैर सरकारी संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक साथ, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि भारत और दुनियाभर में मोटा अनाज हमारी खाद्य संस्कृति के प्रमुख के रूप में फिर से उभरे।