जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के दूरदराज के बधाल गांव को एक नियंत्रण क्षेत्र घोषित किया गया और तीन परिवारों के 17 लोगों की मौत के मद्देनजर सभी सार्वजनिक और निजी समारोहों पर निषेधाज्ञा लागू कर दी गई। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत रोकथाम आदेश लगाए गए हैं। बीएनएसएस की धारा 163 मजिस्ट्रेटों को अत्यावश्यक परिस्थितियों में लिखित आदेश जारी करने की शक्ति देती है। इन आदेशों का उपयोग उपद्रव या खतरों को रोकने या उनका समाधान करने के लिए किया जा सकता है। गांव के एक अन्य व्यक्ति को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को उस रहस्यमय बीमारी का कारण किसी संक्रामक रोगज़नक़ से इनकार किया, जिसने पिछले महीने में जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में 17 लोगों की जान ले ली है। अधिकारियों ने कहा कि प्रारंभिक जांच संभावित अपराधी के रूप में अज्ञात विषाक्त पदार्थों की ओर इशारा करती है। उन्होंने कहा कि लखनऊ में सीएसआईआर लैब द्वारा की गई प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह कोई वायरल या बैक्टीरियल प्रकृति का संक्रमण नहीं है। विषाक्त पदार्थ पाए गए हैं। अब यह किस तरह का जहर है इसकी जांच की जा रही है।
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मंत्री ने आश्वासन दिया कि मामले की सभी पहलुओं से जांच की जा रही है और अगर कोई साजिश पाई गई तो उचित कार्रवाई की जाएगी। 7 दिसंबर से 19 जनवरी के बीच राजौरी के सुदूर बधाल गांव में तीन परिवारों के बीच मौतें हुईं, जिससे अधिकारियों को बुधवार को क्षेत्र को एक नियंत्रण क्षेत्र घोषित करना पड़ा। दहशत को रोकने के लिए सार्वजनिक और निजी समारोहों पर भी निषेधाज्ञा लागू की गई है। अधिकारियों ने कहा कि चार और ग्रामीण, मृतक परिवारों के करीबी रिश्तेदार, गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं।