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Sandeshkhali के हालात देखकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी की West Bengal में राष्ट्रपति शासन की माँग

पश्चिम बंगाल के हालात को देखकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के बाद अब राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी कहा है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाये बिना उन हिंदू महिलाओं को न्याय नहीं मिल पायेगा जिनका संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस नेता शाहजहां शेख और उसके समर्थकों ने लगातार यौन उत्पीड़न किया। देखा जाये तो राष्ट्रपति शासन की सिफारिश एकदम सही प्रतीत होती है क्योंकि संदेशखाली की महिलाओं के साथ अन्याय हुआ मगर उन्हें न्याय नहीं दिलाया जा रहा है। न्याय दिलाने की बात तो छोड़िये उन पीड़ित महिलाओं को अपनी व्यथा तक बताने से रोका जा रहा है।
राष्ट्रीय महिला आयोग का बयान
आज जब राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा वहां पहुँची तो उन्होंने जो हालात देखे वह भी इस बात की पुष्टि कर गये कि संदेशखाली में जो कुछ हुआ वह मानवता पर कलंक और पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल है। रेखा शर्मा ने कहा कि पीड़ितों की शिकायत पर पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती, उल्टे पीड़ित के रिश्तेदारों को ही गिरफ्तार करती है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति सिर्फ संदेशखाली की नहीं बल्कि पूरे राज्य की है। उन्होंने कहा कि मैं यह रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपूंगी और वे आगे की कार्रवाई करेंगी। रेखा शर्मा ने कहा, “संदेशखाली की महिलाओं को बहुत बुरी तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है। महिलाओं का कहना है कि हमें समाज और पुलिस का डर है। बहुत बुरी हालत है। मेरे सामने महिलाएं रो रही हैं। मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रपति शासन के बिना कुछ हो पाएगा। पुलिस से भी डर है। आज मैं अपने संरक्षण में महिलाओं को लेकर आई हूं।”

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कुछ गंभीर सवाल
दूसरी ओर, शेख शाहजहां की गिरफ्तारी के लिए पश्चिम बंगाल भाजपा 22 फरवरी से 72 घंटे का धरना प्रदर्शन आयोजित करने जा रही है। लेकिन सवाल उठता है कि भाजपा नेताओं को संदेशखाली जाने से रोकने और उन्हें पीड़ितों से मिलने नहीं देने वालों पर क्या इस धरना प्रदर्शन का कोई असर होगा? सवाल उठता है कि क्या ममता बनर्जी हिंदू महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए अल्पसंख्यक वोटरों को नाराज करेंगी? यहां सवाल हमारी न्यायपालिका से भी है कि क्या वह खुद आगे बढ़कर संदेशखाली की महिलाओं के मुद्दे पर राज्य सरकार से कोई जवाब मांगेगी? फिलहाल तो कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इंकार कर दिया है जिसमें सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस समर्थकों द्वारा संदेशखाली क्षेत्र की महिलाओं के खिलाफ यौन अत्याचार के आरोपों को लेकर उनकी सुरक्षा का अनुरोध किया गया था। खंडपीठ ने कहा कि चूंकि एकल पीठ पहले से ही संदेशखाली मामले की सुनवाई करने वाली है, इसलिए वह समानांतर कार्यवाही नहीं कर सकती। उच्चतम न्यायालय ने भी इस मामले में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है और कहा है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय इस मामले को देख रहा है।
ममता बनर्जी का आरोप
देखा जाये तो यह सब स्थिति देख सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस नेताओं का हौसला बढ़ रहा है। ममता बनर्जी ने आरोप लगा दिया है कि संदेशखाली में ‘‘एक घटना कराई गई थी”। उन्होंने इसके लिए भाजपा पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और मीडिया के साथ मिलकर साजिश रचने का आरोप लगाया है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि संदेशखाली में एक भी महिला ने कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई है और उन्होंने ही पुलिस को इस संबंध में स्वत: संज्ञान मामला शुरू करने का निर्देश दिया था।
भाजपा का प्रत्यारोप
दूसरी ओर, भाजपा ने संदेशखाली में कुछ शिकायतकर्ता महिलाओं के बयान पर सवाल उठाने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए कहा है कि उन्होंने (ममता) ‘‘बेहद घटिया’’ टिप्पणी की है और अब उन्हें सत्ता से बाहर करने का समय आ गया है। भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी ने कहा कि संदेशखालि में महिलाओं के साथ जो हुआ वह इराक और पाकिस्तान जैसे देशों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार को दर्शाता है। लॉकेट चटर्जी ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता शाहजहां शेख को मुख्यमंत्री बनर्जी द्वारा बचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उसे फांसी दी जानी चाहिए। वह मौत की सजा से कम का हकदार नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि इलाके में हिंदू महिलाओं को निशाना बनाया गया। मुस्लिम मतदाताओं के स्पष्ट संदर्भ में चटर्जी ने कहा कि आरोपियों को प्रशासन ने पनाह दी क्योंकि टीएमसी को ‘‘30 प्रतिशत वोटों’’ की परवाह है।

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