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Prajatantra: 2024 से पहले पक रही नई खिचड़ी? स्टालिन-अखिलेश की जुगलबंदी के मायने समझिए

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री की 15वीं पुण्य तिथि पर चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज परिसर में वीपी सिंह की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया, जिसमें समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव को सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। इस कार्यक्रम में वीपी सिंह की पत्नी सीता कुमारी और बेटे अभय सिंह और अजेय प्रताप सिंह भी मौजूद थे। डीएमके द्वारा वीपी सिंह का जश्न मनाना, जिनकी सरकार ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की मंडल आयोग की सिफारिश को लागू किया था, को राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी खेमे के बीच पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जाता है।
 

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प्रतिमा का अनावरण करने के बाद, स्टालिन ने कहा कि वीपी सिंह के जीवन का जश्न मनाना द्रमुक सरकार की जिम्मेदारी थी क्योंकि नेता “सामाजिक न्याय के संरक्षक” थे जिन्होंने मंडल आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया। उन्होंने जल बंटवारे पर अंतर-राज्य विवादों का निपटारा करने के लिए कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण की स्थापना के लिए भी दिवंगत नेता की सराहना की। अखिलेश ने इस पहल के लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया और कहा कि यह 2024 से पहले पूरे देश में एक स्पष्ट संदेश देगा। उन्होंने सरकारी संस्थानों के निजीकरण के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने और जाति जनगणना के लिए भी आह्वान किया। इस बीच, स्टालिन ने सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के बीच एकता का आग्रह किया और ओबीसी और एससी/एसटी के लिए कोटा नीति के उचित कार्यान्वयन की आवश्यकता पर बल दिया। स्टालिन ने कहा कि यदि उत्तर प्रदेश वीपी सिंह का “मातृ राज्य” था, तो स्टालिन ने कहा, “तमिलनाडु उनका पिता राज्य था”। 

इस कार्यक्रम में स्टालिन ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के सबसे बड़े नेता अखिलेश यादव को बुलाया। लेकिन कांग्रेस से दूरी रखी। हालांकि, कांग्रेस के साथ गठबंधन में रहकर वह तमिलनाडु में सरकार चला रहे हैं। इससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि तमिलनाडु में कांग्रेस और डीएमके के बीच भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जिस तरह समाजवादी पार्टी और कांग्रेस आमने-सामने है ठीक वैसा ही कांग्रेस और डीएमके के बीच भी है। ऐसे में डीएमके ने कहीं ना कहीं कांग्रेस को एक कड़ा संदेश देने की कोशिश की है। इंडिया एलाइंस जोर-जोर से बना था, तीन बड़ी बैठक की भी हुईं लेकिन उसके बाद यह ठंडे बस्ते में जाता हुआ दिखाई दे रहा है। इसके भीतर का विरोध तब खुलकर सामने आया जब मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो सका और दोनों दल आमने-सामने हो गए।

माना जा रहा है कि जल्द ही अखिलेश यादव ममता बनर्जी से भी मिलने वाले हैं। साथ ही साथ वह 3 दिसंबर के बाद बीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव से भी मुलाकात कर सकते हैं। इन दोनों ही नेताओं से अखिलेश यादव के बेहद ही मजबूत संबंध हैं बीआरएस लगातार एंटी बीजेपी और एंटी कांग्रेस गठबंधन की बात करती रहती है। वहीं ममता भी कांग्रेस के साथ गठबंधन में बहुत सहज दिखाई नहीं दे रही हैं। नीतीश कुमार भी कांग्रेस के रवैया से खुश नहीं हैं और उन्होंने पिछले दिनों सार्वजनिक कार्यक्रम में अपनी नाराजगी व्यक्त कर दी थी। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषण को कामना है की वीपी सिंह की आदमकद प्रतिमा का अनावरण तो महज एक बहाना था, असली निशाना कांग्रेस पर लगाना था। वीपी सिंह क्षेत्रिल दलों के दम पर बनी थी और कांग्रेस इससे दूर रही थी।
 

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कांग्रेस क्षेत्रीय दलों को उतना महत्व देना नहीं चाहती। वहीं, क्षेत्रीय दल जिन राज्यों में उनकी पकड़ मजबूत है वहां कांग्रेस के हिसाब से चलना नहीं चाहते। यही कारण है कि इंडिया गठबंधन में लगातार खटपट की स्थिति दिखाई दे रही है।

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