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‘न्यूजक्लिक’ के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ व एचआर प्रमुख को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया

गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत दायर एक मामले में गिरफ्तार समाचार पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को सात दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
‘न्यूजक्लिक’ ने बुधवार को एक बयान जारी कर दावा किया कि उसे प्राथमिकी की प्रति नहीं दी गई और उससे जुड़े लोगों पर जिन अपराधों का आरोप लगाया गया है, उसके बारे में भी जानकारी नहीं दी गई है।
नागरिक संगठनों के सदस्यों ने ‘न्यूज क्लिक’ के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार की आलोचना की जबकि कई पत्रकार संगठनों ने भारतीय प्रेस क्लब (पीसीआई) के नजदीक प्रदर्शन किया।

प्रमुख पत्रकार संगठनों जैसे भारतीय महिला प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी), पीसीआई और डिजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन ने मामले में प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ से हस्तक्षेप करने की मांग की।
भाजपा ने ‘न्यूजक्लिक’ पोर्टल के खिलाफ दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को उचित ठहराते हुए कहा कि भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा क्योंकि लोगों ने ऐसे तत्वों से सख्ती से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को जनादेश दिया है।
दिल्ली पुलिस ने लगभग 50 स्थानों की तलाशी लेने और यूएपीए के तहत दर्ज मामले के संबंध में कई पत्रकारों से पूछताछ करने के बाद मंगलवार को पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया।

आरोप है कि पोर्टल को चीन के समर्थन में प्रचार फैलाने के लिए पैसे मिले थे।
पुलिस ने मंगलवार को दिल्ली में ‘न्यूजक्लिक’ के कार्यालय को सील कर दिया। अधिकारियों ने पहले कहा था कि 46 ‘‘संदिग्धों’’ से पूछताछ की गई और लैपटॉप एवं मोबाइल फोन सहित डिजिटल उपकरणों तथा दस्तावेजों को जांच के लिए जब्त किया गया।
‘न्यूजक्लिक’ ने एक बयान में कहा, ‘‘कल, दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा ‘न्यूजक्लिक’ के कार्यालयों, पत्रकारों और कर्मचारियों के आवासों सहित विभिन्न स्थानों पर कल छापेमारी की गई। हमें प्राथमिकी की प्रति प्रदान नहीं की गई है या उन अपराधों के सटीक विवरण के बारे में सूचित नहीं किया गया है, जिनका आरोप लगाया गया है।’’

समाचार पोर्टल ने दावा किया कि पुलिस ने उसके परिसरों और कर्मचारियों के घरों से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बिना किसी उचित प्रक्रिया जैसे कि जब्ती मेमो, जब्त किए गए डेटा की मात्रा की जानकारी दिए बिना जब्त कर लिया।
बयान में दावा किया गया, ‘‘हमें अपनी रिपोर्टिंग जारी रखने से रोकने के प्रयास में ‘न्यूजक्लिक’ के कार्यालय को भी सील कर दिया गया है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘हम सरकार की उन कार्रवाइयों की कड़ी निंदा करते हैं जो पत्रकारिता की स्वतंत्रता का सम्मान करने से इनकार करती हैं और आलोचना को देशद्रोह या राष्ट्र-विरोधी दुष्प्रचार मानती है।’’
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बुधवार को ‘न्यूज़क्लिक’ के खिलाफ दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को ‘आपत्तिजनक’ और असहमत आवाज़ों को दबाने का ‘फासीवादी तरीका’ करार दिया।

भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने न्यूज पोर्टल के समर्थन में आने के लिए कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दलों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि पुलिस ने ‘ठोस सबूतों’ के आधार पर ‘न्यूजक्लिक’ के खिलाफ कार्रवाई की है।
उन्होंने कहा कि देश के लोग उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति के खिलाफ ‘कड़ी से कड़ी कार्रवाई’ करेगी।
भाटिया ने कहा, ‘‘न्यूजक्लिक पत्रकारिता का मुखौटा पहनकर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल था।

और उस चीन से वित्तीय सहायता लेना, जो भारत के खिलाफ रहा है। उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।’’
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को एक अदालत के समक्ष पेश किया गया जिसने उन्हें मंगलवार देर शाम सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
इस बीच, दिल्ली की अदालत ने दिल्ली पुलिस को पुरकायस्थ एवं चक्रवती की याचिका पर नोटिस जारी किया।
अदालत पुलिस द्वारा दायर हिरासत आवेदन की एक प्रति आरोपी के वकील अर्शदीप सिंह खुराना को सौंपने पर सहमत हुई। खुराना ने अदालत से प्राथमिकी की प्रति मांगी ताकि वह आरोपी को उपलब्ध कानूनी उपायों के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर सकें।
अदालत ने वकील को पुलिस हिरासत की अवधि के दौरान प्रतिदिन एक घंटे के लिए आरोपी से मिलने की भी अनुमति दी।

वाम दल से जुड़े ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया जिसमें पत्रकारों, छात्रों और कुछ नागरिकों ने हिस्सा लिया। छात्र संगठन ने छापेमारी की कार्रवाई को ‘प्रेस की आजादी पर हमला’करार दिया और तत्काल गिरफ्तार लोगों को रिहा करने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन के दौरान तख्तियां ली हुई थीं जिन पर लिखा था, ‘‘न तो हम झुकेंगे न रेंगेंगे’, ‘ प्रबीर पुरकायस्थ को रिहा करो’ और ‘प्रेस की आजादी पर हमला बंद करो।’’
इतिहासकार सोहेल हाश्मी के परिवार के सदस्यों ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया जिनके घर पर पुलिस ने मंगलवार को छापेमारी की। उनकी बहन शबनम हाशमी ने कहा, ‘‘इस तरह की कोशिश हमारे रुख से नहीं डिगा सकती जो हमारा अधिकार है।’’
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए आइसा की दिल्ली राज्य सचिव नेहा ने आरोप लगाया कि सरकार की कार्रवाई भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार उन पत्रकारों को निशाना बना रही है जिन्होंने किसानों के मुद्दों के समर्थन में अपनी आवाज उठाई थी। हम देश में प्रेस की आजादी के खिलाफ हमले की निंदा करते हैं।’’
इससे जुड़े घटनाक्रम में पत्रकारों के संगठन ने मामले में प्रधान न्यायाधीश से हस्तक्षेप की मांग की।
प्रधान न्यायाधीश को संबोधित पत्र पर डिजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन, भारतीय महिला प्रेस कोर और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया समेत अन्य संगठनों ने हस्ताक्षर किए हैं।
पत्रकार संगठनों ने कहा कि देश में बड़ी संख्या में पत्रकार प्रतिशोध के खतरे के तहत काम कर रहे हैं।
इसमें कहा गया है, ‘‘यह जरूरी है कि न्यायपालिका सत्ता का सामना इस बुनियादी सच्चाई से करे कि एक संविधान है जिसके प्रति हम सभी जवाबदेह हैं।’’

उन्होंने पत्रकारों के फोन और लैपटॉप की जब्ती को हतोत्साहित करने के लिए मानदंड बनाने की मांग की।
पत्र में कहा गया है कि पत्रकारों से पूछताछ और उनसे बरामदगी के संबंध में दिशानिर्देश बनाये जाये।
प्रेस निकायों ने पत्रकारों, संपादकों, लेखकों और पेशेवरों सहित समाचार पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ के 46 कर्मचारियों के घरों में तीन अक्टूबर को की गई छापेमारी की घटना का जिक्र किया।
बड़ी संख्या में पत्रकारों नेप्रेस क्लब ऑफ इंडिया के सामने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। ठाकुरता ने पूछताछ और पुलिस के व्यवहार के बारे में अपना अनुभव साझा किया।
उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ के कर्मियों ने मुझसे कई सवाल पूछे। उनका व्यवहार हालांकि बहुत सभ्य था।’’

नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा से मुलाकात की और एक पत्र सौंपा।
पत्र में लिखा था, ‘‘मीडिया का एक धड़ा और कुछ राजनीतिक पार्टियां चीन के वित्तपोषण से जुड़े मामले को मीडिया पर हमला बता भय का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।’’ पत्र में कहा गया कि एनयूजे(आई) मानता है कि विदेशी धन से चल रहे कुछ समाचार पोर्टल ‘फर्जी खबरों की फैक्टरी’बन गए हैं। पुलिस ने जिन पत्रकारों से पूछताछ की है उनमें उर्मिलेश, अनिंद्यो चक्रवर्ती, अभिसार शर्मा, प्रनजॉय गुहा ठाकुरता शामिल है। इनके अलावा इतिहासकार सोहैल हाशमी, व्यंग्यकार संजय रजौरा और तकनीक एवं विकास केंद्र के डी.रघुनंदन से भी पूछताछ की गई। इनसे छह घंटे तक पूछताछ करने के बाद घर जाने दिया गया।

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