राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की गैरकानूनी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से संबंधित बिहार के एक मामले में दो व्यक्तियों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा कि दोनों की पहचान मोहम्मद याकूब खान उर्फ ‘‘सुल्तान’’ उर्फ ‘‘उस्मान’’ और शाहिद रजा के रूप में की गई है। दोनों बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के रहने वाले हैं।
उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), शस्त्र अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।
मामले में अब तक कुल 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
शुरू में बिहार पुलिस ने 26 लोगों के खिलाफ दर्ज किया था और बाद में जुलाई 2022 में एनआईए द्वारा फिर से मामला दर्ज किया गया था।
एनआईए ने पूर्व में इस मामले में 14 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। एनआईए की जांच में पीएफआई कार्यकर्ताओं द्वारा विभिन्न धर्मों और समूहों के सदस्यों के बीच धार्मिक शत्रुता फैलाकर भय और आतंक का माहौल बनाने की साजिश का पर्दाफाश हुआ।
अधिकारी ने कहा कि अब तक की जांच से पता चला है कि खान पीएफआई कार्यकर्ताओं के एक समूह का हिस्सा था, जिन्हें हिंसा के लिए भर्ती और प्रशिक्षित किया गया था। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘उसने गुप्त रूप से मार्शल आर्ट के साथ-साथ आग्नेयास्त्रों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण लिया था।
अधिकारी ने कहा कि एक विशेषज्ञ हथियार प्रशिक्षक, खान ने प्रतिबंधित संगठन के आक्रामक और भारत विरोधी हिंसक एजेंडे एवं गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए कई प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए थे।
प्रवक्ता ने कहा कि जनवरी 2023 के दौरान, जब ‘राम शिला’ को पूर्वी चंपारण के मेहसी क्षेत्र होकर नेपाल से अयोध्या ले जाया जा रहा था, खान ने इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया था और राम मंदिर के बजाय बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण की अपील की थी।