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नितिन देसाई ने 2018 के अंत से ऋण वापसी में देरी शुरू की: एडलवाइस अधिकारियों ने अदालत से कहा

प्रसिद्ध कला निर्देशक नितिन देसाई को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी एडलवाइस के वरिष्ठ अधिकारियों ने शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय में कहा कि देसाई ने 2018 के अंत से ऋण वापसी कार्यक्रम में देरी करना शुरू कर दिया था।
एडलवाइस फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन राशेष शाह, एडलवाइस एआरसी के एमडी एवं सीईओ राजकुमार बंसल और कंपनी के दो अन्य अधिकारियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा कि नितिन देसाई को कुल 181 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि आरोपियों का इरादा नितिन देसाई को कथित आत्महत्या के लिए उकसाने का नहीं था। न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे और न्यायमूर्ति आरएन लड्ढा की पीठ अधिकारियों और राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा अंतरिम समाधान पेशेवर के रूप में नियुक्त किए गए जितेंद्र कोठारी द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्राथमिकी को रद्द करने का आग्रह किया गया है।

याचिकाकर्ताओं ने किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा के अंतरिम आदेश का आग्रह किया है और उनकी याचिकाओं पर सुनवाई होने तक मामले की जांच पर रोक लगाने का आग्रह किया गया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता देसाई की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि वह सोमवार (21 अगस्त) को मामले की सुनवाई जारी रखेगी।
इसके बाद अमित देसाई ने अदालत से याचिकाकर्ताओं को किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा देने का आग्रह किया।
हालांकि, पीठ ने इनकार कर दिया और कहा, “दो दिन में क्या होगा? हमने मामले की सुनवाई सोमवार को तय की है।”
अमित देसाई ने अदालत को बताया कि 2016 में नितिन देसाई ने सामान्य कॉरपोरेट उद्देश्यों के लिए एडलवाइस की कंपनी ईसीएलएफ से 150 करोड़ रुपये का ऋण लिया था।
उन्होंने कहा, “पैसे का एक हिस्सा पहले के ऋणों का भुगतान करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। मृतक (देसाई) और उनकी कंपनी पहले भी कर्ज लेते थे।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि 2018 में, 38 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण मांगा गया था, जिसमें से 31 करोड़ रुपये स्वीकृत और वितरित किए गए थे।

अमित देसाई ने दावा किया कि 2018 के अंत से, कला निर्देशक ने ऋण वापसी में देरी शुरू कर दी।
पीठ ने तब जानना चाहा कि क्या 2016 का ऋण 2018 में अतिरिक्त ऋण राशि वितरित होने से पहले चुकाया गया था।
न्यायमूर्ति साम्ब्रे ने पूछा, 2016 और 2018 के बीच क्या ऋण वापसी समय पर की गई थी?
अमित देसाई ने कहा, ‘‘2018 के अंत से, ऋण वापसी प्रक्रिया में देरी हुई। मैं इसे डिफॉल्ट नहीं कहूंगा। देरी हुई।”
आत्महत्या के लिए उकसाने के मामलों को रद्द करने के उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए पहले के फैसलों का हवाला देते हुए अमित देसाई ने कहा कि उकसावे में लगातार उकसाना और आपराधिक मनःस्थिति शामिल है जो वर्तमान मामले में अनुपस्थित हैं।
उन्होंने कहा, अगर हमें देश की वित्तीय राजधानी के महत्व की रक्षा करनी है तो आपराधिक कार्रवाई का इस्तेमाल भी ऐसा होना चाहिए कि हम वित्तीय राजधानी होने का दर्जा ना खो दें।

‘लगान’ और ‘जोधा अकबर’ जैसी बॉलीवुड फिल्मों के लिए काम कर चुके नितिन देसाई (57) का शव दो अगस्त को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के कर्जत स्थित उनके स्टूडियो में लटका मिला था।
चार अगस्त को उनकी पत्नी ने उनकी मौत की प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए खालापुर थाने से संपर्क किया।
इसके बाद शाह, बंसल, कोठारी और दो अन्य के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया। कोठारी और दो अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
नितिन देसाई की कंपनी एनडीज आर्ट वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड ने ऋण दाताओं को 252 करोड़ रुपये का ऋण चुकाने में चूक की थी और एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने इसके खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू की थी।
एडलवाइस एआरसी ने उस समय जारी एक बयान में इस बात से इनकार किया था कि ऋण वसूली के लिए कला निर्देशक पर कोई अनुचित दबाव डाला गया था।

देसाई की मौत की जांच कर रही रायगढ़ पुलिस को कला निर्देशक के कार्यालय में एक वॉयस रिकॉर्डर में 11 ऑडियो क्लिप मिली हैं। पुलिस ने कहा कि इनमें से एक क्लिप उन्हें यह कहते हुए सुना गया कि उनकी कंपनी वित्तीय सेवा फर्म द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया के कारण वित्तीय संकट से बाहर नहीं आ सकी है।
नितिन देसाई की मौत पर महाराष्ट्र विधानसभा में भी चर्चा हुई, जहां उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जांच में ऋण दाताओं की भूमिका और क्या वह मानसिक तनाव में थे और क्या उन पर दबाव डाला जा रहा था की जांच की जाएगी।

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