राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने अपने नए अधिसूचित नियमों में पहली बार दवाओं की उपचारात्मक श्रेणियों की एक सूची प्रदान की है जिन्हें डॉक्टर के पर्चे बिना बेचा जा सकता है।
हालांकि, सूची विशिष्ट दवाओं के नाम प्रदान नहीं करती है।
एनएमसी ने दो अगस्त को जारी अपने पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर्स के व्यावसायिक आचरण से संबंधित विनियम में कहा कि ‘ओवर-द-काउंटर’ (ओटीसी) दवाओं को कानूनी रूप से डॉक्टर के पर्चे के बिना बेचने की अनुमति है।
एनएमसी विनियमन में उल्लिखित ओटीसी चिकित्सीय श्रेणियों की सूची में बवासीर रोधी दवाएं, सामयिक एंटीबायोटिक्स, खांसी रोधी दवाएं, मुंहासे रोधी दवाएं और गैर-स्टेरायड सूजन रोधी दवाएं शामिल हैं।
इसमें एंटीसेप्टिक्स, एनल्जेसिक, डिकॉन्गेस्टेंट, एस्पिरिन, वैसोडिलेटर, एंटासिड, एक्सपेक्टोरेंट, एंटी-फंगल दवाएं, एंटीहिस्टामाइन, पेट की गैस दूर करने वाली दवाएं और धूम्रपान बंद कराने में मदद करने वाली दवाएं भी शामिल हैं।
एनएमसी ने ओटीसी दवाओं को सामान्य बीमारियों की दवाओं के रूप में परिभाषित किया है और जो स्वास्थ्य पेशेवर से इलाज के बिना जनता के उपयोग के लिए सुरक्षित एवं प्रभावी हैं।
एनएमसी ने कहा कि वे सभी दवाएं जो डॉक्टर के परामर्श वाली दवाओं की सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें गैर-परामर्श या ओटीसी दवाएं माना जाता है।
इस संबंध में एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि औषध एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम और इसके तहत नियमों में ओटीसी दवाओं की कोई परिनहीं है और इसके अलावा, ओटीसी दवाओं को विनियमित करने के लिए कोई विशेष प्रावधान भी नहीं है।
औषध और प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत औषधि सलाहकार समिति ने कुछ साल पहले ओटीसी दवाओं को परिभाषित करने और ऐसी दवाओं की एक सूची की पहचान करने के लिए एक उप-समिति का गठन किया था। समिति ने 2019 में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
सरकार को उपसमिति की सिफ़ारिशों को अभी स्वीकार करना है।