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‘मिया’ वोटों की उम्मीद नहीं, हिमंत सरमा बोले- मूल असम मुसलमानों पर ध्यान

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि उन्हें ‘मिया मुसलमानों’ से वोट की उम्मीद नहीं है। गुवाहाटी में मीडिया को संबोधित करते हुए हिमंत सरमा ने यह भी कहा कि उन्होंने मेडिकल कॉलेजों का दौरा इसलिए नहीं किया क्योंकि वहां मिया मुस्लिम हैं। ‘मिया’ असम में बंगाली भाषी या बंगाल मूल के मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अपमानजनक शब्द है। असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे मिया मुसलमानों से वोट की उम्मीद नहीं है। मैं मेडिकल कॉलेजों का दौरा नहीं करता क्योंकि वहां मिया मुसलमान अधिक संख्या में हैं।

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हिमंत सरमा ने आगे कहा कि वह और उनकी पार्टी राज्य में स्वदेशी मुसलमानों के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम असम के मूल मुसलमानों के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। असम के मूल मुसलमानों को छोड़कर, मैं कभी भी मुसलमानों से वोट की उम्मीद नहीं करता। यह बहुत दुखद है कि हर मेडिकल कॉलेज में मिया मुस्लिम हमारे मूल युवाओं से अधिक हैं। मैंने ज्यादा जाना बंद कर दिया है अब इन कॉलेजों के लिए। मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस और एआईयूडीएफ का असम में मुस्लिम समुदाय के साथ वोट का रिश्ता है और वर्षों से डर का माहौल बनाकर उनसे वोट मांगे गए हैं।

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सरमा ने कहा कि दोनों दलों का प्रवासी मूल के मुसलमानों के साथ वोट मिलने तक का रिश्ता है, लेकिन उन्होंने उनके विकास के लिए या उन क्षेत्रों में जहां वे रहते हैं, कोई कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कहा, उन्होंने कोई सड़क, पुल, स्कूल नहीं बनाया है। उन्होंने कहा कि पहले कदम के रूप में हमने स्वदेशी असमिया मुसलमानों की जीवन स्थितियों में सुधार के लिए उपाय किए हैं और जल्द ही उन पर एक सर्वेक्षण आयोजित किया जाएगा। इस बीच, असम स्थित ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख और धुबरी से सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने हिमंत सरमा को जवाब देते हुए कहा कि मिया मुसलमानों के काम नहीं करने से गुवाहाटी वीरान हो जाएगा।

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