कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने सोमवार को कहा कि कावेरी जल मुद्दे पर तमिलनाडु को ‘इतनी जल्दी’ उच्चतम न्यायालय जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि राज्य उपलब्धता, पेयजल जरूरतों और किसानों की भावनाओं पर विचार करने के बाद पानी छोड़ने के लिए तैयार है।
शिवकुमार जल संसाधन के प्रभारी मंत्री भी हैं। उन्होंने कहा कि वह अदालत में राज्य के कदम के संबंध में राज्य के अधिवक्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा करेंगे।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘केआरएस (कृष्णा राजा सागर) और कावेरी नदी के आसपास की भूमि के अन्य बांधों में बारिश और प्रवाह की स्थिति रिकॉर्ड में है।
हमने और हमारे कृषि मंत्री एन चेलुवरैया स्वामी ने किसानों को संदेश भेजा है कि वे यहां फसल न लगाएं, क्योंकि स्थिति सभी को पता है।’’
यह इंगित करते हुए कि संकट से निपटने के लिए दोनों राज्यों के अपने तौर तरीके हैं, उन्होंने कहा कि तमिलनाडु को इतनी जल्दी उच्चतम न्यायालय जाने की कोई जरूरत नहीं थी।
उन्होंने कहा, ‘‘हम पानी की उपलब्धता, राज्य की पेयजल जरूरतों और अपने किसानों की भावनाओं को समझते हुए तमिलनाडु को पानी देने के लिए तैयार हैं।
इसलिए मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि तमिलनाडु इतनी तत्परता क्यों दिखा रहा है।’’
तमिलनाडु सरकार ने शुक्रवार को कहा था कि कावेरी जल पाने के लिए उनके पास उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
उन्होंने दावा किया था कि कर्नाटक ने अपनी बात से पलटते हुए केवल आठ हजार क्यूसेक पानी की कम मात्रा जारी करने की बात कही है।