भारतीय जनता पार्टी की सांसद पूनम महाजन और कांग्रेस सांसद राम्या हरिदास द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्र ने कहा है कि विचाराधीन कैदियों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने की अभी उसकी कोई योजना नहीं है। केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने जवाब दिया कि अधीनस्थ अदालतों की स्थापना और फास्ट ट्रैक कोर्ट (FTCs) सहित इसकी कार्यप्रणाली राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आती है, जिसे वे संबंधित उच्च न्यायालयों के परामर्श से अपनी आवश्यकता और संसाधनों के अनुसार स्थापित करते हैं। वर्तमान में विचाराधीन कैदियों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
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देश में गठित विचाराधीन समीक्षा समितियों (UTRCs) की संख्या पर कई सांसदों द्वारा पूछे गए एक अन्य प्रश्न में क्या वे विचाराधीन कैदियों की संख्या को कम करने और देश में जेलों में उनके द्वारा बिताए समय को कम करने में सक्षम हैं रिजिजू ने कहा कि वर्ष 2021 और 2022 के दौरान, कुल 17,020 और 35,480 क़ैदियों/विचाराधीन क़ैदियों (UTPs) को UTRCs की सिफारिशों के अनुसार रिहा किया गया था। UTRCs रिहाई की सिफारिश करने के लिए क़ैदियों के मामलों की कुल 14 श्रेणियों की समीक्षा करते हैं।” केंद्र ने बताया कि वर्तमान में देश भर में कुल 677 यूटीआरसी काम कर रहे हैं।