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योगी की मौजूदगी में राज्यसभा के लिए बीजेपी प्रत्याशियों का नामांकन

उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की दस सीटों के लिए होने वाले चुनाव के लिए कल सपा प्रत्याशियों के नामांकन के बाद आज भाजपा प्रत्याशियों ने भी  अपना-अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया.  बीजेपी ने सात सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं. इन प्रत्याशियों में आरपीएन सिंह, सुधांशु त्रिवेदी, चैधरी तेजवीर सिंह, साधना सिंह, अमरपाल मौर्य, संगीता बलवंत व नवीन जैन का नाम शामिल है.बीजेपी के उम्मीदवारों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में विधान भवन में अपना नामांकन दाखिल किया. इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चैधरी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक समेत पार्टी के तमाम शीर्ष पदाधिकारी भी मौजूद थे.

गौरतलब हो, राज्यसभा की खाली हो रही 10 सीटों में 9 भाजपा और एक सपा के पास है.जो ताजा समीकरण बन रहा है उससे बीजेपी का 07 सीटों पर जीतना तय माना जा रहा है.वहीं दो सीटों पर सपा की जीत निश्चित मानी जा रही है.एक सीट का पेच फंसा है.बीजेपी इसे भी अपनी जेब में डालना चाहती है.राष्ट्रीय लोकदल के बीजेपी के साथ आने के बाद बीजेपी के लिये आठवी सीट पर जीत की लड़ाई काफी आसान हो गई है.समाजवादी पार्टी में चल रही खींचतान के बीच भाजपा राज्यसभा चुनाव में आठवां उम्मीदवार उतार सकती है। रालोद के एनडीए में शामिल होने के बाद भाजपा का संख्या बल अधिक हुआ है।उधर सपा विधायक पल्लवी पटेल ने मतदान नहीं करने का एलान कर दिया है। भाजपा को भनक लगी है कि सपा के कुछ अन्य विधायक भी खिलाफत कर सकते हैं। ऐसे में भाजपा ने आठवां उम्मीदवार उतारने की संभावना पर काम शुरू किया है। आज  पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी व चुनाव प्रभारी बैजयंत पांडा के साथ इस विषय पर चर्चा की जाएगी। पिछले कुछ दिनों से रालोद के बीजेपी के साथ जाने को लेकर चर्चाएं तेज थीं.चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलने के बाद तो अब रालोद मुखिया जयंत चैधरी भी कहने लगे हैं कि चैधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिये जाने के बाद अब बीजेपी को कैसे मना किया जा सकता है.पीएम ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. खास बात यह है कि  कल तक जयंत चौधरी या रालोद की ओर से इस चर्चा का कोई समर्थन या खंडन नहीं किया गया था,लेकिन अब जयंत की भाषा बिल्कुल बदल गई है. जयंत के पाला बदलने से यूपी में 10 सीटों पर हो रही राज्यसभा चुनाव का भी गणित बदलता दिख रहा है.राज्य सभा चुनाव के लिए विधानसभा के सदस्य वोटर होते हैं। इस समय विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 399 है। राज्यसभा में निर्वाचित होने के लिए न्यूनतम वोट का जो फॉम्र्युला है उसके हिसाब से इस बार एक सीट जीतने के लिए 37 विधायक की जरूरत होगी। इस हिसाब से मौजूदा स्थिति में भाजपा गठबंधन 7 और सपा गठबंधन 3 सीटें आसानी से जीतने की स्थिति में है,लेकिन यह तभी संभव था, जब रालोद का सपा के साथ गठबंधन बरकरार रहता.

वोटों के गणित की बात की जाये तो एनडीए के पास इस समय सहयोगियों को मिलाकर 277 वोट हैं। ऐसे में 37 का कोटा सबको आवंटित करने के बाद उसके पास 18 वोट अतिरिक्त बचेंगे। जनसत्ता दल उच्च सदन के चुनाव में अब तक भाजपा के ही साथ रहा है। इसलिए, इनके 2 वोट भी सत्ता पक्ष के साथ जाने तय हैं। ऐसे में भाजपा के पास 20 अतिरिक्त वोट होंगे। वहीं, विपक्षी गठबंधन के पास मौजूदा संख्या 119 विधायकों की है। कोटा आवंटित करने के बाद भी इस समय उनके पास 6 अतिरिक्त विधायक बचेंगे। अगर रालोद एनडीए के पाले में जाती है तो सपा गठबंधन के पास विधायकों की संख्या घटकर 110 हो जाएगी। सपा को अपना तीसरा उम्मीदवार जिताने के लिए 1 और विधायक की जरूरत होगी, जिसे तलाशना आसान नहीं तो मुश्किल भी नहीं होगा। रालोद को मिलाकर भाजपा के पास 29 अतिरिक्त वोट हो जाएंगे। अब अगर भाजपा अपना आठवां उम्मीदवार उतारती है तो फैसला दूसरी वरीयता के वोटों से होगा, जिसमें सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए संभावनाएं बढ़ जाएंगी। फिलहाल, भाजपा की ओर से 10 पर्चे खरीदे गए हैं। 

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