मणिपुर के हालात को लेकर देश में इस सप्ताह आक्रोश और चिंता की लहर देखी गयी। पूर्वोत्तर राज्यों में भी मणिपुर से सामने आ रहे वीडियो को देखते हुए विरोध प्रदर्शन देखे गये। इसके अलावा असम में बाढ़ के हालत में अभी बहुत ज्यादा सुधार नहीं दिखा तो दूसरी तरफ मिजोरम में चुनावी तैयारियां जोरों पर हैं। इसके अलावा नगालैंड में एनसीपी के विधायकों ने अजित पवार खेमे का दामन थाम लिया। बहरहाल, आइये एक नजर डालते हैं पूर्वोत्तर भारत से इस सप्ताह आई बड़ी खबरों पर। सबसे पहले बात करते हैं मणिपुर की।
मणिपुर
मणिपुर में तकरीबन एक हजार लोगों की हथियारबंद भीड़ ने कांगपोकपी जिले के एक गांव पर हमला किया और मकानों को लूटा, उनमें आग लगायी, हत्या की तथा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने से पहले उनसे दुष्कर्म किया। इन महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद पूरा देश आक्रोशित है और घटना के विरोध में जगह जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इस मामले में 21 जून को एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। इसमें आदिवासी महिलाओं के अपहरण और उनसे शर्मनाक बर्ताव से पहले हुए जुल्म की दास्तां का उल्लेख है। प्राथमिकी में दावा किया गया है कि भीड़ ने एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी जिसने चार मई को कुछ लोगों को अपनी बहन से दुष्कर्म करने से रोकने की कोशिश की थी। इसके बाद दोनों महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया और दूसरे लोगों के सामने ही उनका यौन उत्पीड़न किया गया। सैकुल थाने में दर्ज प्राथमिकी में दावा किया गया है, ‘‘एके राइफल्स, एसएलआर, इनसास और .303 राइफल्स जैसे आधुनिक हथियार लेकर करीब 900-1000 लोग सैकुल थाने से करीब 68 किलोमीटर दक्षिण में कांगपोकपी जिले में हमारे गांव में जबरन घुस आए।’’ प्राथमिकी में दावा किया गया है, ‘‘हिंसक भीड़ ने हमारे घरों में तोड़फोड़ की और चल संपत्तियां लूटने के बाद उन्हें आग के हवाले कर दिया।’’ इसमें कहा गया है कि भीड़ अपराह्न करीब तीन बजे गांव में घुसी और नकदी, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान, अनाज और मवेशियों को लूटकर ले गयी। प्राथमिकी में दावा किया गया है कि भीड़ पांच लोगों को भी अपने साथ ले गयी थी जिन्हें पुलिसकर्मियों ने एक नजदीकी जंगल से बचाया था। इस हमले के बाद पांचों ग्रामीण डर के मारे जंगल में भाग गए थे। हम आपको बता दें कि पुलिस ने महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने तथा उनसे छेड़छाड़ करने के संबंध में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी से एक दिन पहले 19 जुलाई को इस घटना का वीडियो सामने आया था। इन चारों को एक स्थानीय अदालत ने 11 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। बताया जा रहा है कि वीडियो के आधार पर 12 और आरोपियों की पहचान हो गयी है जिनकी धरपकड़ के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच, पुलिस ने बताया है कि गुस्साए स्थानीय लोगों ने थाउबल जिले के पेची अवांग में चारों में एक आरोपी के घर पर बृहस्पतिवार रात को हमला किया, उसे लूटा और उसे आग के हवाले कर दिया। हम आपको बता दें कि आरोपी को दो महिलाओं में से एक को घसीटते हुए देखा गया था।
इसके अलावा, मणिपुर में भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर घुमाई गई दो महिलाओं में से एक के पति एवं करगिल युद्ध में हिस्सा ले चुके पूर्व सैन्यकर्मी ने अफसोस जताते हुए कहा कि उन्होंने देश की रक्षा की, लेकिन वह अपनी पत्नी को अपमानित होने से नहीं बचा सके। जनजातीय महिलाओं के साथ चार मई को हुई इस घटना का वीडियो बुधवार को सामने आया जिसके बाद इसकी देशभर में निंदा की गई। एक पीड़िता के पति भारतीय सेना की असम रेजिमेंट में सूबेदार के तौर पर सेवा प्रदान कर चुके हैं। पीड़िता के पति ने एक समाचार चैनल को बताया, ‘‘मैंने करगिल युद्ध में देश के लिए लड़ाई लड़ी और भारतीय शांति सेना के हिस्से के रूप में श्रीलंका में भी तैनात रहा था। मैंने देश की रक्षा की, लेकिन मैं निराश हूं कि अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, मैं अपने घर, अपनी पत्नी और साथी ग्रामीणों की रक्षा नहीं कर सका… मैं दुखी और उदास हूं।” उन्होंने कहा कि चार मई की सुबह एक भीड़ ने इलाके के कई घरों को जला दिया, दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर दिया और उन्हें लोगों के सामने गांव की पगडंडियों पर चलने के लिए मजबूर किया। पूर्व सैन्यकर्मी ने कहा, ‘‘पुलिस मौजूद थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। मैं चाहता हूं कि उन सभी लोगों को कड़ी सजा मिले, जिन्होंने घर जलाए और महिलाओं को अपमानित किया।’’
इसके अलावा, केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि मणिपुर को वर्तमान संकट से बाहर आना चाहिए और राज्य में शांति बहाल करने के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए। मंत्री ने एक कार्यक्रम से इतर कहा कि महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने की घटना “एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दा है। राज्य एक कठिन दौर से गुजर रहा है और सभी समुदाय वहां पीड़ित हैं”। उन्होंने कहा, “मणिपुर एक खूबसूरत राज्य है और इसे संकट से बाहर निकलना होगा और ईमानदारी से कहें तो हम सभी को राज्य में शांति वापस लाने के लिए प्रयास करने होंगे।” उन्होंने कहा, “इस तरह की घटना से हममें से प्रत्येक को दुख होता है और ऐसा कोई शब्द नहीं है जिससे हम इस मुद्दे को समझा सकें या इसका समाधान कर सकें।” मंत्री ने कहा, अपराधियों को पकड़ना होगा और कल कुछ गिरफ्तारियां पहले ही हो चुकी हैं। उन्होंने कहा, “मुझे यकीन है कि अपराधियों को दंडित करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।” सीतारमण ने बताया, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले कहा था कि मणिपुर में जो हुआ उससे देश का सिर शर्म से झुक गया है।
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इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने कहा है कि राज्य के लोग महिलाओं का सम्मान करते हैं और उन्हें ‘माता के समान’ मानते हैं, लेकिन जिन उपद्रवियों ने मई में आदिवासी महिलाओं पर हमला कर उन्हें निर्वस्त्र किया, उन्होंने राज्य की ‘छवि को धूमिल’ किया है। दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और छेड़छाड़ का यह वीडियो बुधवार को सामने आया था जिसकी देशभर में निंदा की गई। बिरेन सिंह ने कहा, ”मणिपुर के लोग महिलाओं को माता के समान मानते हैं, लेकिन कुछ बदमाशों ने यह हरकत की तथा हमारी छवि को धूमिल किया। हमने इस घटना की निंदा करने के लिए राज्यभर में घाटी एवं पहाड़ी दोनों ही क्षेत्रों में विरोध का आह्वान किया हैं।’’ उन्होंने कहा कि लोग मांग कर रहे हैं कि अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह सुनिश्चित करेंगे कि सभी गुनाहगारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, यहां तक कि सरकार मृत्युदंड की संभावना पर भी विचार कर रही है।
असम
असम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में बाढ़ की स्थिति में सुधार आया है तथा प्रभावित लोगों की संख्या घटकर 63,000 के आसपास रह गयी। एक सरकारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) की रिपोर्ट के अनुसार एक और व्यक्ति की डूबकर मौत हो जाने के साथ ही इस साल बाढ़ में अब तक नौ लोगों की जान चली गयी है। राज्य के 14 जिलों में कुल 63,606 लोग बाढ़ से बेहाल हैं जिनमें 30,354 पुरूष, 24,868 महिलाएं और 8,384 बच्चे हैं। एक दिन पहले ही ऐसे लोगों की संख्या 88,911 थी। धुबरी, तेजपुर और नेमाटीघाट में ब्रह्मपुत्र नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है जबकि उसकी सहायक नदियों में कई स्थानों पर जलस्तर घट रहा है। बारपेटा, चिरांग, दरांग, धेमाजी, डिब्रूगढ़, गोलाघाट, कामरूप, कामरूप मेट्रो, लखीमपुर, मजुली, नगांव, नलबारी और शिवसागर बाढ़ प्रभावित जिले हैं। गोलाघाट सबसे अधिक प्रभावित जिला है जहां 27,526 लोग बाढ से बेहाल हैं। शिवसागर में 15,137 तथा नलबारी में 14,892 लोग बाढ़ के कारण मुश्किल में हैं। चिरांग, धेमाजी, डिब्रूगढ़, कामरूप, लखीमपुर और शिवसागर जिलों में कुल 51 राहत केंद्र स्थापित किये गये हैं। एएसडीएमए के अनुसार राज्य में कुल 272 गांव जलमग्न हैं जबकि 2,863.76 हेक्टेयर क्षेत्र में लगी फसल बर्बाद हो गयी है।
इसके अलावा, विपक्षी रायजोर दल के कई सदस्यों को शुक्रवार को तब हिरासत में ले लिया गया जब वे परिसीमन प्रक्रिया के विरोध में उस स्थल के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे जहां संबंधित मसौदा प्रस्ताव पर निर्वाचन आयोग की पूर्ण पीठ द्वारा सुनवाई की जा रही थी। पहले दो दिन में सुनवाई शांतिपूर्ण ढंग से हुई। रायजोर दल के प्रमुख एवं शिवसागर से विधायक अखिल गोगोई समेत कुछ अन्य लोग शुक्रवार को आयोग के समक्ष अपना प्रतिनिधित्व रखने के लिए सुनवाई स्थल पहुंचे थे कि तभी उनकी पार्टी के कुछ सदस्यों ने गेट पर नारेबाजी शुरू कर दी। परिसीमन प्रक्रिया के खिलाफ किए गए प्रदर्शन का नेतृत्व पार्टी नेता धर्ज्य कोंवर और प्रणब डेका ने किया। सुरक्षाकर्मियों ने जब उन्हें प्रदर्शन करने से रोका तो वे सुनवाई स्थल के बाहर सड़क को अवरुद्ध करने की कोशिश करने लगे। प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों का भी विरोध किया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इसके बाद उन्हें बस में बैठाकर सुनवाई स्थल से दूर ले जाया गया। उनकी हिरासत के बारे में विस्तृत जानकारी का अभी इंतजार है। निर्वाचन आयोग की पूर्ण पीठ असम के विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए परिसीमन प्रस्तावों के मसौदे पर सार्वजनिक सुनवाई के लिए बुधवार को यहां पहुंची थी। आयोग को इस दौरान 11 राजनीतिक दलों और 71 अन्य संगठनों के सुझाव प्राप्त हुए जिन पर विचार किया गया।
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायक समसुल हक का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 67 वर्ष के थे। पार्टी के एक नेता ने यह जानकारी दी। हक के परिवार में उनकी पत्नी और चार बेटे हैं। माकपा राज्य समिति के सदस्य पबित्रा कार ने बताया कि सिपाहीजाला जिले के बोक्सानगर से विधायक हक अगरतला एमएलए हॉस्टल में थे और मंगलवार रात वह अचानक बीमार पड़ गए। कार ने कहा, ‘उन्हें तुरंत जीबी पंत अस्पताल ले जाया गया जहां बुधवार सुबह उनका निधन हो गया।’ मुख्यमंत्री माणिक साहा ने माकपा विधायक के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘मैं विधायक समसुल हक के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। मैंने दिवंगत आत्मा के सम्मान में अपने सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए।’ हक के पार्थिव शरीर को पहले राज्य विधानसभा लाया गया और सदन के उपाध्यक्ष रामप्रसाद पॉल, कांग्रेस विधायक सुदीप रॉय बर्मन और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक किशोर बर्मन ने दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी। त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार, वाम मोर्चा संयोजक नारायण कर और माकपा के राज्य सचिवालय के सदस्य माणिक डे ने माकपा मुख्यालय में हक को श्रद्धांजलि दी। हक के निधन के बाद 60 सदस्यीय विधानसभा में माकपा सदस्यों की संख्या घटकर 10 हो गई है।
नगालैंड
नगालैंड से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सभी सात विधायकों और पार्टी के पदाधिकारियों ने संगठन के अजित पवार गुट को अपना समर्थन दिया है। पार्टी के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। राकांपा (अजित पवार गुट) के राष्ट्रीय प्रवक्ता ब्रजमोहन श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘नगालैंड इकाई के अध्यक्ष वानथुंग ओडियो नयी दिल्ली आये और राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल तथा महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष सुनील तटकरे से मुलाकात की।’ श्रीवास्तव ने कहा, “उन्होंने हमें नगालैंड राकांपा के फैसले (अजित पवार खेमे को समर्थन देने) के बारे में सूचित किया। ओडियो ने सात विधायकों सहित सभी पदाधिकारियों के समर्थन के शपथ पत्र सौंपे।” राकांपा के एक बयान के अनुसार, पटेल ने ओडियो को आश्वासन दिया कि वह 24 साल पुरानी पार्टी को मजबूत करने के उनके प्रयासों में उनका समर्थन करेंगे।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि अरुणाचल प्रदेश युवा कांग्रेस (एपीवाईसी) ने मणिपुर की घटना पर नाराजगी व्यक्त करते हुए ईटानगर में राजीव गांधी भवन के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया। पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं ने महिलाओं की गरिमा की रक्षा करने और पूर्वोत्तर राज्य में स्थायी शांति बहाल करने में विफलता का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के पुतले फूंके। हाथों में तख्तियां और बैनर लिए सैंकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दो महीने से अधिक समय के बाद भी मणिपुर में स्थिति को नियंत्रित करने में विफलता के लिए प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और मणिपुर के मुख्यमंत्री के तत्काल इस्तीफे की मांग की। एपीवाईसी के अध्यक्ष टी. जॉनी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘केंद्र और राज्य दोनों जगह की भाजपा सरकार मणिपुर में स्थिति सामान्य करने में विफल रही है। प्रधानमंत्री दो महीने से अधिक समय तक चुप रहे, जबकि मणिपुर के पहाड़ी और घाटी दोनों क्षेत्रों में लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र क्या कर रहा था?’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम मणिपुर के लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हैं… और पूरा पूर्वोत्तर उनके साथ है क्योंकि इस तरह की घटनाएं क्षेत्र के किसी भी राज्य में हो सकती हैं। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए।’’
इसके अलावा, केन्द्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश में सड़कों के निर्माण, ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ तथा दूरसंचार क्षेत्र में सुधार की प्रगति को लेकर एक बैठक की और परियोजना पूरी होने के बाद निगरानी प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गयी। विज्ञप्ति के मुताबिक केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री रीजीजू ने अपने गृह राज्य में परियोजनाओं को समय पर पूरा किए जाने और ऐसे कदमों के लिए नियमित ‘फीडबैक’ पर भी जोर दिया। इस समीक्षा बैठक में सीमा सड़क संगठन, दूरसंचार विभाग और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। विज्ञप्ति में कहा गया है कि बैठक में रीजीजू को ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’, राज्य में सड़क निर्माण संबंधी बुनियादी ढांचे के निर्माण की प्रगति और दूरसंचार सुधार के बारे में ताजा जानकारी प्रदान की गयी। अधिकारियों ने परियोजनाओं, उनकी मौजूदा प्रगति और अनुमानित समापन तिथियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। इस बैठक के बाद रीजीजू ने ट्वीट किया, ”पूर्वोत्तर भारत में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’, सड़क बुनियादी ढांचे और टेलीफोन कनेक्टिविटी की प्रगति की समीक्षा के लिए सीमा सड़क संगठन, टेलीकॉम और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। इन योजनाओं की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी।”
मेघालय
मेघालय से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि असम और मेघालय के वरिष्ठ मंत्रियों ने शनिवार को दोनों पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सीमा विवाद पर चर्चा के लिए मुलाकात की। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। असम के वन एवं पर्यावरण मंत्री चंद्रमोहन पटवारी और मेघालय के उपमुख्यमंत्री एस. डार ने कछार और पूर्वी जयंतिया हिल्स जिलों के बीच सीमा पर विस्तृत चर्चा की और अधिकारियों को इस क्षेत्र की समस्याओं पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया। बैठक मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के उमकियांग में आयोजित की गई थी। बैठक के बाद पटवारी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि दोनों सरकारें सीमा विवादों को सुलझाने की इच्छुक हैं।
मिजोरम
मिजोरम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनकी परेड कराने का वीडियो सामने आने के एक दिन बाद मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने कहा है कि ऐसा लगता है कि पड़ोसी राज्य में स्थिति ‘‘बिगड़’’ गयी है और उन्होंने मामले में फौरन कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘‘चुप्पी कोई विकल्प नहीं है।’’ जोरमथांगा ने एक बयान में कहा कि वह सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो को देखकर स्तब्ध हैं और इसने उन्हें झकझोर दिया है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर में क्रूर हिंसा न केवल पड़ोसी राज्य पर बल्कि पूरे देश पर असर डालती है। ऐसा लगता है कि हालात बिगड़ गए हैं। मैं वाकई में वीडियो देखकर स्तब्ध हूं तथा भीतर तक हिल गया हूं।’’ मिजोरम के मुख्यमंत्री ने कहा कि मणिपुर में दो वैफेइ महिलाओं के यौन उत्पीड़न की ‘‘हैरान’’ करने वाली वीडियो ‘‘क्रूर, निर्दयी, जघन्य, निंदनीय और पूरी तरह अमानवीय’’ है। उन्होंने कहा कि पूरे क्षेत्र को मणिपुर की ‘‘बड़ी समस्या’’ के लिए एक स्थायी समाधान की आवश्यकता है जिसे केवल केंद्र सरकार ही हल कर सकती है। जोरमथांगा ने कहा, ‘‘मैं फिर कहता हूं – ‘कई लोगों की जान चली गयी, हर जगह खूनखराबा, शारीरिक यातना है और पीड़ित शरण लेने के लिए इधर उधर भाग रहे हैं। इस बात में कोई शक नहीं है कि वे पीड़ित मेरे मित्र और मेरे परिजन, मेरा अपना खून हैं और क्या केवल हमारे चुप रहकर बैठने से स्थिति शांत हो जाएगी ? मुझे नहीं लगता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चुप्पी कोई विकल्प नहीं है। मैं फौरन शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने का आह्वान करता हूं। मणिपुर सरकार और केंद्र सरकार के लिए यह अनिवार्य है कि वह फौरन शांति बहाल करने के तरीके तलाश करें। अत: मैं मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से तत्काल कार्रवाई करने तथा दोषियों को सजा दिलाने का अनुरोध करता हूं।’’ चार मई का यह वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद से मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया है। इस वीडियो में दिख रहा है कि विरोधी पक्ष के कुछ व्यक्ति एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमा रहे हैं।
इसके अलावा, जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) आगामी मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान करने वाली सबसे पहली पार्टी बन गई है। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी ने बुधवार को अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया। पूर्वोत्तर राज्य में 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव इस साल के अंत में होने हैं। जेडपीएम के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालडुहोमा ने कहा कि विपक्षी दल ने 39 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों को चयन कर लिया है। पार्टी ने दक्षिण मिजोरम के लांगतलाई जिले के चावंगते विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिये उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया है जहां चकमा समुदाय के लोग बहुतायत में हैं। लालडुहोमा ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘चकमा क्षेत्र के लिए हमने अभी उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है । हम इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि वहां उम्मीदवार उतारा जाए या नहीं।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी, लेकिन त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में चुनाव बाद गठबंधन कर सकती है। उन्होंने कहा कि जेडपीएम के पास फिलहाल विधानसभा में केवल छह सदस्य हैं और इन सभी को टिकट दिया जाएगा। लालडुहोमा सेरछिप से चुनाव लड़ेंगे जिसका वह फिलहाल प्रतिनिधित्व करते हैं। विधानसभा में सत्ताधरी एमएनएफ के पास 28 और कांग्रेस के पास पांच विधायक हैं, जबकि एक विधायक भाजपा का है।
इसके अलावा, मिजोरम की मतदाता सूची से छह हजार से अधिक ब्रू मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि 2020 में हुए समझौते के बाद त्रिपुरा में बसने की वजह से इन मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं। अधिकारियों ने कहा कि जिनके नाम सूची से हटाए गए हैं, वे ममित, कोलासिब और लुंगलेई जिलों के नौ विधानसभा क्षेत्र के मतदाता थे। उन्होंने बताया कि विधानसभा क्षेत्र ममित, डंपा और हाचेक विधानसभा क्षेत्रों से 4,900 से अधिक, कोलासिब, सेरलुई और तुइरियल विधानसभा क्षेत्रों से 948 और लुंगलेई दक्षिण, थोरांग और पश्चिम तुईपुई विधानसभा क्षेत्रों से 334 ब्रू मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं। अधिकारियों ने कहा कि ब्रू मतदाताओं की अंतिम संख्या दो अगस्त को प्रकाशित होने वाले मतदाता सूची के मसौदे से पता चलेगी। साथ ही मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन चार अक्टूबर को निर्धारित किया गया है। ब्रू उग्रवादियों द्वारा 1997 में एक मिजो वन अधिकारी की हत्या के बाद जातीय तनाव बढ़ गया था। इसके बाद हजारों ब्रू मतदाता त्रिपुरा भाग गए थे। तब से वे दो वहां शिविरों में रह रहे हैं। मिजोरम और त्रिपुरा की सरकारों और केंद्र ने ब्रू आदिवासियों को त्रिपुरा से वापस लाने के लिए 2009 और 2019 के बीच कई बार प्रयास किए। इसके बाद केंद्र, दोनों राज्य सरकारों और कई ब्रू संगठनों के प्रतिनिधियों ने 16 जनवरी 2020 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके अनुसार मिजोरम लौटने के अनिच्छुक 35,000 से अधिक विस्थापित ब्रू आदिवासियों को त्रिपुरा में स्थायी रूप से बसने की अनुमति दे दी गई।