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Purvottar Lok: Manipur में हिंसा की आग, Assam में बाढ़ का पानी और Meghalaya में राजनीतिक उठापटक

पूर्वोत्तर के एक राज्य मणिपुर में हिंसा की आग थमने का नाम नहीं ले रही है तो एक अन्य राज्य असम के ज्यादातर हिस्से बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं। त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की रैलियों ने चुनावी माहौल गर्माया है तो मणिपुर की मदद करने में सबसे ज्यादा मिजोरम मदद कर रहा है। इसके अलावा इस सप्ताह नगालैंड और मेघालय के घटनाक्रमों ने भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पूर्वोत्तर भारत में भी खूब उत्साह के साथ मनाया गया। आइये डालते हैं एक नजर पूर्वोत्तर भारत से आई इस सप्ताह की बड़ी खबरों पर। सबसे पहले बात करते हैं मणिपुर की।
मणिपुर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसा प्रभावित मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए 24 जून को नयी दिल्ली में सर्वदलीय बैठक बुलाई है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट किया, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा करने के लिए 24 जून को अपराह्न तीन बजे नयी दिल्ली में सर्वदलीय बैठक बुलाई है।’’ असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा के बुधवार शाम गृह मंत्री से मुलाकात के बाद यह घोषणा की गई। हम आपको बता दें कि हिमंत बिस्व शर्मा पूर्वोत्तर जनतांत्रिक गठबंधन (नेडा) के संयोजक भी हैं। शर्मा ने कुछ दिन पहले इंफाल का दौरा किया था और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और कई अन्य नेताओं से मुलाकात की थी।
इस बीच, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मणिपुर के मामले पर सर्वदलीय बैठक ऐसे समय में बुलाई गई है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में नहीं हैं जिससे स्पष्ट है कि उनके लिए यह बैठक महत्वपूर्ण नहीं है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर 50 दिनों से जल रहा है, मगर प्रधानमंत्री मौन रहे। सर्वदलीय बैठक तब बुलाई गई जब प्रधानमंत्री खुद देश में नहीं हैं। साफ है, प्रधानमंत्री के लिए यह बैठक महत्वपूर्ण नहीं है।’’ उधर, कांग्रेस ने मणिपुर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक को लेकर कहा कि शांति का कोई भी प्रयास प्रदेश में ही होना चाहिए और दिल्ली में बैठक करने से गंभीरता का अभाव नजर आएगा। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार का अब तक बने रहना और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन का लागू नहीं किया जाना एक मजाक है। वहीं, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मणिपुर में हिंसा पर दुख जताते हुए बुधवार को कहा कि इसने राष्ट्र की अंतरात्मा पर गहरा आघात किया है। उन्होंने प्रदेश के लोगों से शांति एवं सौहार्द की अपील की और उम्मीद जताई कि मणिपुर के लोग इस त्रासदी से उबरेंगे। सोनिया गांधी ने यह भी कहा, ‘‘मुझे मणिपुर के लोगों से बहुत उम्मीदें हैं और उनके ऊपर बहुत विश्वास है। मैं जानती हूं कि हम सभी मिलकर यह परीक्षा की घड़ी भी पार कर लेंगे।’’
इस बीच, खबर है कि मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले के उत्तरी बोलजांग में बृहस्पतिवार तड़के करीब पांच बजे अज्ञात बंदूकधारियों की गोलीबारी में दो जवान घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती तलाशी के दौरान एक इनसास लाइट मशीन गन बरामद की गई है। अधिकारियों के मुताबिक, इलाके में स्थिति नियंत्रण में है और बंदूकधारियों को पकड़ने के लिए तलाश अभियान जारी है। उन्होंने कहा, “गोलीबारी में दोनों जवान मामूली रूप से घायल हुए हैं। क्षेत्र में सेना के अतिरिक्त कॉलम तैनात किए गए हैं और तलाश अभियान जारी है।” अधिकारियों के अनुसार, बुधवार शाम करीब पौने छह बजे के आसपास इंफाल ईस्ट जिले में वाईकेपीआई के उत्तर में उरंगपत के पास स्वचालित छोटे हथियारों से गोलीबारी करने की आवाजें सुनी गईं। वहीं, सूत्रों की मानें तो बुधवार को शाम साढ़े पांच बजे के आसपास अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा हरोथेल की ओर बिना किसी उकसावे के गोलीबारी किए जाने की भी खबरें हैं। हालांकि, क्षेत्र में शाम साढ़े सात बजे के आसपास हालात नियंत्रित हो गए। उन्होंने बताया कि बुधवार को महिला प्रदर्शनकारियों ने सॉवोनबंग-वाईकेपीआई मार्ग को कई जगहों पर अवरुद्ध किया।
उधर, जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने की अपील करते हुए बुधवार को घोड़ों की रैली आयोजित की गई। लगभग 100 पोलो खिलाड़ियों ने “हम शांति चाहते हैं” लिखी तख्तियों के साथ घोड़ों की सवारी की। ‘मणिपुर हॉर्स राइडिंग एंड पोलो एसोसिएशन’ के अध्यक्ष एच. दिलीप सिंह ने कहा, “हमें डर है कि मणिपुर की अखंडता खतरे में है, इसलिए हमने रैली निकालने का फैसला किया है।”
इस बीच, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने लोगों को चेतावानी देते हुए कहा कि अगर उन्होंने राज्य में हिंसा बंद नहीं की तो, उन्हें परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने पत्रकारों से कहा, “इसे (हिंसा को) बंद कीजिए। वरना, परिणाम भुगतने होंगे। मैं लोगों…हथियार थामे मेइती लोगों…से अपील करता हूं कि वे किसी पर हमला न करें और शांति बनाए रखें, ताकि हम राज्य में सामान्य हालात बहाल कर सकें।” मुख्यमंत्री ने कहा, “लोग परेशान हैं… राज्य सरकार उन्हें (राहत शिविरों में रह रहे लोगों को) ठहराने के लिए तीन-चार हजार अस्थायी घरों का निर्माण करने जा रही है। ये लोग तब तक वहां रहेंगे जब तक उन्हें उनके मूल स्थानों पर स्थानांतरित करने की स्थायी व्यवस्था नहीं की जाती है।” सिंह ने कहा, “निर्माण सामग्री 10-15 दिनों में इंफाल पहुंच जाएगी। सरकार उन घरों को स्थापित करने के लिए जगह की तलाश कर रही है।”
इसके अलावा, हिंसाग्रस्त मणिपुर से अपने परिवारों के साथ आए 1,500 से अधिक बच्चों ने मिजोरम के विभिन्न स्कूलों में दाखिला लिया है। मिजोरम के शिक्षा निदेशक लालसंगलियाना ने बताया कि विस्थापित बच्चों को सरकारी स्कूलों में निशुल्क दाखिला दिया गया है। उन्होंने कहा कि बच्चों की स्थिति पर विचार करते हुए उन्हें आवश्यक दस्तावेज न होने के बावजूद स्कूलों में दाखिला लेने की अनुमति दी गयी।

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इस बीच, जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर के थौबल जिले में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन ‘यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट’ (यूएनएलएफ) के चार संदिग्ध सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। सेना ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों से 51 एमएम का एक मोर्टार, एक बम बरामद किया गया है। सेना ने ट्वीट कर कहा, ‘‘खुफिया सूचनाओं पर कार्रवाई करते हुए 19 जून की रात को पुलिस स्टेशन लिलोंग के पास जांच की गई। इस दौरान, दो अलग-अलग वाहनों में चार संदिग्ध उग्रवादियों को पकड़ा गया।’’ हम आपको बता दें कि यूएनएलएफ, मणिपुर के सबसे पुराने उग्रवादी समूहों में से एक है।
इसके अलावा, मणिपुर उच्च न्यायालय ने अपने 27 मार्च के एक आदेश में बदलाव के अनुरोध वाली पुनर्विचार याचिका को विचारार्थ स्वीकार कर लिया है। हम आपको याद दिला दें कि उच्च न्यायालय के आदेश में राज्य सरकार को मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने की सिफारिश करने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने याचिका के आधार पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किये और उनके जवाब मांगे।
असम
उधर, असम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर है। असम के कई इलाकों में रुक-रुक कर बारिश होने से नए इलाके भी जलमग्न हो गए हैं और बाढ़ से 10 जिलों में करीब 1.2 लाख लोग प्रभावित हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है और अगले कुछ दिनों तक असम के कई जिलों में ‘अत्यंत भारी’ से ‘अत्यधिक भारी’ बारिश का अनुमान जताया है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) की बाढ़ रिपोर्ट के अनुसार बक्सा, बारपेटा, दरांग, धेमाजी, धुबरी, कोकराझार, लखीमपुर, नलबाड़ी, सोनितपुर और उदलगुरी जिले में बाढ़ के कारण 1,19,800 लोग प्रभावित हैं। इसमें कहा गया है कि नलबाड़ी बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित है और लगभग 45,000 लोग इससे जूझ रहे हैं। इसके बाद बक्सा में 26,500 और लखीमपुर में 25,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। प्रशासन ने पांच जिलों में 14 राहत शिविर बनाए है, जहां 2,091 लोगों ने शरण ली है और पांच जिलों में 17 राहत वितरण केंद्र चलाए जा रहे हैं। सेना, अर्द्धसैनिक बल, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), अग्निशमन और आपातकालीन सेवा (एफ एंड ईएस), नागरिक प्रशासन, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) तथा स्थानीय लोगों ने विभिन्न स्थानों से 1,280 लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है। एएसडीएमए बुलेटिन में कहा गया है कि वर्तमान में, 780 गांव जलमग्न हैं और पूरे असम में 10,591.85 हेक्टेयर खेत क्षतिग्रस्त हो गए हैं। बुलेटिन में कहा गया है कि बक्सा, बारपेटा, सोनितपुर, धुबरी, डिब्रूगढ़, कामरूप, कोकराझार, लखीमपुर, माजुली, मोरीगांव, नागांव, दक्षिण सलमारा और उदलगुरी में व्यापक भूमिकटाव देखा गया है। दीमा हसाओ और कामरूप मेट्रोपोलिटन में कई स्थानों से भूस्खलन और भारी बारिश की सूचना है। बक्सा, नलबाड़ी, बारपेटा, सोनितपुर, बोंगाईगांव, दरांग, चिरांग, धुबरी, गोलपारा, कामरूप, कोकराझार, लखीमपुर, नागांव, उदलगुरी, धेमाजी और माजुली में बाढ़ के पानी से तटबंध, सड़कें, पुल और अन्य बुनियादी ढांचे क्षतिग्रस्त हो गए हैं। बारपेटा, दरांग, कामरूप मेट्रोपॉलिटन, कोकराझार और नलबाड़ी जिलों में कई स्थानों पर शहरी इलाके जलमग्न हो गए। एएसडीएमए की रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदी बेकी तीन स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
इसके अलावा, असम में विधानसभा एवं संसदीय सीटों के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा मसौदा परिसीमन प्रस्ताव प्रकाशित किये जाने के बाद सत्तारुढ़ गठबंधन और विपक्षी दलों ने निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण करने की योजना की आलोचना की। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने अपने जलुकबाड़ी निर्वाचन क्षेत्र को तीन भागों में बांटे जाने पर दुख व्यक्त किया, जबकि विपक्ष ने निर्वाचन आयोग की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि निकाय भाजपा के ‘‘वोट बैंक की रक्षा करने की साजिश’’ के तहत ‘‘उसकी विस्तारित शाखा’’ के रूप में कार्य कर रहा है। हम आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को असम के लिए परिसीमन मसौदा दस्तावेज जारी करते हुए पूर्वोत्तर राज्य में विधानसभा सीट की संख्या 126 और लोकसभा सीट की संख्या 14 पर बरकरार रखने का प्रस्ताव दिया। राज्य में राज्यसभा की सात सीटें हैं। मसौदे के अनुसार, निर्वाचन आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित विधानसभा सीटें आठ से बढ़ाकर नौ और अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीटें 16 से बढ़ाकर 19 की जाए। दो संसदीय क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए तथा एक क्षेत्र को अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सुरक्षित करने का प्रस्ताव किया गया है। आयोग ने अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों, विधानसभा और लोकसभा दोनों की भौगोलिक सीमाओं में बदलाव की भी योजना बनाई है, जबकि कुछ सीटों को समाप्त करने और कुछ नयी सीटें बनाने का प्रस्ताव है।
शर्मा ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘ईसीआई (निर्वाचन आयोग) द्वारा प्रकाशित मसौदा परिसीमन यह निर्धारित करता है कि वर्तमान जलुकबाड़ी निर्वाचन क्षेत्र, जिसका मैंने 2001 से प्रतिनिधित्व किया है, अब अस्तित्व में नहीं रहेगा क्योंकि इसे तीन भागों में विभाजित कर दिया गया है।’’ शर्मा ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मैं इस खबर से बहुत दुखी हूं। हालांकि, मैं मसौदे का स्वागत करता हूं क्योंकि यह असम की भावनाओं को सटीक रूप से दर्शाता है।’’
इसके अलावा, असम सरकार के मंत्री अशोक सिंघल ने दावा किया है कि गुवाहाटी में ‘कृत्रिम बाढ़’ की समस्या को काफी हद तक सुलझा लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार राज्य में बाढ़ प्रभावित लोगों की सहायता के लिए हर समय काम कर रही है। ‘बाढ़ मुक्त गुवाहाटी’ अभियान के तहत जारी कार्यों का निरीक्षण करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में सिंघल ने कहा, ‘‘शहरों में कृत्रिम बाढ़ की समस्या है। हमने गुवाहाटी में इसका हल निकालने के लिए काफी काम किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस साल हालात बेहतर हैं। जब भी जलभराव होता है, हम पानी निकालने के लिए पंप लगाते हैं।’’
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल केटी परनाइक (सेवानिवृत) ने लोगों से अपील की कि वे स्वस्थ जीवन के लिए नियमित रूप से योगाभ्यास करें। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि योग से शारीरिक शक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ावा मिलता है, इसके साथ ही अभ्यास करने वालों पर इसका सकारात्मक और सुकूनदायक प्रभाव पड़ता है।
इसके अलावा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी दल के नेतृत्व वाली सरकारें अपनी कमजोर विदेश नीति के कारण देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण नहीं करना चाहती हैं। नड्डा ने अरुणाचल प्रदेश में भाजपा की एक जनसभा को संबोधित करते हुए दावा किया कि कांग्रेस अपने लंबे शासन के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का निर्माण कर पड़ोसी देशों को परेशान नहीं करना चाहती थी। नड्डा ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने ‘‘लद्दाख गतिरोध को मजबूती से संभाला और चीन को स्पष्ट संकेत दिया।’’ उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया अब मोदी को उनकी ‘‘मजबूत विदेश नीति’’ के कारण एक शक्तिशाली नेता के रूप में स्वीकार करती है। हम आपको बता दें कि रैली का आयोजन केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार के नौ वर्ष पूरे होने और राज्य में पेमा खांडू सरकार के सात वर्ष पूरे होने के मौके पर किया गया था।
मिजोरम
मिजोरम से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने मिजोरम में इस साल जनवरी से अब तक कुल 271 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के मादक पदार्थ जब्त किए हैं। एक अधिकारी के मुताबिक, मिजोरम आबकारी और मादक द्रव्य विभाग ने इस साल जनवरी से जून के बीच लगभग 138.5 करोड़ रुपये मूल्य की 27.7 किलोग्राम हेरोइन जब्त की है। उन्होंने बताया कि जब्त की गई हेरोइन की ज्यादातर तस्करी म्यांमा से की गई थी। अधिकारी ने बताया कि विभाग ने इसी अवधि के दौरान 15.3 किलोग्राम गांजा (भांग) और चार किलोग्राम मेथमफेटामाइन की गोलियां भी जब्त कीं। इसके अलावा राज्य पुलिस ने जनवरी से मई के बीच करीब 132.5 करोड़ रुपये मूल्य की 26.5 किलोग्राम हेरोइन जब्त की थी।
नगालैंड
नगालैंड से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने मणिपुर में जारी हिंसा पर चिंता जताई है। रियो ने कहा कि वह पड़ोसी राज्य में हिंसा और जान-माल के नुकसान से बहुत चिंतित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं वहां की समस्याओं को लेकर बहुत चिंतित हूं, लेकिन पड़ोसी राज्य होने के नाते मैं अनावश्यक टिप्पणी नहीं करना चाहता।’’ रियो ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मणिपुर में लगातार हो रही हिंसा की घटनाओं से मैं बहुत परेशान हूं। जान-माल की हानि और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाना समाप्त होना चाहिए। मैं अपने पड़ोसी राज्य के हमारे भाइयों और बहनों से शांति की अपील करता हूं।’’
मेघालय
मेघालय से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि मेघालय में विपक्षी ‘वॉइस ऑफ पीपुल्स पार्टी’ (वीपीपी) ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। पार्टी उपाध्यक्ष के. एच. चेन ने शिलांग लोकसभा सीट के लिए रिकी ए.जे. सिंगकॉन को उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि उम्मीदवार की घोषणा चुनाव से काफी पहले कर दी गई है ताकि जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ता चुनाव के लिए पहले से योजना बना सकें, तैयारी कर सकें और काम कर सकें। हम आपको बता दें कि मेघालय में दो लोकसभा सीट शिलांग और तुरा हैं। शिलांग से फिलहाल कांग्रेस के विन्सेंट एच. पाला और तुरा से एनपीपी की अगाथा के. संगमा सांसद हैं।
इसके अलावा, मेघालय के सत्तारुढ़ गठबंधन की अगुवाई वाली पार्टी एनपीपी ने विपक्षी कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर गठबंधन सहयोगी यूडीपी को बाहर कर दिया है। इस घटनाक्रम के बाद एनपीपी का एक नेता एक स्वायत्त जिला परिषद की कार्यकारी समिति का प्रमुख बन गया है। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद के सदस्य, पिनीएड सिंग सयीम ने टिटोस्टारवेल चाइन के नेतृत्व वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक एलायंस कार्यकारी समिति के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसके चलते यूडीपी सोमवार को 30 सदस्यीय सदन में अल्पमत में आ गई। एनपीपी के बाजोप पिनग्रोप द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान अपनी हार के बाद स्वायत्त जिला परिषद में चाइन के नेतृत्व वाली कार्यकारी समिति ने अपना बहुमत खो दिया। हम आपको बता दें कि वर्तमान परिषद का पांच साल का कार्यकाल अगले साल की शुरुआत तक है। इस बीच, कांग्रेस ने परिषद में एनपीपी को समर्थन के अपने फैसले का बचाव किया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता आर.वी. लिंगदोह ने कहा कि राज्य के आदिवासी लोगों के हितों की रक्षा के लिए पार्टी (कांग्रेस) परिषद में एनपीपी का समर्थन कर रहे हैं। यदि हम एनपीपी का समर्थन नहीं करते तो किसी भी दल को पर्याप्त बहुमत नहीं होने की स्थिति में परिषद की बागडोर संभवतः प्रशासक को सौंप दी जाती।
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि त्रिपुरा विश्वविद्यालय में अंतिम वर्ष की एक छात्रा ने प्राथमिकी दर्ज कर आरोप लगाया है कि एक सहायक प्रोफेसर ने उसका यौन उत्पीड़न किया। पुलिस ने बताया कि कथित घटना सोमवार को विश्वविद्यालय परिसर में तब हुई जब आरोपी ने समाजशास्त्र विभाग की इस छात्रा को मौखिक परीक्षा के लिए बुलाया। सहायक महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) ज्योतिषमन दास चौधरी ने बताया कि पुलिस ने सहायक प्रोफेसर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया है। छात्रा ने आरोप लगाया कि परीक्षा से संबंधित सवाल पूछने के बजाय आरोपी ने उसका यौन उत्पीड़न किया। पीड़िता की उम्र 20 साल के आसपास है।
इसके अलावा, त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के नए अध्यक्ष के रूप में पूर्व विधायक आशीष कुमार साहा की नियुक्ति की गई है। उन्होंने बिरजीत सिन्हा की जगह ली है। साहा ने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने टीपीसीसी के नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बारे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के फैसले की जानकारी दी है। उन्होंने कहा, ‘‘त्रिपुरा में मुझे पार्टी का नेतृत्व करने का मौका देने के लिए, मैं कांग्रेस अध्यक्ष, पार्टी नेताओं-सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अजय कुमार को धन्यवाद देता हूं। यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है लेकिन मैं जमीनी स्तर तक संगठन को फिर से मजबूत करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करूंगा।’’ आशीष कुमार साहा ने पिछले साल फरवरी में विधायक पद और भाजपा से इस्तीफा दे दिया था तथा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में लौट आए थे। हालांकि, वह 2023 के विधानसभा चुनाव में अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र ‘टाउन बारडोवली’ से हार गए थे।

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