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Poorvottar Lok: Assam में कांग्रेस का वादा- सत्ता मिली तो CAA को रद्द करेंगे, Manipur विधानसभा ने कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किये, Greater Tipraland की मांग नहीं छोड़ेगी टिपरा मोथा

लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने असम में बड़ा वादा करते हुए कहा है कि यदि वह सत्ता में आई तो सीएए को रद्द कर देगी। इसके अलावा असम सरकार ने कहा है कि वह लोकसभा चुनावों के बाद राहुल गांधी को समन भेजेगी। उधर मणिपुर विधानसभा ने सक्षम प्राधिकार की मंजूरी के बिना स्थानों का नाम परिवर्तन करने को दंडनीय अपराध बना दिया है। वहीं त्रिपुरा में टिपरा मोथा ने कहा है कि वह ग्रेटर टिपरालैंड की मांग नहीं छोड़ेगी। दूसरी ओर नगालैंड में 20 सालों बाद स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी चल रही है। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले आयाराम गयाराम की राजनीति जोर पकड़ रही है। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से कई प्रमुख समाचार रहे। आइये सब पर डालते हैं एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं असम की।
असम
असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने बुधवार को कहा कि अगर लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी सत्ता में आती है तो वह संशोधित नागरिकता अधिनियम-2019 (सीएए) को रद्द कर देगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मणिपुर का दौरा नहीं करने पर भी तंज कसा। पूर्वोत्तर का यह राज्य पिछले साल मई से ही जातीय हिंसा से जूझ रहा है। खेड़ा ने आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘असम में बाहर से आने वाले लोगों के वैध तरीके से रहने की अंतिम तारीख 1971 है लेकिन सीएए इसे छीन लेगा क्योंकि उसमें अंतिम तारीख 2014 होगी।’’ वह असम समझौते के अनुसार, बांग्लादेश से असम में प्रवेश करने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने के लिए 25 मार्च, 1971 की अंतिम तारीख का जिक्र कर रहे थे। सीएए के तहत केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को या इससे पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों-हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया है। खेड़ा ने कहा, ”अगर कांग्रेस सत्ता में आएगी तो सीएए को रद्द कर देगी।’’ दिसंबर 2019 में संसद द्वारा सीएए पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद पूर्वोत्तर क्षेत्र सहित देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। गृह मंत्रालय नियम बनाने के लिए संसदीय समिति से नियमित अंतराल पर समय विस्तार की मांग करता रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले महीने कहा था कि सीएए को लागू करने के लिए नियमों की घोषणा लोकसभा चुनाव से पहले की जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी का इस सप्ताह असम का दौरा करने का कार्यक्रम है। कांग्रेस नेता खेड़ा ने मणिपुर नहीं जाने पर प्रधानमंत्री की आलोचना की। खेड़ा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मणिपुर जाने से क्यों डरते हैं? हमारा उनसे अनुरोध है कि जब वह यहां आएं तो कम से कम आधे घंटे के लिए मणिपुर का दौरा करें।’’ मणिपुर में पिछले साल मई में शुरू जातीय हिंसा में अब तक 219 लोगों की जान जा चुकी हैं। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा भष्टाचार में संलिप्त हैं। उन्होंने दावा किया कि जनता उन्हें माकूल जवाब देगी। खेड़ा ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान असम में अच्छा प्रदर्शन करेगी।

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इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को कहा कि राज्य पुलिस गुवाहाटी में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान हिंसा को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को समन जारी करेगी। शर्मा ने कहा कि पुलिस लोकसभा चुनाव के बाद नोटिस भेजेगी और गांधी को पुलिस के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा। उन्होंने एक आधिकारिक समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब कोई कानून तोड़ता है, तो जाहिर तौर पर समन जारी किया जाएगा। समन राहुल गांधी के पास जाएगा और उन्हें लोकसभा चुनाव के बाद यहां खड़ा होना होगा।’’ शर्मा ने कहा कि कांग्रेस विधायक जाकिर हुसैन सिकदर और असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा को जारी समन इस प्रक्रिया की ‘शुरुआत’ है। मुख्यमंत्री जनवरी में ‘न्याय यात्रा’ के दौरान शहर के अंदर मुख्य सड़कों से गुजरने की कोशिश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा बैरिकेड तोड़ने पर गुवाहाटी पुलिस द्वारा दर्ज किये गये मामले का जिक्र कर रहे थे। अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने शुरुआती नोटिस सिकदर और पार्टी के गुवाहाटी शहर के महासचिव रमन कुमार शर्मा को जारी किये थे और उन दोनों से पुलिस पहले ही पूछताछ कर चुकी है। बाद में इसने राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया और बोरा को भी समन भेजा, लेकिन वे दोनों निर्धारित तिथि पर उपस्थित नहीं हुए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘‘हमने दोनों को दूसरी बार नोटिस जारी किये हैं। सैकिया को छह मार्च को हमारे सामने पेश होने के लिए कहा गया है, जबकि बोरा को सात मार्च को पेश होने को कहा गया है।’’ बोरा ने ताजा समन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह बृहस्पतिवार को पेश नहीं हो पाएंगे, क्योंकि उस दिन उनके पिता की पुण्यतिथि है और इसके अलावा, आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर उनकी पार्टी की बैठक भी है। उन्होंने कहा, ‘‘गुवाहाटी में, एक ही वर्ष में 2,745 मामले दर्ज किए गए। लेकिन पुलिस उनकी पड़ताल नहीं कर सकती और उन्हें हल नहीं कर सकती, क्योंकि उनके लिए सबसे बड़ा अपराधी भूपेन बोरा ही है।’’ उन्होंने असम कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष राणा गोस्वामी के स्पष्ट संदर्भ में कहा, ‘‘इससे पहले, अन्य कांग्रेस नेताओं को भी यात्रा के दौरान हिंसा में उनकी कथित भूमिका के लिए नोटिस जारी किये गये थे, लेकिन उनके भाजपा में शामिल होने के बाद सब कुछ शांत हो गया। हालांकि, मैं भाजपा में शामिल नहीं होने जा रहा हूं।’’ गोस्वामी हाल ही में सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हुए हैं। बैरिकेड तोड़ने के मामले में राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, जितेंद्र सिंह, जयराम रमेश, श्रीनिवास बीवी, कन्हैया कुमार, गौरव गोगोई, भूपेन कुमार बोरा और देबब्रत सैकिया सहित कई अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के नाम भी प्राथमिकी में हैं।
इसके अलावा, असम में विपक्षी दलों ने इस हफ्ते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राज्य के दौरे के दौरान उनसे मिलने का समय मांगा है ताकि वे उन्हें संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) लागू होने पर उत्पन्न होने वाली स्थिति से अवगत करा सकें। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख भूपेन बोरा द्वारा भेजे गए एक पत्र में प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा गया है। बोरा, ‘असम संयुक्त विपक्षी मंच’ के प्रमुख भी है जो 16 विपक्षी दलों का प्रतिनिधित्व कर रहा है। पत्र में कहा गया है, ‘‘जाति, पंथ और राजनीतिक संबद्धता के बावजूद असम के लोगों के बीच यह मजबूत धारणा है कि संशोधित नागरिकता अधिनियम, 2019 असमिया लोगों की संस्कृति, इतिहास, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, सामाजिक ताने-बाने और अस्मिता को खतरे में डाल देगा।’’ इसके अलावा, उक्त अधिनियम 1985 के ऐतिहासिक असम समझौते को रद्द कर देगा, जिसे असमिया लोगों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। विपक्षी दलों ने 8-9 मार्च को प्रधानमंत्री की असम यात्रा के दौरान उनसे मिलने का समय मांगा है। पत्र में, राज्य में कोविड-19 के प्रसार से पहले 2019-20 में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का उल्लेख किया गया है, जिस दौरान पांच लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे।
इसके अलावा, असम के माजुली जिले के मुखौटा निर्माण और पांडुलिपि चित्रकारी को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग प्राप्त हुए हैं। सोमवार को एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई है। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि ‘जीआई टैग’ मिलने से कलाकारों के कौशल की रक्षा होगी। शर्मा ने कहा, “माजुली के मुख शिल्प की उत्पत्ति श्रीमंत शंकरदेव के समय से मानी जाती है, जिन्होंने भक्ति के लिए कला को माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया। क्षेत्र के मुखौटे और पांडुलिपि चित्रकारियों को जीआई टैग देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को मेरा आभार। इससे हमारे कलाकारों के समृद्ध कौशल की रक्षा होगी।” माजुली दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप है।
इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि मादक पदार्थों के खिलाफ चलाए गए अभियानों के मामले में 2023 राज्य के लिए सबसे सफल वर्ष रहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अवधि के दौरान 4,700 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 718 करोड़ रुपये के मादक पदार्थ जब्त किए गए। शर्मा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मोदी सरकार मादक पदार्थ मुक्त भारत के निर्माण के लिए संपूर्ण दृष्टिकोण अपना रही है। वर्ष 2023 में, असम पुलिस ने 718 करोड़ रुपये के मादक पदार्थ जब्त किए और 4,700 से अधिक तस्करों को गिरफ्तार किया गया। इससे यह राज्य में मादक पदार्थ रोधी अभियानों के लिए सबसे सफल वर्ष बन गया।’’ उन्होंने मादक पदार्थों के खिलाफ जारी युद्ध में केंद्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे विभिन्न कदमों पर एक वीडियो भी साझा किया। इस बीच, गुवाहाटी में मादक पदार्थों के दो संदिग्ध तस्करों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 500 ग्राम हेरोइन बरामद की गई। इस अभियान को राज्य पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने अंजाम दिया। शर्मा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि ‘‘गुवाहाटी में गहन छानबीन’’ के बाद एसटीएफ ने दो लोगों को पकड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उनके परिसरों पर तलाशी एवं जब्ती की कार्रवाई की गई और साबुन के डिब्बों में रखी गई 500 ग्राम हेरोइन बरामद की गई।’’
मणिपुर
मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य विधानसभा ने सक्षम प्राधिकार की मंजूरी के बिना स्थानों का नाम परिवर्तन करने को दंडनीय अपराध बनाने संबंधी एक विधेयक पारित कर दिया है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने विधानसभा में ‘मणिपुर स्थानों का नाम विधायक, 2024’ पेश किया था और इसे सदन में आम-सहमति से पारित कर दिया। सिंह ने विधेयक पारित होने के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मणिपुर राज्य सरकार हमारे इतिहास, सांस्कृतिक धरोहर और पुरखों से चली आ रही विरासत की रक्षा करने को लेकर गंभीर है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम बिना सहमति के स्थानों का नाम बदलना और उनके नामों का दुरुपयोग करना बर्दाश्त नहीं करेंगे और इस अपराध के दोषियों को सख्त कानूनी दंड दिया जाएगा।’’ विधेयक के अनुसार, सरकार की सहमति के बिना गांवों/स्थानों का नाम बदलने के दोषियों को अधिकतम तीन साल की जेल की सजा दी जा सकती है और उन पर तीन लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने सोमवार को विधानसभा में कहा था, ‘‘ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनमें चुराचांदपुर को लमका और कांगपोकपी को कांगुई कहा गया है…इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है।’’ सिंह ने बताया कि राज्य सरकार ने स्थानों/गांवों को दिए सभी नए नाम पहले ही रद्द कर दिए हैं।
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि इस साल तीन मई 2023 से 27 फरवरी तक राज्य में म्यांमा के 6,746 अवैध नागरिकों का पता चला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बायोमेट्रिक डेटा संग्रह के बाद म्यांमा के 259 नागरिकों को उनके मूल स्थान पर वापस भेज दिया गया, जबकि बाकी को आम जनता के साथ घुलने-मिलने से रोकने के लिए अस्थायी आश्रयों में रखा जा रहा है। सिंह ने सदन को सूचित किया कि सत्र में भाग नहीं लेने वाले विधायकों के साथ बातचीत शुरू करने के लिए हिल एरिया कमेटी के डी गंगमेई की अध्यक्षता में एक सुलह टीम की स्थापना की गई है। सिंह ने राज्य में शांति और सद्भाव बहाल करने के लिए संकट को तुरंत हल करने के महत्व पर जोर दिया।
इसके अलावा, सीबीआई ने मणिपुर जातीय हिंसा के दौरान बिष्णुपुर पुलिस शस्त्रागार से हथियार और गोला-बारूद की लूट के मामले में सात आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। सीबीआई ने हाल में असम के गुवाहाटी में कामरूप (मेट्रोपोलिटन) में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष अपना आरोप पत्र दाखिल किया। लैशराम प्रेम सिंह, खुमुकचम धीरेन उर्फ थपकपा, मोइरंगथेम आनंद सिंह, अथोकपम काजीत उर्फ किशोरजीत, लौकराकपम माइकल मंगांगचा उर्फ माइकल, कोंथौजम रोमोजीत मेइती उर्फ रोमोजीत और कीशम जॉनसन उर्फ जॉनसन आरोप पत्र में नामजद आरोपी हैं। भीड़ ने पिछले साल तीन अगस्त को बिष्णुपुर के नारानसीना में द्वितीय इंडिया रिजर्व बटालियन मुख्यालय के दो कमरों से 300 से अधिक हथियार, 19,800 गोला-बारूद और अन्य सामान लूट लिया था। अधिकारियों के मुताबिक, भीड़ ने 9,000 कारतूस, एके श्रृंखला की एक असॉल्ट राइफल, तीन ‘घातक’ राइफल, 195 सेल्फ-लोडिंग राइफल, पांच एमपी-4 बंदूक, 16.9 एमएम की पिस्तौल, 25 बुलेटप्रूफ जैकेट, 21 कार्बाइन, 124 हथगोले सहित अन्य हथियार लूट लिए थे। चुराचांदपुर की ओर मार्च करने के लिए लोगों की भीड़ नारानसीना में इकट्ठा हुई थी, जहां आदिवासी, राज्य में तीन मई को भड़की जातीय हिंसा में मारे गए समुदाय के लोगों को सामूहिक रूप से दफनाने की योजना बना रहे थे। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में पिछले साल तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी। इसके कारण तब से अब तक 219 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
इसके अलावा, मणिपुर में आगामी लोकसभा चुनाव में राहत शिविरों में विशेष मतदान केंद्र बनाए जाएंगे ताकि जातीय हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोग वोट डाल सकें। राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘राज्य के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में पंजीकृत मतदाताओं को तीन मई 2023 को शुरू हुए संघर्ष के दौरान उनके मूल स्थानों से विस्थापित होना पड़ा। अभी वह विभिन्न जिलों में राहत शिवरों में रह रहे हैं। विस्थापित हुए मतदाताओं के नाम अब भी उन स्थानों पर मतदाता सूची में शामिल हैं जहां वे संघर्ष शुरू होने से पहले रहते थे।’’ बयान के अनुसार, ‘‘ईसीआई ने केंद्र और राज्य सरकारों के साथ उचित विचार-विमर्श करने के बाद निर्देश दिया है कि संघर्ष के दौरान अपने मूल स्थानों को छोड़कर गए ऐसे सभी विस्थापित लोग राज्य में संबंधित विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में शामिल रहेंगे।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘पहले की तरह ही आंतरिक रूप से विस्थापित मतदाताओं को राहत शिविरों में लगाए जाने वाले विशेष मतदान केंद्रों पर वोट करने की सुविधा उपलब्ध करायी जाए।’’ विशेष मतदान केंद्रों पर हुए मतदान के तहत पड़े मतों की गिनती निर्दिष्ट मनोनीत सहायक रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा की जाएगी। राज्य में घाटी के पांच जिलों और तीन पर्वतीय जिलों में राहत शिविरों में 50,000 से अधिक आंतरिक रूप से विस्थापित लोग रह रहे हैं।
इसके अलावा, मणिपुर विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से राज्य में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने की अपील की। विधानसभा अध्यक्ष सत्यब्रत ने कहा, ‘‘सदन पांच अगस्त, 2022 को पारित अपने पिछले प्रस्ताव की फिर से पुष्टि करने का संकल्प लेता है, और विशेष रूप से राज्य और सामान्य रूप से राष्ट्र के हित में मणिपुर में एनआरसी लागू करने के लिए भारत सरकार से आग्रह करता है।’’ एक अन्य घटनाक्रम में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सदन को सूचित किया कि चुराचांदपुर में 15 फरवरी की घटना के संबंध में आठ प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। जिले में उस दिन भीड़ ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में तोड़फोड़ की थी और आंशिक रूप से आग लगा दी थी। कांग्रेस विधायक के मेघचंद्र द्वारा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिये उठाए गए मुद्दे का जवाब देते हुए सिंह ने कहा, ‘‘आठ प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जिनमें से दो मामले सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) को सौंपे गए हैं।’’ उन्होंने बताया कि घटना में छह पुलिस कर्मी और 43 आम लोग घायल हो गए थे और हिंसा में संलिप्त 20 लोगों की पहचान की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि घटना के वीडियो रिकॉर्डिंग से जानकारी मिली है कि भीड़ के बीच में एके-47 राइफल वाले लोगों सहित हथियारबंद लोग मौजूद थे। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कदम उठा रही है।
मेघालय
मेघालय से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के ईस्ट खासी हिल्स जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास भीड़ ने अर्धसैनिक बल सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) पर हमला किया और इसमें एक तस्कर की मौत हो गई, जबकि बीएसएफ के तीन कर्मियों सहित चार अन्य घायल हो गए। यह जानकारी बीएसएफ ने दी। बीएसएफ ने बयान में कहा कि यह घटना दलिया गांव में हुई, जब लोगों का एक समूह सामान की तस्करी के लिए सीमा के दोनों ओर एकत्र हुआ था, जिनके भारत और बांग्लादेश के तस्कर होने का संदेह था। इसमें कहा गया है कि तस्करों द्वारा बीएसएफ पर पत्थरों, धारदार हथियारों और लाठियों से हमला करने के बाद जवानों ने गोलीबारी की, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। इसमें कहा गया है कि इस झड़प में बीएसएफ के तीन जवान और एक बांग्लादेशी तस्कर घायल हो गए। बीएसएफ ने कहा कि मेघालय से बांग्लादेश में मवेशी, चीनी, प्याज, शराब और अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी की जाती है।
मिजोरम
मिजोरम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के गृहमंत्री के सपडांगा ने विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार यहां शरण लेने वाले म्यांमा, बांग्लादेश और मणिपुर के 42,000 से अधिक लोगों को राहत जारी रखेगी। एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि म्यांमा और बांग्लादेश से शरण चाहने वालों और मणिपुर से यहां आए लोगों की संख्या बदलती रहती है और दैनिक आधार पर इसकी गणना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि गृह विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार मणिपुर के 9,248, म्यांमा के 32,161 और बांग्लादेश के 1,167 लोग राज्य में हैं। सपडांगा ने मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) विधायक के लालदावंगलियाना द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा “हम म्यांमा और बांग्लादेश के शरण चाहने वालों और मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को मानवीय आधार पर यथासंभव राहत जारी रखेंगे।” उन्होंने कहा कि केंद्र ने म्यांमा, बांग्लादेश और मणिपुर के लोगों की सहायता के लिए पिछली मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सरकार को तीन करोड़ रुपये प्रदान किए थे। पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा था कि राज्य सरकार अपने उपलब्ध संसाधनों से लोगों को राहत मुहैया करा रही है।
इसके अलावा, मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी सरकार म्यांमा और बांग्लादेश के शरणार्थियों का बायोमेट्रिक विवरण एकत्र नहीं करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र वर्तमान में म्यांमा और बांग्लादेश के शरणार्थियों और मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (आईडीपी) को राहत देने के लिए राज्य सरकार को सहायता प्रदान कर रहा है। लालदुहोमा ने विधानसभा को यह जानकारी दी कि गृह मंत्रालय ने पिछले साल अप्रैल में राज्य सरकार को म्यांमा और बांग्लादेश के शरणार्थियों का बायोमेट्रिक विवरण एकत्र करने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सरकार ने केंद्र के निर्देशानुसार काम शुरू कर दिया था लेकिन पिछले साल सितंबर में मंत्रिपरिषद ने नवंबर में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए यह काम रोकने का फैसला किया था। विपक्षी एमएनएफ सदस्य रॉबर्ट रोमाविया रॉयटे के एक सवाल का जवाब देते हुए लालदुहोमा ने कहा, ‘‘ हमारी सरकार ने म्यांमा और बांग्लादेश के शरणार्थियों का बायोमेट्रिक विवरण एकत्र नहीं करने का निर्णय लिया है। जनवरी में केंद्रीय गृह मंत्री के साथ मेरी बैठक के दौरान मैंने उन्हें अवगत कराया कि केंद्र पहले ही मौजूदा पोर्टल का इस्तेमाल कर रहा है जो अवैध अप्रवासियों के निर्वासन, शरणार्थियों के बायोमेट्रिक विवरण एकत्र करने के लिए है।’’
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत देबबर्मा ने कहा कि वह ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ की मांग नहीं छोड़ेंगे। देबबर्मा ने राज्य के मूल लोगों की समस्याओं के स्थायी समाधान के वास्ते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में उनकी पार्टी, केंद्र और त्रिपुरा सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के एक दिन बाद यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘हम ग्रेटर टिपरालैंड की मांग नहीं छोड़ेंगे, भले ही इसे हासिल करने में समय लगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी अयोध्या में राम मंदिर की मांग कभी नहीं छोड़ी और आखिरकार कई वर्षों के बाद उन्हें इसमें सफलता मिली। इसी तरह टिपरा मोथा भी राज्य के लिए ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ की मांग करना नहीं छोड़ेगा।’ देबबर्मा समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अपनी पार्टी की समीक्षा बैठक के बाद प्रेस से बात कर रहे थे। एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘आने वाले दिनों में टिपरा समझौते को कैसे लागू किया जाएगा, इसके बारे में आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करने के लिए आज पार्टी के नेताओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। साथ ही हम अपने आंदोलन को कैसे मजबूत बना सकते हैं, इसको लेकर भी चर्चा की गई।’ एक आधिकारिक बयान के अनुसार समझौते के तहत, त्रिपुरा के मूल निवासियों के इतिहास, भूमि और राजनीतिक अधिकारों, आर्थिक विकास, पहचान, संस्कृति और भाषा से संबंधित सभी मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने पर सहमति हुई। प्रेस से बातचीत के दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या टिपरा मोथा अपने दम पर लोकसभा चुनाव लड़ेगा तो देबबर्मा ने कहा कि वह उचित समय आने पर पार्टी के फैसले की घोषणा करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘समय आने पर मैं फेसबुक लाइव आकर इस बारे में घोषणा करूंगा।’ कांग्रेस की प्रदेश इकाई के नेताओं के साथ अपनी मुलाकात पर उन्होंने कहा, ‘सुदीप रॉय बर्मन और आशीष कुमार साहा मेरे दोस्त हैं। कांग्रेस विधायक बिराजित सिन्हा से भी मेरे अच्छे संबंध हैं। वहीं, अमित शाह जी और आदित्य ठाकरे के साथ मेरे व्यक्तिगत संबंध हैं।’
इसके अलावा, त्रिपुरा विधानसभा ने सोमवार को एक प्रस्ताव पारित कर उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बने राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अथक प्रयास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताया। प्रश्नकाल के बाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक किशोर बर्मन ने प्रस्ताव पढ़ा, जिसमें 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया गया। उन्होंने कहा, “मैं मुख्यमंत्री माणिक साहा और संसदीय कार्य मंत्री रतन लाल नाथ को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे 500 साल बाद रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए प्रस्ताव पेश करने का अवसर दिया, यह कार्यक्रम (रामलला प्राण प्रतिष्ठा) केवल एक मूर्ति के सामने पूजा करने के लिये नहीं था, इसने लोगों में विश्वास पैदा किया है।” बर्मन ने जोर देकर कहा कि भगवान राम न केवल हिंदुओं के लिए, बल्कि विभिन्न धर्मों के लाखों लोगों के लिए भी एक आदर्श हैं, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का काम करेगा और उन्हें मातृभूमि के प्रति उनके कर्तव्य की याद दिलाएगा।
इसके अलावा, त्रिपुरा के आदिवासी समुदायों द्वारा पहने जाने वाले हाथ से बुने हुए कपड़े रिसा को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग दिया गया है। मुख्यमंत्री माणिक साहा ने यह जानकारी दी। उन्होंने इस मान्यता के लिए कारीगरों, विशेषकर गोमती जिले के ‘किला महिला क्लस्टर’ के कारीगरों को बधाई दी। साहा ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि ‘त्रिपुरा रिसा’ को जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग मिलने पर सभी कारीगरों, विशेषकर टीआरएलएम द्वारा प्रवर्तित ‘किला महिला क्लस्टर’ के कारीगरों को हार्दिक बधाई। इससे निश्चित रूप से हमारे पारंपरिक परिधान को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि राज्य के मूल निवासियों की समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए किया गया समझौता शांति एवं समृद्धि हासिल करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में शनिवार को टिपरा मोथा, त्रिपुरा सरकार एवं केंद्र सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। साहा ने कहा, ‘‘यह त्रिपुरा के लिए ऐतिहासिक दिन है क्योंकि इस दिन शांति एवं समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।’’ एक आधिकारिक बयान के अनुसार समझौते के तहत, त्रिपुरा के मूल लोगों के इतिहास, भूमि एवं राजनीतिक अधिकारों, आर्थिक विकास, पहचान, संस्कृति और भाषा से संबंधित सभी मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने पर सहमति व्यक्त की गई। शाह ने कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर करके सरकार ने इतिहास का सम्मान किया है, पिछली गलतियों को सुधारा है और उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ने के लिए वर्तमान वास्तविकता को स्वीकार किया है। साहा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘टिपरा मोथा पिछले कुछ महीनों से कुछ मुद्दे उठा रहा है। आज हुआ समझौता विपक्षी दल की चिंताओं को दूर करेगा।’’ उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करने पर ध्यान दिए जाने की सराहना करते हुए कहा कि पिछले कुछ साल में क्षेत्र के विभिन्न संगठनों के साथ केंद्र ने कुल 11 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। त्रिपुरा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन को टिपरा मोथा के नाम से जाना जाता है। टिपरा मोथा, राज्य और केंद्र सरकारों के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर यहां नॉर्थ ब्लॉक में हस्ताक्षर किए गए।
नगालैंड
नगालैंड से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि नगालैंड राज्य निर्वाचन आयोग ने 20 वर्ष के अंतराल के बाद शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) चुनाव कराने के लिए नगरपालिका और नगर परिषदों की मतदाता सूची में संशोधन शुरू कर दिया है। राज्य निर्वाचन आयुक्त (एसईसी) टी. जॉन लॉन्गकुमेर ने अपने कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मतदाता सूची का मसौदा आठ मार्च को प्रकाशित होगा, जबकि दावे और आपत्तियां दर्ज कराने की अवधि 11 से 20 मार्च तक होगी। उन्होंने बताया कि दावों एवं आपत्तियों के निस्तारण की अवधि 21 मार्च से 27 मार्च तक निर्धारित की गई है, जबकि संबंधित अपीलीय प्राधिकारियों के समक्ष अपील दायर करने की अवधि 28 मार्च से 3 अप्रैल तक होगी। उन्होंने बताया कि अपीलीय प्राधिकारी 4 से 6 अप्रैल तक दावों और आपत्तियों का निस्तारण करेंगे। एसईसी ने बताया कि अपीलीय प्राधिकारी के निर्णय के बाद संशोधनों की सूची 8 से 10 अप्रैल तक तैयार की जाएगी और मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 12 अप्रैल को तय किया गया है। नगालैंड में आखिरी यूएलबी चुनाव 2004 में हुए थे।
इसके अलावा, नगालैंड छह जून 2016 से पहले स्वीकृत पदों पर संविदा या तदर्थ आधार पर नियुक्त राजपत्रित और अराजपत्रित सरकारी कर्मचारियों को नियमित करेगा। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अधिकारी के मुताबिक विधानसभा में मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो द्वारा पेश किए गए दो प्रस्तावों को स्वीकार कर यह निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि सदन ने सर्वसम्मति से समूह ए और बी तथा समूह सी और डी के कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने के लिए एक बार की प्रक्रिया अपनाने की नीति का निर्णय लिया, जिसके तहत छह जून 2016 से पहले स्वीकृत पदों पर संविदा अथवा तदर्थ आधार पर नियुक्त और 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा। इन कर्मचारियों को नियमित करने के दोनों प्रस्ताव विधानसभा में ध्वनिमत से पारित हो गए। एक सूत्र ने बताया कि नियमित किए जाने वाले कर्मचारियों की सही संख्या अभी तय नहीं की गई है, क्योंकि संबंधित विभाग अब इस दिशा में प्रक्रिया शुरू करेंगे।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस विधायक दल के नेता लोम्बो तायेंग सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गये। तायेंग के पाला बदलने के साथ वर्ष 2019 में 60 सदस्यीय विधानसभा में चार सीट जीतने वाली कांग्रेस के पास अब केवल एक विधायक बचा है जो पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी हैं। पिछले हफ्ते अन्य दो कांग्रेस विधायक, निनॉन्ग एरिंग और वांगलिन लोवांगडोंग, दो एनपीपी विधायकों (मुत्चू मिथी और गोकर बसर) के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। पूर्वी सियांग जिले के मेबो से छह बार के विधायक तायेंग के साथ, तिरप जिले के खोंसा पश्चिम के निर्दलीय विधायक चकत अबो भी ईटानगर में पार्टी के राज्य मुख्यालय में भाजपा में शामिल हुए। राज्य में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव भी होते हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बियूराम वाहगे ने दोनों विधायकों का पार्टी में स्वागत किया। तायेंग राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री थे।
इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के लोअर सुबनसिरी से अलग करके केयी पानयोर को राज्य का 26वां जिला बनाया गया है। न्यीशी समुदाय के लोग नए जिले की लंबे समय से मांग कर रहे थे। इस जिले का मुख्यालय टेर गापिन-सैम सार्थ में होगा। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने राज्य की जनता को नया जिला बनने की बधाई दी और कहा कि केयी पानयोन जिले के गठन से विकास और प्रगति के नए युग की शुरुआत होगी। उन्होंने कृषि तथा बागवानी के क्षेत्र में जिले की क्षमताओं का जिक्र किया और उसके विकास के लिए राज्य सरकार का पूरा सहयोग मिलने का वादा किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने लोगों से चुनाव के वक्त ‘वोट के बदले नोट’ के चलन को नकारने की भी अपील की। उन्होंने जिले के समृद्ध भविष्य के लिए भ्रष्टाचार मुक्त तंत्र के निर्माण के महत्व पर भी जोर दिया। खांडू ने नये उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को जिले का झंडा सौंपा।

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