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Poorvottar Lok: Rahul Gandhi की यात्रा ने बढ़ाई पूर्वोत्तर में राजनीतिक सरगर्मी, Manipur में फिर हिंसा से देश चिंतित

राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के तहत इस समय पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर हैं तो वहीं केंद्रीय गृह मंत्री भी कुछ सरकारी कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के दौरे पर हैं। इस सप्ताह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी पूर्वोत्तर आना था लेकिन खराब मौसम के चलते उनकी यात्रा रद्द कर दी गयी। आइये डालते हैं एक नजर पूर्वोत्तर भारत से इस सप्ताह की कुछ बड़ी खबरों पर और सबसे पहले बात करते हैं असम की।
असम
असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि भारत में शायद ‘सबसे भ्रष्ट सरकार’ असम में है। ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के नगालैंड से असम में प्रवेश करने के तुरंत बाद, गांधी ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की आलोचना की और कहा कि वे ‘‘नफरत फैला रहे हैं और जनता का पैसा लूट रहे हैं।’’ गांधी ने शिवसागर जिले के हालोवाटिंग में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘शायद, भारत में सबसे भ्रष्ट सरकार असम में है। हम ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान असम के मुद्दों को उठाएंगे।’’ मणिपुर के बारे में बात करते हुए गांधी ने कहा कि उस राज्य में गृह युद्ध जैसी स्थिति है। मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जा देने की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद पिछले साल तीन मई को पहली बार झड़पें हुई थीं। मणिपुर में मेइती समुदाय की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासियों-नगा और कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत है जो पर्वतीय जिलों में रहते हैं। गांधी ने कहा, ‘‘मणिपुर बंटा हुआ है और प्रधानमंत्री ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया है। नगालैंड में, नौ साल पहले एक समझौते (नगा राजनीतिक मुद्दे का समाधान करने के लिए) पर हस्ताक्षर किए गए थे और लोग अब पूछ रहे हैं कि इसका क्या हुआ।’’ भाजपा के इस बयान पर पलटवार करते हुए कि ऐसी यात्राओं से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होगा, गांधी ने कहा कि पिछले साल की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने देश के ‘‘राजनीतिक विमर्श’’ को बदल दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा और आरएसएस नफरत फैला रहे हैं और समुदायों को एक -दूसरे से लड़वा रहे हैं। उनका एकमात्र काम जनता का पैसा लूटना है।’’ कांग्रेस नेता ने यह भी आरोप लगाया कि सभी भाजपा शासित राज्य ‘‘आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक अन्याय का सामना कर रहे हैं’’ और यात्रा के दौरान इन सभी मुद्दों को उठाया जायेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमने मणिपुर से ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ शुरू की और यह महाराष्ट्र तक जारी रहेगी। इस यात्रा का उद्देश्य न केवल भारत के हर धर्म और जाति को एकजुट करना है बल्कि न्याय दिलाना भी है।’’ मध्यकाल के संत श्रीमंत शंकरदेव का जिक्र करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा कि यह ‘न्याय यात्रा’ शंकरदेव की विचारधारा की यात्रा है। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने आप (लोगों) को रास्ता दिखाया, सभी को एकजुट करने का प्रयास किया और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी। हम सिर्फ असम के इतिहास की नकल कर रहे हैं। ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ का उद्देश्य भी यही है।’’ श्रीमंत शंकरदेव एक असमिया संत-विद्वान, सामाजिक-धार्मिक सुधारक हैं। वह असम में 15वीं-16वीं शताब्दी के सांस्कृतिक व धार्मिक इतिहास के एक महान शख्सियत हैं। यात्रा नगालैंड से शिवसागर जिले के हालोवाटिंग होते हुए असम पहुंची। गांधी ने सुबह नगालैंड के तुली से बस यात्रा फिर से शुरू की और सुबह लगभग पौने 10 बजे असम पहुंचे। हालोवाटिंग में सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ताओं ने गांधी का स्वागत किया और राज्य में आठ दिवसीय यात्रा के लिए कांग्रेस की असम इकाई के नेताओं को राष्ट्रीय ध्वज सौंपा गया। यात्रा हालोवाटिंग से फिर से शुरू हुई और शिवसागर के अमगुरी शहर से होते हुए जोरहाट की ओर बढ़ी। सड़क के दोनों ओर बड़ी संख्या में लोग कतार में खड़े थे और गांधी का अभिवादन कर रहे थे। कांग्रेस सांसद के नेतृत्व में 6,713 किलोमीटर की यात्रा 14 जनवरी को मणिपुर से शुरू हुई थी और 20 मार्च को मुंबई में समाप्त होगी। असम में यह यात्रा 25 जनवरी तक जारी रहेगी।‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ 15 राज्यों के 110 जिलों से होकर गुजरेगी।
इसके अलावा, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अलका लांबा ने बुधवार को दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन राज्यों में सत्ता गंवा दी जहां उसने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की अनुमति देने में देरी की। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के तहत राहुल गांधी और पार्टी के अन्य नेताओं ने दक्षिण से उत्तर भारत तक मार्च किया था। अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष लांबा ने असम में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से आग्रह किया कि वह देश के पूर्व से पश्चिम तक पार्टी की यात्रा के हिस्से के रूप में राज्य में चल रही ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ को मंजूरी देने में समस्या पैदा न करें। गांधी ने 14 जनवरी को मणिपुर से यात्रा की शुरुआत की और यह बृहस्पतिवार को असम में प्रवेश करने वाली है। लांबा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हम यहां हिमंत विश्व शर्मा सरकार से यात्रा के लिए आवश्यक अनुमति प्रदान करने का अनुरोध करते हैं। अगर हमें समय पर अनुमति दी जाती है, तो हम खुद को बेहतर तरीके से तैयार कर सकते हैं… लेकिन कोई भी ताकत इसे असम में आने से नहीं रोक सकती।” यात्रा का असम चरण आठ दिनों का होगा और पार्टी ने दावा किया कि उसे अभी तक राज्य सरकार से सभी अनुमतियां नहीं मिली हैं। उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि शर्मा पर केंद्र का दबाव है। लेकिन हम उनसे कहना चाहते हैं कि हमारी यात्रा से डरें नहीं। यह भाजपा की तरह नफरत या लोगों को बांटने वाली नहीं है। यह महात्मा गांधी के आदर्शों पर आधारित प्रेम फैलाने के लिए है।” यह पूछे जाने पर कि क्या पिछले साल सितंबर 2022 से जनवरी 2023 के बीच “भारत जोड़ो यात्रा” निकाले जाने पर पार्टी को अनुमति को लेकर इसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा था, लांबा ने दावा किया कि कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में तत्कालीन भाजपा सरकारों ने उलझनें पैदा की थीं और लोगों को इसमें शामिल होने से रोकने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा, “हमने देखा है कि कैसे इन राज्यों में जनता ने तुरंत बाद हुए चुनावों में भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया।”
इसके अलावा, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का असम के कार्बी आंगलोंग जिले का दौरा खराब मौसम की वजह से बुधवार को रद्द कर दिया गया। उन्हें वहां एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जाना था। मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व शर्मा ने यह जानकारी दी। मुर्मू को कार्बी आंगलोंग जिले में आयोजित कार्बी युवा महोत्सव के स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल होना था। कार्यक्रम में मौजूद शर्मा ने कहा, ”राष्ट्रपति खराब मौसम की वजह से महोत्सव में शामिल नहीं हो सकीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक की खराब मौसम की वजह से मुझे भी आज तड़के चार बजे अपनी यात्रा शुरू करनी पड़ी।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति ने वीडियो संदेश भेजा है जो जल्द ही महोत्सव में प्रसारित किया जाएगा। इससे पहले एक अधिकारी ने बताया था कि राष्ट्रपति मुर्मू का हेलीकॉप्टर बुधवार सुबह खराब मौसम की वजह से उड़ान नहीं भर सका और महामहिम गत चार घंटे से राजभवन में मौसम के अनुकूल होने का इंतजार कर रही थीं। राष्ट्रपति पूर्वोत्तर क्षेत्र के तीन दिवसीय दौरे पर सोमवार को गुवाहाटी पहुंची थीं।

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इसके अलावा, असम में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत 42 लाख से अधिक नये लाभार्थियों को राशन कार्ड वितरण शुरू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र जालुकबाड़ी में इसकी शुरुआत की। शर्मा ने मंगलवार को बोरीपाड़ा क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए इसे वर्तमान सरकार के कार्यकाल में एक मील का पत्थर बताया। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि राज्य भर में राशन कार्ड के औपचारिक वितरण के साथ एनएफएसए के तहत राज्य में कुल 42,85,745 नये लाभार्थियों को कवर किया जाएगा। शर्मा ने कहा, ‘‘अपने सभी निवासियों के लिए खाद्य सुरक्षा हासिल करने के मौजूदा सरकार के प्रभावी प्रयासों में यह एक और मील का पत्थर है।’’ उन्होंने बताया कि राशन कार्डधारक परिवार का प्रत्येक सदस्य हर माह पांच किलोग्राम चावल मुफ्त पाने का हकदार है। उन्होंने कहा कि यह सुविधा हर माह ‘‘अन्न सेवा सप्ताह’’ के दौरान उपलब्ध रहेगी और इस माह के लिए यह 31 जनवरी तक उपलब्ध है। शर्मा ने अंत्योदय अन्न योजना जैसी सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाले प्रशासन द्वारा समाज के वंचित वर्गों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अधिक लोगों तक इसका लाभ पहुंचे यह सुनिश्चित करने के लिए कार्डधारकों के खातिर आय सीमा को दो लाख रुपये प्रति वर्ष से बढ़ाकर चार लाख रुपये कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि राशन कार्ड धारक सरकार की प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना और आयुष्मान भारत तथा आयुष्मान असम स्वास्थ्य देखभाल योजनाओं का लाभ भी उठा सकेंगे। मुख्यमंत्री ने उन विभिन्न पहलों का भी उल्लेख किया, जिन पर अभी काम किया जा रहा है, जिसमें राशन कार्डधारकों के लिए जीवन बीमा और दुर्घटना बीमा कवरेज योजना प्रदान करना शामिल हैं। नये राशन कार्डों के वितरण से 10,73,479 परिवार इसके दायरे में आ जायेंगे। मुख्यमंत्री ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि 2.52 करोड़ राशन कार्ड लाभार्थियों में से 2.32 करोड़ को अब तक कार्ड मिल चुके हैं और शेष को कार्ड उपलब्ध कराने की प्रक्रिया चल रही है। 
इसके अलावा, असम के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘असम वैभव’ के लिए मंगलवार को पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को नामित किया गया। प्रधान न्यायाधीश के पद पर पहुंचने वाले वह पूर्वोत्तर के पहले व्यक्ति हैं। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की। इस दौरान उन्होंने उन प्रमुख हस्तियों के नाम भी बताए जिन्हें राज्य सरकार के दो अन्य प्रमुख पुरस्कार दिए जाएंगे। शर्मा ने कहा, ‘‘इस साल हमने न्यायिक क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को ‘असम वैभव’ पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया है। वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा हैं।” गोगोई 2018-19 में प्रधान न्यायाधीश थे। उन्होंने उस पीठ का नेतृत्व किया था जिसने दशकों पुराने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुकदमे में फैसला सुनाया था। वह वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य हैं और उन्हें मार्च 2020 में मनोनित किया गया था। ‘असम वैभव’ पुरस्कार में पांच लाख रुपये की नकद राशि शामिल है। शर्मा ने ‘असम सौरव’ पुरस्कार के लिए चार प्रमुख व्यक्तियों के नामों की घोषणा की, जिनमें तैराक एल्विस अली हजारिका और धाविका हिमा दास शामिल हैं। सांस्कृतिक विरासत प्रबंधन विशेषज्ञ किशन चंद नौरियाल और तिवा नर्तक नंदीराम देउरी इस श्रेणी के तहत पुरस्कार पाने वाले अन्य विजेताओं में शामिल हैं।
इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को नीति आयोग के आकंड़ों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में तीन साल में गरीबों की संख्या में 25 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा कि 80 लाख से अधिक लोग ‘गरीबी से निकले’ हैं और राज्य ‘‘ आधुनिक इतिहास में सबसे समृद्ध दौर’ का अनुभव कर रहा है। नीति आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए शर्मा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार के कार्यकाल में राज्य में 80 लाख लोग गरीबी से निकले हैं। पिछले तीन साल में गरीबी अनुपात में 25 प्रतिशत की कमी आई है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘ राज्य आधुनिक इतिहास के सबसे समृद्ध दौर का अनुभव कर रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हम वर्तमान में तेजी से विकास पथ पर अग्रसर हैं, जिससे असम देश के शीर्ष पांच राज्यों में से एक बनकर राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देगा।’’ आयोग द्वारा जारी राष्ट्रीय बहु-आयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) को साझा करते हुए शर्मा ने कहा कि राज्य में गरीबों की संख्या 2013-14 के 36.97% से घटकर 2022-23 में 14.47 प्रतिशत पर आ गई है। उन्होंने कहा, ”अनुमान है कि राज्य में 80.36 लाख लोग गरीबी से निकले हैं और यह हमारी कल्याणकारी पहल की बड़ी जीत है।’’ नीति आयोग ने एमपीआई का आकलन 12 संकेतकों के आधार पर किया है जिनमें पोषण, बाल एवं किशोर मृत्युदर, स्कूलों में उपस्थिति, खाना पकाने के लिए ईंधन, स्वच्छता, संपत्ति और बैंक खातें शामिल हैं। नीति आयोग के परिचर्चा पत्र के अनुसार, देश में बहुआयामी गरीबी 2013-14 में 29.17 प्रतिशत थी जो 2022-23 में घटकर 11.28 प्रतिशत रही। इसके साथ इस अवधि के दौरान 24.82 करोड़ लोग इस श्रेणी से बाहर आये हैं।
इसके अलावा, असम में लोगों ने भव्य भोज के आयोजन के साथ ‘भेला घर’ और ‘मेजिस’ को जलाया तथा खेती और फसल से जुड़ा उत्सव माघ बिहू मनाया। राज्य में लगभग नौ वर्षों के बाद सोमवार को पारंपरिक बुलबुल पक्षियों की लड़ाई का पारंपरिक खेल भी आयोजित किया गया। माघ बिहू को ‘भोगली बिहू’ भी कहा जाता है। इसे असमिया माह पुह (दिसंबर-जनवरी) के तहत फसलों की कटाई के मौसम के समापन का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर भोज का आयोजन किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर असम के लोगों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘फसल की सुंदरता हर किसी के जीवन में आशा और खुशी लेकर आये।’’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी असम के लोगों को बधाई देते हुये कहा, ‘‘यह उत्सव सभी के जीवन में सुख और समृद्धि प्रदान करे।’’ असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने लोगों से अपील की कि राज्यभर में प्रेम और आपसी सम्मान के संदेश को बढ़ावा देकर एकजुटता को मजबूत करें। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने उम्मीद जताई कि माघ बिहू सकारात्मक ऊर्जा का संचार करके सुख, शांति और अपार समृद्धि का संदेश लाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘खेतों में लहलहाती सुनहरी नयी फसलें राष्ट्र तथा राष्ट्रवासियों के जीवन को रोशन करें। मैं भोगली की प्रचुरता और परिपूर्णता से सभी लोगों के बीच सद्भाव की भावना को मजबूत करने की कामना करता हूं।’’ एक सप्ताह तक चलने वाला यह उत्सव भोज के आयोजन ‘उरुका’ के साथ शुरू हो जाता है, जो संक्रांति से एक दिन पहले रविवार की रात मनाया गया। इसके तहत लोगों ने रात के खाने में मौसमी सब्जियों, हाल ही में काटी गई धान की फसल के चावल और विभिन्न प्रकार के मांस (जैसे चिकन, बत्तख, मटन, कबूतर, मछली) के व्यंजन तैयार किये। ज्यादातर युवाओं ने अपने घरों के बाहर ‘भेला घर’ और ‘मेजिस’ में एक साथ भोज का आनंद लिया। बांस, सूखे पत्तों और घास की मदद से ‘भेला घर’ और ‘मेजिस’ तैयार किये जाते हैं और इसके आसपास लोग नृत्य करते हैं तथा पर्व का आनंद लेते हैं। बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेने के बाद सोमवार को भोर में ‘भेला घर’ और ‘मेजिस’ को जला दिया गया। लोगों ने एक नयी सकारात्मक शुरुआत और अगले साल अच्छी फसल के लिए भी प्रार्थना की। बुलबुल पक्षियों की लड़ाई के पारंपरिक खेल के संबंध में असम सरकार की ओर से 11 जनवरी को जारी नये निर्देश के बाद सोमवार को इस खेल का आयोजन किया गया। अदालत की ओर से इस आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। नौ वर्षों के अंतराल के बाद यह आयोजन हुआ। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और उनके परिवार के लोगों ने माघ बिहू के दिन सुबह कामरूप जिले के हाजो में हयग्रीव माधव मंदिर का दौरा किया और पर्यटकों के साथ पक्षियों की लड़ाई देखी। पक्षियों की लड़ाई देखने के बाद उन्होंने कहा, ‘‘पारंपरिक रीति-रिवाजों को आगे बढ़ाना हमारी नीतियों का आधार रहा है। लगभग एक दशक के बाद, मैं बुलबुल लड़ाई देख पाया हूं, यह एक सर्वोत्कृष्ट बिहू परंपरा है जिसे हाल ही में हमारी सरकार ने दोबारा शुरू कराया है।’’
मणिपुर
मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के थौबल जिले में बंदूकधारियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी की जिसमें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कम से कम तीन जवान घायल हो गए। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने एक बयान में बताया कि बुधवार देर रात भीड़ में से कुछ बंदूकधारियों ने ‘‘थौबल पुलिस मुख्यालय में तोड़फोड़ करने का प्रयास किया’’ और सुरक्षाकर्मियों पर गोलीबारी की। बयान के अनुसार उग्र भीड़ ने थौबल जिले के खंगाबोक में तीसरी भारतीय रिजर्व बटालियन को निशाना बनाया, सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई करके उन्हें खदेड़ दिया। इसके अनुसार, ‘‘इसके अलावा, भीड़ ने थौबल पुलिस मुख्यालय में तोड़फोड़ करने का प्रयास किया, जिसके बाद सुरक्षा बलों को बल प्रयोग करना पड़ा। भीड़ में से हथियारबंद लोगों ने गोलियां चलाईं जिससे बीएसएफ के तीन जवान घायल हो गये।’’ बयान के अनुसार तीनों की पहचान कांस्टेबल गौरव कुमार, एएसआई सोबराम सिंह और एएसआई रामजी के रूप में की गई है। उन्हें एक निजी अस्पताल ले जाया गया। जिला प्रशासन ने थौबल में कर्फ्यू लगा दिया है। स्वास्थ्य, मीडिया और अदालतों के कामकाज में शामिल लोगों और हवाई अड्डों पर जाने वाले लोगों सहित आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को हालांकि कर्फ्यू से छूट दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य में तेंगनोउपल जिले के सीमावर्ती शहर मोरेह में उग्रवादियों ने सुरक्षा बलों के एक वाहन पर बुधवार को हमला कर दिया था जिसमें मणिपुर पुलिस के दो कमांडो शहीद हो गये थे। 
इसके अलावा, मणिपुर के तेंगनोपल जिले के मोरेह में राज्य सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच गोलीबारी में बुधवार शाम एक और सुरक्षाकर्मी की गोली लगने से मौत के बाद मृतकों की संख्या दो हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि मृतक की पहचान इंफाल पश्चिम जिले के लमशांग के तखेल्लंबम सेलेशवोर के रूप में की गई है। इससे पहले, दिन में इमा कोंडोंग लैरेम्बी देवी मंदिर के पास घात लगाकर किए गए हमले के दौरान, मणिपुर पुलिस के 32 वर्षीय जवान वांगखेम समरजीत की गोली लगने से मौत हो गई। असम राइफल्स की लोकेशन प्वाइंट (केएलपी) में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच गोलीबारी में मणिपुर पुलिस के दो और जवान घायल हो गए। उग्रवादियों ने अस्थायी कमांडो पोस्ट पर आरपीजी गोले भी दागे, जिससे आसपास खड़े कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। इस बीच, मोरेह में पुलिसकर्मियों की हत्या के विरोध में इंफाल पश्चिम जिले के मालोम से बड़ी संख्या में महिलाओं ने हवाई अड्डे की ओर जाने वाली सड़क को अवरुद्ध कर दिया। समरजीत की हत्या के संबंध में गठित संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) के प्रवक्ता एल प्रेमचंद ने संवाददाताओं से कहा कि ‘‘सुरक्षाकर्मी के शव को परिवार के सदस्य तब तक स्वीकार नहीं करेंगे जब तक कि दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता और उन्हें न्याय के कठघरे में नहीं लाया जाता।’’ शोक मनाते हुए पारंपरिक पोशाक पहनकर महिलाएं मार्ग पर वाहनों की आवाजाही को रोकने के लिए सड़क के बीच में बैठ गईं। एक अन्य घटनाक्रम में, इंफाल के मुख्य बाजार ख्वायरमबंद कीथेल से बड़ी संख्या में ‘मीरा पैबीस’ (महिलाओं का समूह) ने मोरेह में सुरक्षा बलों की तैनाती को मजबूत करने की मांग करते हुए एक रैली निकाली। उन्होंने मुख्यमंत्री के बंगले की ओर मार्च किया लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। मोरेह में पिछले कुछ दिनों से सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच अक्सर गोलीबारी हो रही है। गोलीबारी की ताजा घटना राज्य सुरक्षा बलों द्वारा एक पुलिस अधिकारी की हत्या में शामिल दो संदिग्धों की गिरफ्तारी के ठीक 48 घंटे बाद हुई।
इसके अलावा, मणिपुर में जातीय संघर्ष से संबंधित मामलों की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मई 2023 में पुलिस कर्मियों से हथियार और गोला-बारूद की लूट के मामले में पांच लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। सीबीआई के प्रवक्ता ने बुधवार को यह जानकारी दी। अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पिछले साल तीन मई को पर्वतीय जिलों में आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद मणिपुर में भड़की हिंसा में 180 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, आदिवासी नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं। सीबीआई ने कहा कि आरोपपत्र में जिन लोगों के नाम हैं, उनमें मणिपुर की प्रतिबंधित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और कांगलेइपाक कम्युनिस्ट पार्टी (नोयोन) का पूर्व सदस्य मोइरांगथेम आनंद सिंह और कीशम जॉनसन, कोन्थौजम रोमोजीत मेइती, लौक्राकपम माइकल मंगांगचा और आठोकपम काजित शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले उन्हें पिछले साल सितंबर में मणिपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था जब वे कथित तौर पर पुलिस की वर्दी पहनकर और अत्याधुनिक हथियार लेकर धन की उगाही कर रहे थे। उनकी गिरफ़्तारी से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था जो दो दिनों तक जारी रहा। पांचों को अदालत के आदेश के बाद रिहा कर दिया गया, लेकिन सिंह को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने गिरफ्तार कर लिया और राष्ट्रीय राजधानी ले आए। सिंह को कथित तौर पर म्यांमा स्थित विद्रोही समूहों के साथ संबंध रखने और मणिपुर में जातीय अशांति का फायदा उठाकर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यह मामला पिछले साल 19 जुलाई को एनआईए द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए दर्ज किया गया था। जांच से पता चला कि वे राज्य में अशांति का फायदा उठाकर साजिश के तहत विपक्षी जातीय समूह और सुरक्षा बलों पर हमले करने के वास्ते अपनी ताकत बढ़ाने के लिए लोगों को जमीनी कार्यकर्ताओं, सदस्यों और सहानुभूति रखने वालों के रूप में भर्ती कर रहे थे। एनआईए के प्रवक्ता ने कहा था कि वे गैरकानूनी तरीकों से हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक इकट्ठा कर रहे थे, जिसमें सरकारी प्रतिष्ठानों से लूट भी शामिल थी। इंफाल के पांगेई में मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र (एमपीटीसी) में पुलिस शस्त्रागार को चार मई को लूट लिया गया था, जिस दिन राज्य में बहुसंख्यक मेइती समुदाय और आदिवासी कुकी के बीच जातीय संघर्ष हुआ था। सीबीआई प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि जैसा कि प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है, भीड़ ने एमपीटीसी परिसर में धावा बोल दिया और शस्त्रागार से भारी संख्या में हथियार और गोला-बारूद लूट लिया। आरोपपत्र हाल में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, कामरूप (मेट्रो), गुवाहाटी, असम के समक्ष दाखिल किया गया था। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल अगस्त में सीबीआई के मामलों को मणिपुर से असम स्थानांतरित कर दिया था। सिंह न्यायिक हिरासत में है, अन्य चार का फिलहाल पता नहीं चल पाया है। शीर्ष अदालत का यह निर्देश मणिपुर में झड़पों से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान आया। याचिकाकर्ताओं में दो कुकी महिलाएं भी शामिल थीं, जिन पर भीड़ के हमले का वीडियो रिकॉर्ड किया गया था, जो बाद में सोशल मीडिया पर सामने आया था। उच्चतम न्यायालय ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पीड़ितों के बयानों की रिकॉर्डिंग सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने मणिपुर में हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) और सत्र न्यायाधीश के पद से ऊपर के न्यायिक अधिकारियों को नामित करने का निर्देश दिया था।
इसके अलावा मणिपुर में 10 आदिवासी विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर उनसे तीन अधिकारियों की सेवाएं फिर से बहाल करने का राज्य सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया है। इन अधिकारियों को चूराचांदपुर और कांगपोकपी जिलों में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से मान्यता हासिल करने में 26 स्कूलों की मदद करने के आरोप में निलंबित किया गया है। गृह मंत्रालय को भेजे ज्ञापन में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सात विधायकों समेत इन नेताओं ने दावा किया कि ऐसी जानकारी है कि मणिपुर शिक्षा विभाग में सेवा दे रहे कुकी-जोमी अधिकारियों को इस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा के बाद सीबीएसई से मान्यता हासिल करने के वास्ते 26 स्कूलों को अनापत्ति प्रमाणपत्र देने के लिए राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया है। विधायकों ने इन स्कूलों की जल्द से जल्द ‘‘सीबीएसई मान्यता बहाल करने के लिए आवश्यक कदम उठाने’’ की भी मांग की। राज्य के शिक्षा मंत्री टी. बसंत कुमार सिंह की इस पर टिप्पणी नहीं मिल पायी है। इससे पहले, मणिपुर सरकार ने अनधिकृत व्यक्तियों/अधिकारियों द्वारा सीबीएसई मान्यता के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने के मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी। सीबीएसई ने बाद में इस आधार पर तत्काल प्रभाव से मान्यता वापस ले ली थी कि इन स्कूलों द्वारा जमा कराए अनापत्ति प्रमाणपत्र राज्य सरकार के सक्षम प्राधिकारियों ने जारी नहीं किए हैं और राज्य सरकार ने मान्यता रद्द करने का अनुरोध किया है।
मेघालय
मेघालय से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि पूर्वोत्तर में खिलाड़ियों के विकास की जबरदस्त संभावनाएं हैं। मुर्मू ने तुरा के पीए संगमा स्टेडियम में पांचवें मेघालय खेलों के उद्घाटन के मौके पर कहा कि विविधता भारत की सुंदरता है और इसका उपयोग खेल क्षेत्र में देश की वैश्विक छवि को और मजबूत बनाने के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘पूर्वोत्तर क्षेत्र में खेल और खिलाड़ियों के विकास की जबरदस्त संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में पारंपरिक रूप से एक मजबूत खेल संस्कृति है।’ राष्ट्रपति मुर्मू ने आदिवासी क्षेत्रों की प्रतिभाओं का समर्थन करने और उन्हें पेशेवर खिलाड़ी बनने के लिए तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने क्षेत्र में रोमांचकारी खेलों और रोमांचक पर्यटन की संभावनाओं को भी रेखांकित किया। मुर्मू ने कहा कि सरकार की इस नयी पहल से भारतीय खिलाड़ी अब वैश्विक प्रतियोगिताओं में पहले से कहीं अधिक पदक जीत रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘खेलो इंडिया जैसे कार्यक्रम भविष्य के चैंपियनों की पहचान करने और उनको आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत ने बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों की मेजबानी करने की अपनी क्षमता का भी प्रदर्शन किया है। राष्ट्रपति ने बच्चों और युवाओं से कम से कम एक खेल सीखने का भी आग्रह किया।
मिजोरम
मिजोरम से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने सोमवार को कहा कि वह 80 वर्ष का हो जाने के कारण जल्द ही सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेंगे। विधानसभा में विपक्षी दल मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के अध्यक्ष जोरामथंगा ने कहा कि उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तावंलुइया से इस बारे में चर्चा की है और हम दोनों ने निर्णय लिया है कि पार्टी उनके बिना भी जारी रहनी चाहिए। आइजोल में पार्टी कार्यालय के उद्घाटन के बाद उन्होंने एमएनएफ कार्यकर्ताओं से कहा, ‘‘हमने इस मामले पर चर्चा की है और इस बात पर सहमत हुए हैं कि पार्टी हमारी उपस्थिति के बिना भी जारी रहनी चाहिए क्योंकि हम दोनों 80 वर्ष के हो गए हैं। हमने अपनी पार्टी के नेताओं को अपनी सेवानिवृत्ति के बारे में भी सूचित कर दिया है।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी नेता जल्द ही एक ‘नयी व्यवस्था’ की घोषणा करेंगे। जोरामथंगा ने कहा कि एमएनएफ पदाधिकारियों का मौजूदा कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है। पूर्व मुख्यमंत्री और तावंलुइया ने पार्टी नेतृत्व से अनुरोध किया है कि उन्हें नयी जिम्मेदारियां नहीं दी जाएं। विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद जोरामथंगा ने पांच दिसंबर को एमएनएफ अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, पार्टी नेतृत्व ने उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया था। जेडपीएम ने सात नवंबर को हुए चुनाव में एमएनएफ को पराजित कर दिया। एमएनएफ को राज्य विधानसभा की 40 में से केवल 10 सीट मिली। वर्ष 1990 में लालडेंगा की मृत्यु के बाद से जोरामथंगा एमएनएफ अध्यक्ष का पद संभाल रहे हैं। लालडेंगा ने पार्टी की स्थापना की और 1966 से 1986 तक अलगाववादी आंदोलन का नेतृत्व किया। जोरामथंगा 1966 में एमएनएफ के नेतृत्व वाले भूमिगत आंदोलन में शामिल हुए और 1969 में जब संगठन ने अपना आधार पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में स्थानांतरित कर लिया तो वह अध्यक्ष के सचिव बन गए। जोरामथंगा वर्ष 1979 में एमएनएफ के उपाध्यक्ष बने। वह छह बार 1987, 1989, 1993, 1998, 2003 और 2018 में विधायक चुने गये। उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में तीन कार्यकाल (वर्ष 1998 से 2008 और 2018 से 2023) पूरे किये।
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) के आठ उग्रवादियों ने सोमवार को सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस के मुताबिक, इसके साथ ही पिछले वर्ष से हथियार डालने वाले एनएलएफटी उग्रवादियों की कुल संख्या 26 हो गयी। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘एनएलएफटी के पांच कट्टर उग्रवादियों ने राज्य पुलिस मुख्यालय में पुलिस उपमहानिरीक्षक कृष्णेंदु चक्रवर्ती के समक्ष आत्मसमर्पण किया। उन्होंने 17 कारतूस, बांग्लादेशी सिम कार्ड, वॉकी-टॉकी के साथ पांच चीनी पिस्तौल और राइफल पुलिस को सौंप दिये।’ उन्होंने बताया, ”वे हाल ही में बांग्लादेश में अपने शिविरों को छोड़कर सीमा पार करके देश में घुसे थे। आज (सोमवार) उन्होंने सामान्य जीवन जीने के लिए आत्मसमर्पण कर दिया।” चक्रवर्ती ने बताया कि पांच उग्रवादियों का आत्मसमर्पण राज्य पुलिस के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। अधिकारियों ने बताया कि एनएलएफटी के तीन उग्रवादियों ने धलाई जिले के चावमानु में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के समक्ष आत्मसमर्पण किया। पिछले साल से 26 उग्रवादियों द्वारा आत्मसमर्पण करने के अलावा पुलिस ने आठ को गिरफ्तार भी किया है।
नगालैंड
नगालैंड से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोलते हुए उन पर 2015 में प्रारूप समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद नौ साल तक नगा राजनीतिक मुद्दे का समाधान निकालने के लिए कुछ नहीं करने का आरोप लगाया। नगालैंड के मोकोकचुंग शहर में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए गांधी ने कहा कि नगा लोगों के विश्वास के बिना और उनके साथ चर्चा के बिना समस्या का समाधान नहीं निकाला जा सकता। उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘अगर आपके पास समाधान नहीं है तो आपको झूठ नहीं बोलना चाहिए और नहीं कहना चाहिए कि आपके पास समाधान है। आप कह सकते हैं कि हमें समाधान की दिशा में काम करना होगा और हम समाधान की दिशा में काम करेंगे लेकिन आपको नगा लोगों से झूठ नहीं बोलना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस समझती है कि मामला गंभीर है और इसका समाधान जरूरी है। प्रारूप समझौते का जिक्र करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने नौ साल पहले जो वादा किया था वह नगा लोगों के लिए खोखला वादा था।’’ मंगलवार को चिफोबोजू में संवाददाता सम्मेलन के दौरान गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी दशकों पुराने नगा राजनीतिक मुद्दे के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। नगा विद्रोह 1947 में शुरू हुआ था। दशकों पुरानी समस्या का समाधान तलाशने के लिए, केंद्र 1997 से एनएससीएन-आईएम और 2017 से कम से कम सात समूहों के नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप (एनएनपीजी) की कार्य समिति के साथ अलग-अलग बातचीत कर रहा है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 2015 में एनएससीएन-आईएम के साथ एक प्रारूप समझौते पर हस्ताक्षर किए और 2017 में एनएनपीजी के साथ स्थिति पर सहमति जताई। हालांकि, एनएससीएन-आईएम के नगा के लिए अलग ध्वज और संविधान की मांग पर अड़े रहने के कारण अंतिम समाधान अभी तक नहीं निकला है। कोहिमा जिले के खुजामा गांव से मोकोकचुंग तक सड़क मार्ग से लगभग 180 किमी की यात्रा करने के बाद, गांधी ने कहा कि उन्होंने सड़क की ऊबड़-खाबड़ स्थिति और अनियमित बिजली आपूर्ति देखी। उन्होंने कहा, ‘‘युवा नगा देश के बाकी युवाओं से कैसे प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं जिनके पास बेहतर सुविधाएं हैं? यह नगालैंड के लोगों के साथ विश्वासघात है। हम इन सड़कों से नगालैंड के लोगों के लिए सकारात्मक भविष्य लाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?’’ यह दावा करते हुए कि भारत में वैचारिक युद्ध चल रहा है, कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) देश में विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों पर हमला कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया, ‘‘भारतीय होने के नाते सभी को एक-दूसरे की परंपरा, संस्कृति, खान-पान और धार्मिक प्रथाओं का सम्मान करना चाहिए, लेकिन आरएसएस और भाजपा उन पर हमला कर रहे हैं और उनका अनादर कर रहे हैं।’’ गांधी ने मणिपुर में महीनों से जारी जातीय संघर्ष के बावजूद राज्य का दौरा नहीं करने को लेकर भी प्रधानमंत्री पर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘‘एक भारतीय के तौर पर मुझे शर्म आती है कि मणिपुर में जो कुछ हुआ उसके बाद प्रधानमंत्री अभी तक वहां नहीं गए हैं।’’ राज्य में हिंसा भड़कने के कुछ सप्ताह बाद गांधी ने पिछले साल जून में दो दिन के लिए मणिपुर का दौरा किया था और कई जिलों में राहत शिविरों में रह रहे प्रभावित लोगों से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि यात्रा का विचार पूरे देश का ध्यान मणिपुर, नगालैंड और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के लोगों की ओर लाना है। गांधी ने कहा कि यात्रा पूरी करने के बाद वह नगालैंड वापस आएंगे और युवाओं के साथ उनकी आकांक्षाओं पर बातचीत करने के लिए कुछ और दिन बिताएंगे। कांग्रेस नेता ने घोषणा की कि अब से नगाओं के पास नयी दिल्ली में राहुल गांधी नाम का एक सैनिक है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप चाहते हैं कि मैं संसद में कोई मुद्दा उठाऊं तो मुझे ऐसा करने में खुशी होगी।’’ उन्होंने युवाओं, विशेषकर लड़कियों को राजनीति में प्रवेश करने और नगालैंड को भविष्य के लिए एक नया दृष्टिकोण देने को लेकर प्रोत्साहित किया। गांधी तुली में रात्रि विश्राम करेंगे और आगे की अपनी यात्रा के लिए बृहस्पतिवार सुबह असम में प्रवेश करेंगे।
इसके अलावा, नगालैंड के शीर्ष निकायों और गिरजाघरों ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड- इसाक मुइवा (एनएससीएन-आईएम) और नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (एनएनपीजी) से एक साथ आने और बिना किसी देरी के नगा राजनीतिक मुद्दे के समाधान के लिए एक साथ आने का आग्रह किया है। फोरम फॉर नगा रिकंसिलिएशन (एफएनआर) के बैनर तले दीमापुर जिले में नगा शीर्ष निकायों और गिरजाघरों संगठनों की सोमवार को एक बैठक के बाद यह अपील की गई। एफएनआर द्वारा यहां जारी एक बयान के अनुसार, नगालैंड के निकायों ने राजनीतिक मुद्दे को हल करने के लिए भारत सरकार के साथ अलग-अलग बातचीत करने वाले दो समूहों से 23 जनवरी, 2023 को घोषित ‘नगा आगे बढ़ रहे हैं’ बयान पर मिलकर कार्रवाई करने के लिए कहा। इसके अनुसार, ‘ईमानदारी और यर्थाथवाद की भावना के साथ एकत्रित हुए निकायों ने एनएनपीजी और एनएससीएन-आईएम से बिना किसी देरी के एक साथ बैठक में आने और 14 सितंबर, 2023 को हुए ‘सितंबर संयुक्त समझौते’, 18 अक्टूबर, 2022 की ‘कोलकाता बैठक’ और 14 जनवरी 2023 की घोषणा ‘नगा आगे बढ़ रहे हैं’ संबंधी अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने के लिए कहा।’ एनएनपीजी में कम से कम सात अलग-अलग नगा समूह हैं।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के लोंगडिंग जिले में सुरक्षा बलों ने एनएससीएन-आईएम के छह उग्रवादियों को पकड़ा और उनके कब्जे से हथियार और गोला-बारूद बरामद किया। एक पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी। लोंगडिंग के पुलिस अधीक्षक (एसपी) डेकियो गुमजा ने बताया कि जिले के लोंगडिंग शहर और नियाउसा के बीच अर्द्धसैनिक बलों और लोंगडिंग पुलिस के संयुक्त अभियान के दौरान बृहस्पतिवार को उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया। एसपी ने बताया कि पूछताछ के दौरान गिरफ्तार उग्रवादियों ने खुलासा किया कि उनके पास नॉकनु और खासा गांवों के बीच एक ठिकाने में अत्याधुनिक हथियार भी हैं। उन्होंने कहा कि सूचना के आधार पर तीन एमक्यू असॉल्ट राइफल, विस्फोटक, मोबाइल फोन और अन्य युद्धक सामग्री बरामद की गई। पुलिस अधिकारी ने कहा कि लोंगडिंग थाने में शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है और जांच जारी है। गिरफ्तार उग्रवादियों की पहचान स्वयंभू एएसओ और वांचो क्षेत्र के सचिव वांगपांग वांग्सा (28), स्वयंभू मेजर पांसा (64), स्वयंभू कैप्टन मिकगाम (27), स्वयंभू सार्जेंट थांगवांग (29), स्वयंभू कैप्टन अलुंग न्गोदाम (31) और स्वयंभू लांस कॉर्पोरल जामगांग गैंगसा (27) के रूप में की। पुलिस ने कहा कि गैंगसा, ‘ईस्टर्न नागा नेशनल गवर्नमेंट’ (ईएनएनजी) संगठन का पूर्व कैडर है जिसने 21 जुलाई, 2021 को आत्मसमर्पण कर दिया था और बाद में उसी साल 31 दिसंबर को वह एनएससीएन (आईएम) में शामिल हो गया। एसपी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए उग्रवादियों ने कई विभागों के प्रमुखों और नेताओं को जबरन वसूली के पत्र भेजे थे।

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