इस सप्ताह असम के मंत्री अतुल बोरा को सोशल मीडिया पर धमकी देने के आरोप में एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया तो दूसरी ओर मणिपुर में सक्रिय नौ मेइती चरमपंथी समूहों तथा उनके सहयोगी संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया। मिजोरम में समस्या तब बढ़ गयी जब म्यांमार में हालात खराब होने के चलते बड़ी संख्या में लोग भाग कर भारतीय इलाके में आ गये। वहीं मेघालय की सरकार ने कहा है कि वह प्रतिबंधित संगठन एचएनएलसी के साथ शांति वार्ता जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश की वन्यजीव संरक्षण पहल ‘एयरगन सरेंडर अभियान’ को यूनेस्को के सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलना बड़ी खबर रही। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से कई प्रमुख समाचार रहे। आइये डालते हैं सभी पर एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं असम की।
असम
असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) की असम इकाइयों ने मांग की है कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव लड़ रहे एक भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में कथित रूप से प्रचार करने को लेकर (असम के) राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया को उनके पद से बर्खास्त किया जाए। फिलहाल कटारिया या राज्यपाल कार्यालय की ओर से इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है। अलग-अलग बयान जारी कर इन दोनों दलों ने राज्यपाल के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए राष्ट्रपति और निर्वाचन आयोग के हस्तक्षेप की मांग की है। राज्यपाल इस संवैधानिक पद पर आने से पहले सभी राजनीतिक पद छोड़ चुके थे। असम में तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रिपुन बोरा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ”असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया राजस्थान के उदयपुर में भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार करने में व्यस्त हैं। यह लोकतंत्र के लिए चुनौती है, भारत निर्वाचन आयोग को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।’’ उन्होंने यह भी कहा कि यह ‘बड़ा शर्मनाक’ है कि संविधान के संरक्षक होने के बावजूद कटारिया भाजपा के लिए प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ”उन्हें तत्काल उनके पद से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।’’ तृणमूल की असम इकाई के बयान को साझा करते हुए बोरा ने आरोप लगाया कि कटारिया ने उदयपुर में भाजपा प्रत्याशी ताराचंद जैन के पक्ष में प्रचार किया जो चुनाव नियमों का उल्लंघन है क्योंकि वह संवैधानिक पद पर आसीन हैं। प्रदेश तृणमूल कांग्रेस ने एक बयान में कहा, ”कुछ दिन पहले असम विधानसभा के उपाध्यक्ष नुमाल मोमिन ने मिजोरम में भाजपा के लिए प्रचार किया था और अब कटारिया ने ऐसा किया है। यह संवैधानिक नियमों का गंभीर उल्लंघन है। राज्य के प्रमुख होने के नाते राज्यपाल को किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करना चाहिए।’’ उसने कहा कि ये दोनों उदाहरण दर्शाते हैं कि भाजपा निरंकुश एवं अलोकतांत्रिक सरकार चलाने के लिए अपनी सत्ता का दुरुपयोग कर रही है। पार्टी ने बयान में कहा, ”हम राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया को बर्खास्त करने के लिए राष्ट्रपति और भारत निर्वाचन आयोग के तत्काल दखल की मांग करते हैं।’’ आप के असम संयोजक भाबेन चौधरी ने कहा कि राज्यपाल को चाहिए कि वे स्वयं को राजनीति से, जाति, पंथ, धर्म से अलग रखें तथा संविधान को अक्षुण्ण बनाये रखें। उन्होंने कहा, ”लेकिन कटारिया ने चुनाव में एक राजनीतिक दल के पक्ष में प्रचार कर संविधान-विरोधी कार्यकलाप किये हैं। इससे (उनके इस कृत्य से) राज्यपाल पद की गरिमा घटी है।’’ उनके तत्काल इस्तीफे की मांग करते हुए चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी कटारिया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखेगी।
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इसके अलावा, असम के मंत्री अतुल बोरा को सोशल मीडिया पर धमकी देने के आरोप में एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने यह जानकारी दी। बोरा को सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकी मिलने के बाद असम पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने मंगलवार को एक मामला दर्ज किया और जांच शुरू की थी। सिंह ने कहा कि शिवसागर जिले के गौरीसागर इलाके में स्थित बामुन मोरन गांव के 31 वर्षीय व्यक्ति को उसके फेसबुक पोस्ट में राज्य के कृषि मंत्री को कथित तौर पर दी गई धमकी के मामले में हिरासत में लिया गया। सिंह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “पर्याप्त सबूतों के आधार पर व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है।” बोरा राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार की सहयोगी असम गण परिषद के अध्यक्ष भी हैं। इससे पहले, प्रतिबंधित चरमपंथी समूह ‘यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम’ (यूएलएफए) का सदस्य होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति ने एक स्थानीय समाचार पोर्टल के फेसबुक पेज के टिप्पणी वाले खंड में, बोरा के क्वार्टर में बम होने की कथित धमकी दी थी। डीजीपी ने कहा था, ‘निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ इस तरह की किसी भी धमकी को स्वीकार नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह लोकतांत्रिक राजनीति को खतरे में डालती है।”
इसके अलावा, असम में विपक्षी दल एआईयूडीएफ के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल पर पारंपरिक वैष्णव अंगवस्त्र ‘चेलेंग’ का अपमान करने का आरोप लगाते हुए बुधवार को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। पुलिस ने कहा कि असम सत्र महासभा ने मंगलवार को मोरीगांव जिले के लाहौरीघाट में एक बैठक के दौरान भेंट किए गए ‘चेलेंग’ को अपने कंधे से फेंकने के आरोप में धुबरी सांसद के खिलाफ मोरीगांव पुलिस थाने में शिकायत दी है। यह मामला तब सामने आया, जब कई टीवी चैनल ने इस बैठक का कथित वीडियो प्रसारित किया। हालांकि, अजमल ने दावा किया कि वह मंच के नीचे बैठे लोगों को अंगवस्त्र दे रहे थे। अजमल ने आरोप लगाया कि जो लोग राज्य में समस्याएं पैदा करना चाहते हैं, उनके द्वारा ये विवाद खड़ा किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘वहां मंच के नीचे लोग बैठे थे और उन्होंने मुझसे ‘चेलेंग’ मांगा। इसलिए, मैंने इसे उन्हें दे दिया। अगर कोई वीडियो देखे, तो यह देख सकता है कि मैं ‘चेलेंग’ को फेंक नहीं रहा था, बल्कि इसे प्यार से उन्हें दे रहा था।’’ महासभा के सचिव बिमल चंद्र बोरकाकोटी ने कहा, ‘‘हमारे सम्मानित ‘चेलेंग’ का ऐसा अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमने अजमल के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।’’ मोरीगांव थाने के एक अधिकारी ने कहा कि वह शिकायत में लगाए गए आरोपों की जांच कर रहे हैं और कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, असम के तिनसुकिया जिले में सुरक्षा बलों ने प्रतिबंधित संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन-केवाईए) के एक उग्रवादी को गिरफ्तार करके उसके कब्जे से एक राइफल बरामद की है। अधिकारियों ने बताया कि सेना की स्पीयर कोर और असम पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से चलाए गए एक अभियान के दौरान उसे पकड़ा गया। स्पीयर कोर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पोस्ट में कहा, ”भारतीय सेना के स्पीयर कोर के जवानों ने असम पुलिस के साथ एक संयुक्त अभियान में असम के तिनसुकिया जिले के सामान्य क्षेत्र टिपोंग में 2007 से सक्रिय एनएससीएन (केवाईए) के एक उग्रवादी को पकड़ लिया है।’’ स्पीयर कोर ने बताया कि गिरफ्तार उग्रवादी कई गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल रहा है।
मणिपुर
मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और सुरक्षाबलों पर घातक हमले करने को लेकर सोमवार को नौ मेइती चरमपंथी समूहों तथा उनके सहयोगी संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया, जो ज्यादातर मणिपुर में सक्रिय हैं। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, मेइती उग्रवादी समूहों ने अपना उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से मणिपुर को भारत से अलग कर एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाना और इसके लिए मणिपुर के स्थानीय लोगों को उकसाना बताया है। जिन समूहों को गृह मंत्रालय ने पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया है, उनमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, जिसे आम तौर पर पीएलए के नाम से जाना जाता है और इसकी राजनीतिक शाखा रिवॉल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ), यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए) शामिल हैं। इनमें पीपुल्स रिवॉल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (पीआरईपीएके), कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी), कांगलेई याओल कनबा लुप (केवाईकेएल), कोऑर्डिनेशन कमेटी (कोरकॉम) और एलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कांगलेईपाक (एएसयूके) भी शामिल हैं। पीएलए, यूएनएलफ, पीआरईपीएके, केसीपी, केवाईकेएल को इससे पहले नवंबर, 2018 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित घोषित किया गया था और नवीनतम कार्रवाई में प्रतिबंध को पांच साल तक बढ़ा दिया गया है। अपनी अधिसूचना में, गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार की राय है कि मेइती चरमपंथी संगठन भारत की संप्रभुता और अखंडता के विरुद्ध गतिविधियों में शामिल रहे हैं और अपने अलगाववादी उद्देश्यों के लिए सशस्त्र तरीकों में शामिल हो रहे हैं, वे मणिपुर में सुरक्षा बलों, पुलिस तथा नागरिकों पर हमले कर रहे हैं एवं उनकी हत्या कर रहे हैं। अधिसूचना के मुताबिक वे अपने संगठनों के लिए धन जमा करने के लिहाज से लोगों को धमकाने, उनसे जबरन वसूली करने और लूटपाट में संलिप्त रहे हैं। गृह मंत्रालय ने कहा कि यदि मेइती चरमपंथी संगठनों पर तत्काल अंकुश और नियंत्रण नहीं किया गया, तो उन्हें अपनी अलगाववादी, विध्वंसक, आतंकवादी और हिंसक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए अपने कैडर को संगठित करने का अवसर मिलेगा। इसमें कहा गया कि वे भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक ताकतों के साथ मिलकर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का प्रचार करेंगे, लोगों की हत्याओं में शामिल होंगे और पुलिस तथा सुरक्षाबलों के जवानों को निशाना बनाएंगे। अधिसूचना के अनुसार, अंकुश नहीं लगाए जाने की स्थिति में ये समूह और संगठन अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार से अवैध हथियार और गोला-बारूद हासिल करेंगे तथा अपनी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए जनता से भारी धन की वसूली करेंगे। मंत्रालय ने कहा कि मेइती चरमपंथी संगठनों की गतिविधियों को भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक माना जाता है और वे गैरकानूनी संगठन हैं। इसमें कहा गया, ‘‘परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार की राय है कि मेइती चरमपंथी संगठनों को… ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित करना आवश्यक है और तदनुसार, केंद्र सरकार निर्देश देती है कि यह अधिसूचना 13 नवंबर, 2023 से पांच साल की अवधि के लिए प्रभावी होगी।’’ मणिपुर में इस साल मई में जातीय संघर्ष भड़कने के बाद से हिंसा की घटनाएं देखी जा रही हैं और तब से अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। मेइती और कुकी समुदायों के बीच कई मुद्दों को लेकर झड़पें होती रही हैं। मई में शुरू हुई हिंसा का संबंध मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग से जुड़ा है। मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि नगा और कुकी आदिवासियों की संख्या 40 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से पर्वतीय जिलों में निवास करते हैं। यूएनएलएफ को मणिपुर को अलग संप्रभु गणराज्य बनाने और इसमें म्यांमा की कवाब घाटी को शामिल करने के अलगाववादी एजेंडे के लिए प्रतिबंधित किया गया। इसके 300 से अधिक प्रशिक्षित सदस्य हैं। पीएलए को पहले पोलेई कहा जाता था जो मणिपुर का पुराना नाम है। जनता की भावनाओं को उकसाने के लिए संगठन को यह नाम दिया गया था। एन बिशेश्वर सिंह ने 26 सितंबर, 1978 को पीएलए की स्थापना की थी। संगठन ने अपना मकसद मणिपुर को भारत से अलग करना और इंफाल घाटी में अलग मेतेई राष्ट्र बनाना बताया है। केवाईकेएल अपना खर्च एनएससीएन-आईएम के साथ संयुक्त रूप से जबरन वसूली करके उगाहे गए धन से चलाता है। वह जनता की सहानुभूति और समर्थन हासिल करने और अन्य आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने के लिए काम करता है। इसी तरह कोऑर्डिनेशन कमेटी इंफाल से संचालित छह उग्रवादी संगठनों का संघ है जिनमें केसीपी, केवाईकेएल, पीआरईपीएके और आरपीएफ शामिल हैं। इसकी स्थापना जुलाई 2011 में की गई थी।
इसके अलावा, मणिपुर में कुकी-जो जनजातियों के अग्रणी संगठन, ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) ने बुधवार को उन क्षेत्रों में “पृथक स्व-शासित प्रशासन” स्थापित करने की धमकी दी, जहां ये आदिवासी बहुमत में हैं। संगठन ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में छह महीने से अधिक समय से जारी जातीय संघर्ष के बाद भी केंद्र सरकार ने अब तक पृथक प्रशासन की उनकी मांग को स्वीकार नहीं किया है। आईटीएलएफ के महासचिव मुआन टोम्बिंग ने कहा, “अगर कुछ हफ्ते में हमारी मांग नहीं मानी गई तो हम अपने स्वशासन की स्थापना कर लेंगे, चाहे केंद्र इसे मान्यता दे या नहीं दे।” उनकी टिप्पणी उस दिन आई है जब संगठन ने चूराचांदपुर में आदिवासियों की हत्या की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जांच की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था। आईटीएलएफ के प्रवक्ता गिन्ज़ा वुएलज़ोंग ने कहा, ”जातीय संघर्ष के दौरान कई कुकी-ज़ो आदिवासी मारे गए हैं लेकिन कोई सी भी केंद्रीय जांच एजेंसी इन मामलों की जांच नहीं कर रही है। यह रैली कुकी-ज़ो लोगों पर हुए अत्याचार के विरोध में है।” संगठन के एक सदस्य ने कहा कि रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों ने आदिवासियों के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे लगाए और आदिवासियों की हत्या की त्वरित जांच शुरू करने में राज्य सरकार और अन्य जांच एजेंसियों की “विफलता” की निंदा की। राज्य की राजधानी इंफाल में स्थानीय लोगों ने राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने में मणिपुर सरकार की कथित असमर्थता के विरोध में प्रदर्शन किया। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल थे। उन्होंने गांवों में बंदूकधारियों द्वारा हमले करने की छिटपुट घटनाओं का भी विरोध किया, जिससे हजारों लोग अपने घरों को लौट नहीं पा रहे हैं। इंफाल पश्चिम जिले के कीसंपत, उरीपोक और सिंगजामेई इलाकों में भी विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने म्यांमा से बड़े पैमाने पर अवैध प्रवासियों के प्रवेश को रोकने के लिए नारे लगाए और राज्य से उनके निर्वासन की मांग की। निंगोल चाकौबा उत्सव के अवसर को लेकर बुधवार को इंफाल घाटी के पांच जिलों में प्रमुख बाजार और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे।
मिजोरम
मिजोरम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि म्यांमा के चिन राज्य में दो सैन्य अड्डों पर विद्रोही समूह पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के हमले के बाद भागकर मिजोरम आ गए 43 म्यांमाई सैनिकों में से कम से कम 40 को मंगलवार को म्यांमा की सैन्य सरकार के सुपुर्द कर दिया गया। एक अधिकारी ने कहा कि पीडीएफ के चिन राज्य में रीहखावदार और खावमावी स्थित दो सैन्य अड्डों पर हमला होने के बाद सैनिक मिजोरम के चंफाई जिले के जोखावथार में राज्य पुलिस के पास पहुंचे। अधिकारी ने बताया, ‘‘चालीस म्यांमाई सैनिक सोमवार को जोखावथार आ गए और मिजोरम पुलिस से संपर्क किया, वहीं तीन अन्य सैनिक मंगलवार को पुलिस के पास पहुंचे।’’ उन्होंने कहा कि म्यांमा के करीब 40 सैनिकों को असम राइफल्स के सुपुर्द किया गया जिसने उन्हें मंगलवार को म्यांमा के तामू में वहां की सैन्य सरकार के सुपुर्द कर दिया। उन्होंने कहा कि बाकी सैनिकों को भी भेजा जाएगा। मिजोरम के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चिन राज्य के करीब 2500 से 5000 लोग रविवार से म्यांमा की सेना और लोकतंत्र समर्थक विद्रोही समूहों के बीच भारी गोलीबारी के बाद से मिजोरम चले गए हैं। चंफाई के उपायुक्त जेम्स लालरिनछाना ने इस बात की पुष्टि की कि विद्रोहियों ने दो सैन्य केंद्रों पर हमला किया था। अधिकारियों के अनुसार बदले में म्यांमा की सेना ने भी इन दोनों जगहों पर हवाई हमले किए। जोखावथार ग्राम परिषद के अध्यक्ष लालमुआनपुइया ने दावा किया कि हवाई हमलों में पीडीएफ के कम से कम सात सदस्यों के मारे जाने की खबर है।
इसके अलावा, मिजोरम में सैंकड़ों विद्यार्थियों ने छात्रवृत्ति की राशि के तत्काल वितरण की मांग को लेकर बुधवार को लगातार दूसरे दिन प्रदर्शन किया। शीर्ष छात्र संगठन मिज़ो ज़िरलाई पावल (एमजेडपी) के तत्वावधान में प्रदर्शनकारी यहां छात्रवृत्ति बोर्ड कार्यालय के सामने धरना दे रहे हैं। वे राज्य में और राज्य के बाहर पढ़ रहे 19,495 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति की राशि तत्काल वितरित करने की मांग कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे एमजेडपी ने कहा कि वह बृहस्पतिवार से अपना प्रदर्शन तेज करेगा और छात्रवृत्ति बोर्ड के अधिकारियों को कार्यालय में प्रवेश करने से रोकेगा। एमजेडपी अध्यक्ष एच लालथियांगलीमा ने दावा किया कि छात्रवृत्ति के वितरण के लिए मिजोरम सरकार को 25 सितंबर को केंद्र से 17.87 करोड़ रुपये का कोष मिल चुका है। बोर्ड ने कहा कि उसे निर्वाचन आयोग से अनुमति लेनी होगी क्योंकि सात नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव के कारण मिजोरम में आदर्श आचार संहिता लागू है। मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी।
इसके अलावा, मिजोरम के चम्फाई जिले की एक अदालत ने मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में एक बुजुर्ग व्यक्ति और उसके बेटे को दोषी करार देते हुए 10 साल जेल की सजा सुनाई है। लालबीसिया (78) और उसके बेटे लालनंटलुआंगा (40) को पिछले साल जुलाई में 271 ग्राम हेरोइन बरामद होने के बाद गिरफ्तार किया गया था। बरामद मादक पदार्थ की अनुमानित कीमत 1.35 करोड़ रुपये थी। विशेष अदालत के न्यायाधीश लियांगसांगजुआला ने दोनों को स्वापक औषधि एवं मन प्रभावी (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया और उन्हें 10 साल जेल की सजा सुनाई। अदालत ने दोनों पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है और उसका भुगतान नहीं करने पर छह और महीने की जेल की सजा काटनी पड़ेगी।
इसके अलावा, म्यामां के चिन राज्य में मिलिशिया समूह ‘पीपुल्स डिफेंस फोर्स’ (पीडीएफ) द्वारा एक सैन्य शिविर पर कब्जा करने के बाद दो और जवान भागकर मिजोरम पहुंचे। एक पुलिस अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि म्यांमा के दो सैनिक मिजोरम में दाखिल हुए और मंगलवार शाम को जोखावथर पुलिस थाने पहुंचे। अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “केंद्र के निर्देश के अनुसार जवानों को असम राइफल्स को सौंप दिया गया और उन सभी को भारतीय रक्षा अधिकारियों ने हवाई मार्ग से सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है।” पुलिस अधिकारी ने बताया कि अब तक म्यामां के कुल 45 जवान भागकर मिजोरम आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि सबसे पहले म्यामां के 39 जवान मिजोरम में दाखिल हुए और सोमवार शाम को पूर्वी मिजोरम के चम्फाई जिले के सीमावर्ती गांव जोखावथर के निकटतम पुलिस थाने में पहुंचे। अधिकारी ने बताया कि 39 जवानों को असम राइफल्स ने मंगलवार को हवाई मार्ग से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और बाकी अन्य छह जवानों को बुधवार को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। राज्य गृह विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि म्यांमा के जवानों को चम्फाई जिले से मणिपुर के सीमावर्ती शहर मोरेह तक हवाई मार्ग से ले जाया गया, जहां से उन्हें मोरेह के निकटतम म्यांमा शहर तमू भेजा गया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि भारत-म्यांमा सीमा पर स्थिति अब शांत है, क्योंकि म्यांमा सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच अब कोई झड़प नहीं हुई है। उन्होंने कहा, “फिलहाल स्थिति अब शांत है और हमें उम्मीद है कि अगले दो से तीन दिनों में भारत-म्यांमा सीमा पर स्थिति सामान्य हो जाएगी। आगे क्या होगा इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल है।” अधिकारियों ने कहा कि म्यांमा की सेना और पीडीएफ के बीच गोलीबारी के बाद म्यांमा के चिन राज्य के खवीमावी, रिहखावदार और पड़ोसी गांवों के लगभग 5,000 लोग भाग गए और मिजोरम के जोखावथर में शरण ले ली है। चम्फाई के उपायुक्त जेम्स लालरिंचन ने कहा कि पीडीएफ द्वारा भारतीय सीमा के करीब चिन राज्य में ख्वामावी और रिहखावदार में दो सैन्य शिविरों पर हमला करने के बाद रविवार शाम को गोलीबारी शुरू हुई और सोमवार शाम तक जारी रही। मिजोरम, म्यांमा के साथ 510 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है। पूर्वोत्तर राज्य ने म्यामां के 31,000 से अधिक शरणार्थियों को शरण दी है, जो हालिया झड़पों से पहले फरवरी 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद वहां से भाग गए थे। मिजोरम में शरण लेने वाले म्यांमार के नागरिक चिन समुदाय के हैं। चिन और मिजो एक ही जातीय समूह “जो” से संबंधित हैं।
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने मंगलवार को कहा कि अगले पांच वर्ष में राज्य में लगभग तीन लाख सहकारी समितियां स्थापित की जाएंगी। उन्होंने ऐसे संगठनों से राज्य में रोजगार के अवसर पैदा करने में, विशेषकर महिलाओं के लिए, अग्रणी भूमिका निभाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि नयी सहकारी समितियां बनाने के अलावा कमजोर सहकारी समितियों को वित्तपोषित करके मजबूत बनाया जाएगा। साहा ने एक कार्यक्रम में कहा, “हम आने वाले दिनों में और अधिक बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियां बनाने की भी योजना बना रहे हैं… चूंकि सरकारी नौकरियां सीमित हैं, ऐसे में वृहद क्षेत्र की बहुउद्देशीय समितियों और प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को लाखों लोगों, विशेषकर महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।” मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बैंक अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ऋण प्रदान करने को लेकर उदार हैं। फिलहाल राज्य में 56 वृहद क्षेत्र की बहुउद्देशीय समितियों और 2,112 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों में करीब आठ लाख लोग कार्यरत हैं।
इसके अलावा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) पूर्वोत्तर राज्यों में कथित मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की सुनवाई के लिए शुक्रवार को गुवाहाटी में एक शिविर आयोजित करेगा। एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई है। आयोग द्वारा मानवाधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर स्थानीय प्रशासनों को संवेदनशील बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा। आयोग बृहस्पतिवार से शुरू होने वाली अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान नागरिक समाज और गैर सरकारी संगठनों के सदस्यों के साथ-साथ मीडियाकर्मियों से भी मुलाकात करेगा। एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, सदस्य ज्ञानेश्वर एम मुले और राजीव जैन, महासचिव भरत लाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी सम्मेलन और शिविर में मौजूद रहेंगे। ‘स्थानीय प्रशासन के माध्यम से मानवाधिकारों को आगे बढ़ाना’ के विषय पर सम्मेलन 16 नवंबर को आयोजित किया जाएगा, जिसमें असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और सिक्किम के राज्य मानवाधिकार आयोगों के अध्यक्ष हिस्सा लेंगे। विज्ञप्ति में कहा गया कि सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य मानवाधिकारों और इससे संबंधित पहलुओं को आगे बढ़ाने में स्थानीय प्रशासन की भूमिका के बारे में जागरुकता पैदा करना है। दौरा करने वाली समिति शुक्रवार को शिविर के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन के 40 से अधिक लंबित मामलों की सुनवाई करेगी। राज्य के अधिकारियों और संबंधित शिकायतकर्ताओं को भी मामलों की सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने के लिए कहा गया है। शिविर का उद्देश्य राज्य के अधिकारियों को मानवाधिकारों के बारे में संवेदनशील बनाना और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों तथा मानवाधिकार संरक्षकों के साथ बातचीत करना है। आयोग अपनी सलाह और सिफारिशों पर उठाये गये कदम की समीक्षा के लिए आठ पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक भी करेगा। वे गैर सरकारी संगठनों और मानवाधिकार संरक्षकों (एचआरडी) के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेंगे। बयान में कहा गया है कि आयोग राज्यों के मानवाधिकार मुद्दों और एनएचआरसी द्वारा की गई कार्रवाइयों पर जानकारी के व्यापक प्रसार के लिए शिविर के नतीजों के बारे में मीडिया से भी जानकारी साझा करेगा।
नगालैंड
नगालैंड से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि नगालैंड के दीमापुर जिले के नहरबारी इलाके में आग लगने से तीन बच्चों समेत एक ही परिवार के पांच सदस्यों की जलकर मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि रविवार रात करीब पौने ग्यारह बजे हुई इस घटना में आग ने गैर-नगा समुदाय के लोगों के रहने वाले फूस के घरों को अपनी चपेट में ले लिया। अग्निशमन और आपातकालीन सेवा के एक अधिकारी ने कहा कि संभवत: दीपावली पर्व के दौरान पटाखे फोड़े जाने से आग लगी। उन्होंने कहा कि आग के कारण करीब 50 परिवार प्रभावित हुए हैं। अधिकारी ने बताया कि घटना के बाद दमकल की छह गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और लगभग दो घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया। उन्होंने कहा कि जांच के बाद ही आग लगने के सही कारणों का पता चलेगा। फिलहाल, मृतकों के शव पुलिस को सौंप दिये गये हैं।
इसके अलावा, नगालैंड के उपमुख्यमंत्री टीआर जेलियांग ने राज्य के लोगों से जनजातिवाद को परास्त करने और नगाओं के रूप में खड़े होने का लक्ष्य रखने का बुधवार को आह्वान किया। नगालैंड, एक आदिवासी राज्य है जहां 17 मान्यता प्राप्त प्रमुख जनजातियां और कई उप-जनजातियां हैं, जो 16 जिलों में फैली हुई हैं। राज्य की राजधानी कोहिमा में जनजातीय गौरव दिवस के जश्न के तहत जनजातीय मामलों के विभाग द्वारा आयोजित जनजातीय मार्च को हरी झंडी दिखाने के समारोह में जेलियांग ने उम्मीद जतायी कि जनजातीय मार्च जनजातियों के बीच अधिक एकता और भाईचारे की भावना लाएगा। उपमुख्यमंत्री ने अपील की, ‘‘आइये हम जनजातिवाद को परास्त करने और नगा के रूप में एकजुट होने का लक्ष्य रखें।’’ जेलियांग ने कहा कि भारत सरकार ने 15 नवंबर को जनजातीय दिवस के रूप में सही ही चुना है क्योंकि यह एक महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती है। उन्होंने कहा, ‘‘हम जबकि स्वतंत्रता संग्राम में कई महान हस्तियों को याद करते हैं, कुछ आदिवासी नेताओं को उनके योगदान के लिए शायद ही कभी याद किया जाता है। नगा समुदाय के ऐसे व्यक्तित्व भी हो सकते हैं जिन पर किसी का ध्यान नहीं गया, इसलिए हमें उनका पता लगाना चाहिए और रिकॉर्ड रखना चाहिए और उनके जीवन का जश्न मनाने का दिन निर्धारित करना चाहिए।’’ पारंपरिक पोशाक पहने विभिन्न जनजातियों के सैकड़ों पुरुष और महिला नगा, कोहिमा कॉलेज से नगालैंड विधानसभा गेट तक आदिवासी मार्च में शामिल हुईं।
मेघालय
मेघालय से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन तिनसोंग ने कहा है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार प्रतिबंधित संगठन एचएनएलसी के साथ शांति वार्ता जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है। मेघालय सरकार ने हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) से उसके शीर्ष नेताओं के शांति वार्ता के अगले दौर में उपस्थित रहने के सरकार के अनुरोध पर अपने निर्णय के बारे में सूचित करने के लिए कहा है। उपमुख्यमंत्री प्रभारी गृह (पुलिस) प्रेस्टोन तिनसोंग ने कहा, ‘‘मैं दोहराना चाहता हूं कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार एचएनएलसी के साथ शांति वार्ता जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम अब भी एचएनएलसी से संदेश का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि उनके शीर्ष नेता पिछली बैठक में शामिल नहीं हो सके थे। जब आप तैयार हों तो कृपया हमें बताएं।’’ एक अधिकारी ने कहा कि वार्ता से पहले एचएनएलसी द्वारा रखी गई एक प्रमुख मांग उसके सभी कैडरों के लिए सामान्य माफी है। पिछले साल अगस्त में एचएनएलसी नेतृत्व ने केंद्र, राज्य सरकार और संगठन के बीच चल रही त्रिपक्षीय वार्ता में भाग लेने के लिए अपने ‘उपाध्यक्ष’ और ‘विदेश सचिव’ को अधिकृत किया था। एक अधिकारी ने कहा कि उसी महीने में राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) ने फिरौती नहीं देने पर दिसंबर 2020 में पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में स्थित स्टार सीमेंट फैक्टरी के परिसर में बम विस्फोट करने के आरोप में प्रतिबंधित संगठन के चार सदस्यों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। इसबीच, अधिकारी ने कहा कि संगठन के 30 से अधिक सक्रिय कैडर शांति प्रक्रिया में शामिल होंगे।
इसके अलावा, मेघालय में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) ने 2024 के लोकसभा चुनाव और स्वायत्त जिला परिषद के चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के चयन के लिए एक समिति का गठन किया है। यूडीपी प्रमुख मेटबाह लिंगदोह ने बताया कि पार्टी की केंद्रीय कार्यकारी समिति (सीईसी) ने सदस्यों के चयन को मंजूरी दे दी है। उन्होंने सोमवार को कहा, ‘‘हमने समिति को उन लोगों की उम्मीदवारी से संबंधित मामले देखने का काम सौंपा है, जिन्होंने हमारी पार्टी से चुनाव लड़ने में रुचि दिखाई है।’’ यूडीपी ने शिलांग और तुरा… दोनों लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। वर्तमान में शिलांग सीट का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के विंसेंट एच पाला और तुरा सीट का प्रतिनिधित्व नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की अगाथा के संगमा कर रही हैं। लिंग्दोह ने बताया कि सीईसी ने यूडीपी और हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) के नेताओं के, शिलांग लोकसभा सीट पर चुनाव के लिए मिलकर काम करने के फैसले का समर्थन किया है। यूडीपी मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस (एमडीए) का हिस्सा है।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य वन विभाग की वन्यजीव संरक्षण पहल ‘एयरगन सरेंडर अभियान’ को सोमवार को मलेशिया में ‘बायोस्फीयर रिजर्व’ पर यूनेस्को के सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। राज्य के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री मामा नातुंग के नेतृत्व में, पशु-पक्षियों के शिकार को हतोत्साहित करने और वन्यजीवों की हत्या के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिये मार्च 2021 में यह अभियान शुरू किया गया था। मंत्री की ओर से ‘देहांग-देबांग बायोस्फीयर रिजर्व’ के निदेशक डॉ. दामोदर ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। राज्य के वन विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि उन्हें मलेशिया के पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधन और जलवायु परिवर्तन मंत्री निक नाजमी निक अहमद से मान्यता मिली। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से देश की रिपोर्ट पेश करने और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सफलता की कहानी साझा करने के लिए डॉ दामोधर को भारत के प्रतिनिधि के रूप में चुना गया था। इस अभियान की आधिकारिक शुरुआत 17 मार्च, 2021 को पूर्वी कामेंग जिले के लुमडुंग से की गई थी, जहां 46 एयरगन का समर्पण किया गया था, जिससे लुमडुंग अरुणाचल प्रदेश का पहला ‘एयरगन-मुक्त’ गांव बन गया था।
इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी सियांग जिले में बुधवार को 22 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी भतीजी के प्रेमी का सिर काट दिया और कटे हुए सिर के साथ थाने जाकर आत्मसमर्पण किया। पुलिस ने यह जानकारी दी। घटना असम के साथ लगती अंतरराज्यीय सीमा के करीब रस्किन इलाके में हुई। प्रभारी अधिकारी सी जोसेफ ने कहा कि आरोपी की पहचान शिबू वैश्य के रूप में हुई, जिसने एक खेत में 19 वर्षीय अजय दास का सिर काट दिया और कटे हुए सिर के साथ रस्किन थाने पहुंचा और आत्मसमर्पण कर दिया। उन्होंने कहा कि वैश्य ने दास की हत्या कर दी क्योंकि वह अपनी भतीजी के साथ उसके प्रेम संबंध से नाराज था। उन्होंने बताया कि दोनों असम के प्रवासी मजदूर थे। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया है।