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Poorvottar Lok: Manipur में शांति लाने के लिए केंद्र ने तेज किये प्रयास, Assam में कई जगह बाढ़ से हाल बेहाल

असम के कुछ इलाकों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है तो त्रिपुरा में पंचायत चुनावों के लिए राजनीतिक दलों की गतिविधियां जोर पकड़ रही हैं। अरुणाचल प्रदेश में नयी सरकार ने नियुक्तियों और तबादलों का दौर शुरू किया है तो सिक्किम में प्राकृतिक आपदा के चलते फंसे पर्यटकों को बचा लिया गया है। मणिपुर के हालात को सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने रणनीति बना ली है तो दूसरी ओर मिजोरम सरकार को 33,000 से अधिक म्यांमा शरणार्थियों का बायोमेट्रिक पंजीकरण कराने के लिए केंद्र सरकार के निर्देश का इंतजार है। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से कई प्रमुख समाचार रहे। आइये सब पर डालते हैं एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं असम की।
असम
असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के कोकराझार जिले की अदालत ने एक लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के दोषी पुलिस कांस्टेबल को 20 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। ‘फास्ट ट्रैक’ अदालत के विशेष न्यायाधीश जयदेव कोच ने मंगलवार को यौन उत्पीड़न से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 की धारा छह के तहत कांस्टेबल बनजीत दास को दोषी ठहराते हुए अपना फैसला सुनाया। दास को 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गयी और 10 हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया। जुर्माना न देने की स्थिति में दोषी कांस्टेबल को दो महीने की साधारण कारावास की सजा और काटनी होगी। इसके अलावा, अदालत ने दास को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363 के तहत लड़की के अपहरण का भी दोषी पाया और उसे 2,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई। आदेश में कहा गया है कि चूक की स्थिति में उसे एक महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। विशेष न्यायाधीश के आदेशानुसार, दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। पीड़िता के पिता ने 10 अक्टूबर, 2019 को बोगरीबाड़ी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उसकी बेटी अपने चाचा के घर जाने के बाद लापता हो गई है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, बाद में पता चला कि दास ने लड़की से शादी करने के इरादे से उसका अपहरण किया था और बाद में उसे अज्ञात स्थान पर रखकर उसके साथ बलात्कार किया गया।

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इसके अलावा, असम के गृह सचिव शिलादित्य चेतिया ने मंगलवार को लंबी बीमारी के चलते अपनी पत्नी के निधन के बाद गुवाहाटी के एक निजी अस्पताल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 2009 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी चेतिया ने गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) के अंदर अपनी सरकारी रिवॉल्वर से कथित तौर पर खुद को गोली मार ली, जहां उनकी पत्नी की मौत हो गई थी। राज्य के गृह सचिव के रूप में तैनाती से पहले चेतिया तिनसुकिया और सोनितपुर जिलों के पुलिस अधीक्षक (एसपी) और असम पुलिस की चौथी बटालियन के कमांडेंट के रूप में कार्य कर चुके थे। चेतिया की पत्नी ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थीं और पिछले कुछ महीनों से अस्पताल में भर्ती थीं।
इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को अपने मंत्रिमंडल में मामूली फेरबदल करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का प्रभार खुद संभाल लिया। स्वास्थ्य विभाग पहले केशव महंत के पास था जिन्हें पूर्व मंत्री परिमल शुक्लावैद्य के विभाग सौंपे गये हैं। शुक्लावैद्य लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं। एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी असम गण परिषद के सदस्य केशव महंत के पास 2021 से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग था। महंत को परिवहन, आबकारी एवं मात्स्यिकी विभाग सौंपे गये हैं जिनका कामकाज पहले शुक्लावैद्य संभालते थे। ये विभाग महंत के पास पहले से मौजूद विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं जलवायु परिवर्तन तथा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अतिरिक्त हैं। शुक्लावैद्य ने सिलचर (अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित) संसदीय सीट से निर्वाचित होने के बाद राज्य के मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अलावा मुख्यमंत्री के पास गृह, कार्मिक, लोक निर्माण, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान, मूलनिवासी एवं आदिवासी आस्था एवं सांस्कृतिक विभाग (पुस्तकालय एवं संग्रहालय निदेशालय एवं पुरातत्व निदेशालय को छोड़कर) बने रहेंगे। उनके पास वे विभाग भी रहेंगे जो किसी अन्य मंत्री को आवंटित नहीं किये गये हैं। हम आपको बता दें कि जब सर्बानंद सोनोवाल असम के मुख्यमंत्री थे तब स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर शर्मा की अगुवाई में जांच सुविधाएं समेत स्वास्थ्य अवसंरचना को अद्यतन एवं विस्तृत करने, मरीजों के सामने आ रही परेशानियां दूर करने तथा लॉकडाउन के दौरान राज्य के बाहर फंसे प्रवासी मजदूरों की मदद करने एवं कोविड-19 संकट से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए थे।
इसके अलावा, असम में बाढ़ की स्थिति सोमवार को और भी बिगड़ गई और राज्य के आठ जिलों में 1.05 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) की दैनिक बाढ़ रिपोर्ट के अनुसार बक्सा, बारपेटा, दरांग, धेमाजी, गोलपारा, करीमगंज, नागांव और नलबाड़ी जिलों में बाढ़ के कारण 1,05,700 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। इसमें कहा गया है कि करीमगंज सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जहां 95,300 से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इसके बाद नागांव में लगभग 5,000 लोग प्रभावित हुए हैं और धेमाजी में 3,600 से अधिक लोग बाढ़ के पानी में फंसे हुए हैं। एएसडीएमए ने कहा कि वर्तमान में 309 गांव पानी में डूबे हुए हैं और राज्य भर में 1,005.7 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल क्षतिग्रस्त हो गया है।
इसके अलावा, असम सचिवालय रविवार को अपने परिसर में 2.5 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना के उद्घाटन के साथ भारत में किसी राज्य सरकार का पहला हरित मुख्यालय (पर्यावरण अनुकूल) बन गया। राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने यह जानकारी दी। उन्होंने एक आधिकारिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 12.5 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित ग्रिड से जुड़े और छत पर लगे इस सौर ऊर्जा संयंत्र की वजह से हर महीने 30 लाख रुपये के बिजली बिल की बचत होगी। हिमंत विश्व शर्मा ने कार्यक्रम के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “आज हमने ‘नेट-जीरो’ सरकार बनने के अपने लक्ष्य में एक बड़ी छलांग लगाई है, क्योंकि मैंने जनता भवन में 2.5 मेगावाट सौर परियोजना का उद्घाटन किया, जिससे असम सचिवालय भारत का पहला हरित सचिवालय बन गया।” उन्होंने कहा कि सचिवालय परिसर में अब पूरी तरह से सौर ऊर्जा से बिजली आपूर्ति होगी, जिससे हर महीने 30 लाख रुपये के बिजली बिल की बचत होगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने निर्णय लिया है कि सभी आधिकारिक परिसरों में सौर पैनल लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत राज्य भर के मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालयों से होगी।
मणिपुर
मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें राज्य में जारी संकट के शीघ्र समाधान की मांग की गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ओ इबोबी सिंह ने जिरीबाम जिले में हुई हालिया हिंसा का मुद्दा उठाया और राज्यपाल से राजमार्गों पर वाहनों की मुक्त आवाजाही को सुनिश्चित करने का आग्रह किया ताकि आवश्यक वस्तुएं हमेशा की तरह उपलब्ध हों। राजभवन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, उइके ने 10 राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं से कहा कि “राज्य में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और संकट का स्थायी समाधान करने के लिए सभी प्रयास किए गए हैं।”
इसके अलावा, सुरक्षा बलों ने मणिपुर के तेंगनौपाल जिले में तीन उग्रवादियों को गिरफ्तार कर लिया, वहीं कांगपोकपी जिले में कई अत्याधुनिक हथियार जब्त किए। राज्य पुलिस के एक बयान में यह जानकारी दी गई। बयान के अनुसार सुरक्षा बलों ने 14 जून को तेंगनौपाल जिले में लामलोंग गांव के पास शानतोंग से तीन उग्रवादियों को गिरफ्तार किया। सोमवार देर रात जारी बयान के अनुसार राज्य में स्थिति नियंत्रण में है और सुरक्षा बल कानून व्यवस्था की स्थिति कायम रखने के लिए लगातार तलाशी अभियान चला रहे हैं। कांगपोकपी जिले में गंगपिजांग पर्वतीय क्षेत्रों में एक अलग तलाशी अभियान में सुरक्षा बलों ने रविवार को एक 7.62 मिमी एके 56 असॉल्ट राइफल, एक 22 बोर राइफल, एक 12 इंच सिंगल-बोर बैरल गन, दो इंप्रोवाइज्ड प्रोजेक्टाइल लॉन्चर, एक चीनी हैंड ग्रेनेड, एक देसी हथगोला, एक 51 मिमी मॉर्टल और कारतूस बरामद किए। बयान के अनुसार असम और मणिपुर के पुलिस अधिकारियों ने शनिवार को असम-मणिपुर सीमा पर स्थित जिरिबाम में क्षेत्र के मौजूदा हालात के संदर्भ में संयुक्त बैठक में चर्चा की। बराक और जिरि नदी घाटी क्षेत्र में नियमित गश्त बढ़ा दी गई है। बयान में लोगों से यह अपील भी की गई है कि लूटे हुए हथियार, कारतूस और गोला-बारूद तत्काल पुलिस या सुरक्षा बलों को लौटा दें।
इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि गृह मंत्रालय मणिपुर में जातीय विभाजन को पाटने के लिए जल्द से जल्द मेइती और कुकी समुदायों से बात करेगा। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, गृह मंत्री ने यहां मणिपुर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि यदि आवश्यकता हुई तो केंद्रीय बलों की तैनाती बढ़ाई जाएगी और राज्य में शांति एवं सौहार्द बहाल करने के लिए उन्हें रणनीतिक रूप से तैनात किया जाना चाहिए। शाह ने निर्देश दिया कि पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कानून के अनुसार कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। बयान में शाह के हवाले से कहा गया कि गृह मंत्रालय दोनों समूहों, मेइती और कुकी, से बात करेगा ताकि जातीय विभाजन को जल्द से जल्द पाटा जा सके। उन्होंने मणिपुर के मुख्य सचिव को विस्थापित लोगों के लिए उचित स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाएं तथा उनका पुनर्वास सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार पूर्वोत्तर राज्य के सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। शाह ने राहत शिविरों में स्थिति की भी समीक्षा की, विशेषकर भोजन, पानी, दवाओं और अन्य बुनियादी सुविधाओं की उचित उपलब्धता के संबंध में। उन्होंने चल रहे जातीय संघर्ष को हल करने के लिए समन्वित दृष्टिकोण के महत्व को रेखांकित किया। बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार राज्य में सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने में मणिपुर सरकार को सक्रिय रूप से सहयोग दे रही है। मणिपुर में 3 मई, 2023 को बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद जातीय हिंसा हुई थी। तब से जारी हिंसा में कुकी और मेइती समुदायों के 220 से अधिक लोग और सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में ताजा अशांति की घटनाओं की खबरों के बीच शाह ने राज्य में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। सूत्रों ने बताया कि उच्च स्तरीय बैठक में शाह को शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने राज्य की मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। गृह मंत्री ने मणिपुर की स्थिति का जायजा लिया, जिसके एक दिन पहले राज्य की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने उनसे मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि उइके ने उन्हें वहां की कानून-व्यवस्था की स्थिति से अवगत कराया। हाल ही में राजधानी इंफाल और जिरीबाम में फिर से हिंसा की खबरें आईं। सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार जिरीबाम जैसे नए इलाकों में हिंसा फैलने को लेकर चिंतित है, जो पिछले एक साल से काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा है। मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह, पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह और मुख्य सचिव विनीत जोशी राज्य सरकार की ओर से बैठक में शामिल हुए। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह हालांकि बैठक में मौजूद नहीं थे। एक घंटे चली बैठक में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, आसूचना ब्यूरो के निदेशक तपन डेका, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, अगले सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। मणिपुर की स्थिति की शाह द्वारा समीक्षा, जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर इसी प्रकार की बैठक लेने के एक दिन बाद आई है। मणिपुर की जनसंख्या में मेइती लोगों की हिस्सेदारी लगभग 53 प्रतिशत है तथा वे मुख्यतः इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि नगा और कुकी सहित जनजातीय लोग 40 प्रतिशत हैं तथा मुख्यतः पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि प्रदेश सरकार ने नौकरशाही में फेरबदल करते हुए 1998 बैच के आईएएस अधिकारी कलिंग तायेंग को प्रधान सचिव (निर्वाचन) नियुक्त किया है। एक आधिकारिक आदेश में यह कहा गया है। मुख्य सचिव धर्मेंद्र ने बुधवार को जारी आदेश में कहा कि विवेक पांडे को पवन कुमार सैन की जगह शहरी मामलों (शहरी विकास, नगर नियोजन, शहरी स्थानीय निकाय, आवास) का आयुक्त नियुक्त किया गया है। सैन के पास मुख्य निर्वाचन अधिकारी का भी कार्यभार है। उनको स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण आयुक्त की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं जल आपूर्ति आयुक्त का भी अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे। यह प्रभार पहले औधेश कुमार सिंह के पास था। सिंह को मुख्यमंत्री का सचिव नियुक्त किया गया है। आदेश में कहा गया है कि साधना देवरी को उनके मौजूदा प्रभार के अलावा मुख्यमंत्री का सचिव भी नियुक्त किया गया है। शिक्षा आयुक्त अमजद टाक को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। सौगत बिस्वास को उद्योग, व्यापार एवं वाणिज्य, कौशल विकास का उद्यमिता, श्रम एवं रोजगार आयुक्त नियुक्त किया गया है। यशपाल गर्ग को स्वप्निल एम. नाइक की जगह आयुक्त (कार्मिक) का प्रभार दिया गया है। नाइक को प्रमुख सचिव कलिंग तायेंग के स्थान पर सतर्कता सचिव के साथ ही विधि आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार भी सौंपा गया है। आईओएफएस अधिकारी हेज तारी पशुपालन एवं पशु चिकित्सा और मत्स्य पालन के सचिव होंगे, इन विभागों का प्रभार क्रमश: बिडोल तयेंग और सौगत बिस्वास के पास था। सचिव आईपीआर न्याली एटे को शहरी मामले (शहरी विकास, नगर नियोजन, शहरी स्थानीय निकाय, आवास) का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री ओजिंग तसींग ने जोर देकर कहा कि वह वित्तीय अनियमित्ताओं को लेकर विवादों में घिरे इन दोनों विभागों में धन के दुरुपयोग की जांच करेंगे। उन्होंने कहा कि वो इन दोनों विभागों को राज्य के सर्वश्रेष्ठ विभाग बनाएंगे। पहली बार मंत्री बने तसींग ने दो विभागों की अहम जिम्मेदारी सौंपने के लिए मुख्यमंत्री पेमा खांडू का आभार जताया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ने कहा कि वह सबसे पहले विभागों में समस्याओं का पता लगाएंगे। तसींग ने कहा, “मैं जल्द ही विभागों के सही और गलत फैसलों की समीक्षा के लिए बैठक बुलाऊंगा और तय किए गए लक्ष्य को पाने के लिए काम करूंगा।” ग्रामीण विकास विभाग लंबे अरसे से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (ग्रामीण) जैसी योजनाओं के कार्यान्वयन में धन के गलत इस्तेमाल के आरोपों से घिरा रहा है। हाल ही में पंचायती राज विभाग में 571 करोड़ रुपये की धनराशि की हेराफेरी के आरोप भी सामने आए थे। पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) ने दावा किया कि उसे सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के जरिए पता चला कि यह धनराशि कोरोना महामारी के दौरान पंचायत निकायों के लिए थी। तसींग ने कहा, “विभागों की व्यवस्था को दुरुस्त करना और उसका गौरव वापस लाना मेरे लिए अग्निपरीक्षा होगी। मैं पूरी ईमानदारी से मुख्यमंत्री द्वारा सौंपे गए काम को पूरा करूंगा।” मंत्री ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे की उनके नेतृत्व वाले विभागों में भ्रष्टाचार न हो। उन्होंने कहा, “मैं नए विचारों के साथ दोनों विभागों को सुव्यवस्थित करने के लिए कड़ी मेहनत करूंगा और धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए नये नियम बनाऊंगा। मैं विभागों के सामने आने वाली समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करूंगा ताकि यह सुचारु रुप से कार्य कर सके।” तसींग ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा निर्धारित गति, पैमाने, दायरे और मानकों के सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ‘विकसित अरुणाचल’ की दिशा में काम करेंगे। तसींग ने बताया कि तीन जून को नये मंत्रिपरिषद की शपथ ग्रहण के तुरंत बाद बुलाई गई मंत्रिमंडल की पहली बैठक में कई क्षेत्रों में विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 100 दिनों का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा, “हम जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मंत्रिमंडल द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करेंगे।” भाजपा ने लगातार तीसरी बार अरुणाचल प्रदेश की सत्ता में वापसी की है। पार्टी ने 60 सदस्यीय विधानसभा में 46 सीट जीतीं।
इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण राज्य के कई हिस्सों में भूस्खलन हुए हैं और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। राज्य की राजधानी में कई स्थानों पर भूस्खलन हुआ है। डोइमुक-पोटिन मार्ग और ईटानगर-यूपिया मार्ग के कई हिस्सों में जलभराव होने की सूचना है। मंगलवार सुबह कारसिंगसा सिंकिंग जोन में एनएच-415 का एक हिस्सा और एक पुलिया बह गई, जिससे निर्जुली और बांदरदेवा के बीच सड़क संपर्क टूट गया। इन क्षेत्रों के बीच वाहनों के यातायात को गुम्टो मार्ग की तरफ से मोड़ दिया गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा अगले कुछ दिनों में राज्य की राजधानी में भारी बारिश के पूर्वानुमान के बाद जिला प्रशासन ने संवेदनशील क्षेत्रों के निवासियों से सुरक्षित स्थानों या निर्दिष्ट राहत शिविरों में जाने का आग्रह किया है। अधिकारियों ने कहा कि भूस्खलन और बाढ़ से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए राज्य की राजधानी में आठ राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। राज्य की प्रमुख नदियां और उनकी सहायक नदियां उफान पर हैं। हालांकि वे अभी खतरे के निशान से नीचे बह रही हैं। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने मानसून की तैयारियों की समीक्षा के लिए बुधवार को अधिकारियों के साथ एक बैठक की। खांडू ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “आपदा प्रबंधन सलाहकार माननीय नकाप नालो जी की उपस्थिति में हमारी मानसून तैयारियों का आकलन करने के लिए आज आपदा प्रबंधन विभाग के साथ एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।” मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे नागरिकों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के तीन विधायकों ने बुधवार को पेमा खांडू के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की। इन विधायकों में- निख कामिनी, लिखा सोनी और टोको तातुंग – शामिल हैं, जिन्होंने यहां खांडू के कार्यालय में उनसे मुलाकात कर उन्हें अपना समर्थन पत्र सौंपा। खांडू ने उनकी प्रतिबद्धता और सहयोग के लिए उनका आभार जताया और राज्य की प्रगति को बढ़ावा देने में इस तरह के गठबंधन के महत्व को स्वीकार किया। खांडू ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “मैं अरुणाचल प्रदेश में भाजपा सरकार को बिना शर्त समर्थन देने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) के माननीय विधायक निख कामिन जी, लिखा सोनी जी और टोको तातुंग जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। विधायकों ने मुलाकात के दौरान अपना समर्थन पत्र सौंपा।” मुख्यमंत्री ने कहा, “आपकी प्रतिबद्धता और सहयोग की हम बहुत सराहना करते हैं। हम मिलकर अरुणाचल प्रदेश के विकास और समृद्धि के लिए काम करना जारी रखेंगे।” हाल ही में तीन निर्दलीय उम्मीदवारों और पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) के दो सदस्यों ने भी पूर्वोत्तर राज्य में भाजपा सरकार को समर्थन दिया है। राज्य में 60 सदस्यीय विधानसभा के लिये 19 अप्रैल को हुए चुनाव में भाजपा ने 46 सीटें जीती थीं। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने पांच सीटें जीतीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने तीन, पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल ने दो, कांग्रेस ने एक और तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी विजयी हुए।
सिक्किम
सिक्किम से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि उत्तरी सिक्किम में फंसे शेष 158 पर्यटकों को निकालने के साथ ही बचाव अभियान बुधवार को समाप्त हो गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। मंगन के जिलाधिकारी हेम कुमार छेत्री ने बताया कि पिछले तीन दिनों में फंसे हुए सभी 1,447 पर्यटकों को निकाल लिया गया है। मंगलवार को कुल 1,225 और सोमवार को 64 पर्यटकों को बचाया गया। उन्होंने कहा, “अभियान के तीसरे और अंतिम दिन 158 पर्यटकों को बचाने के साथ हमने फंसे हुए सभी 1,447 पर्यटकों को निकाल लिया है।” मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने कहा कि 1,447 पर्यटकों को उनके गंतव्य भेज दिया गया है। उन्होंने कहा, “उत्तरी सिक्किम में बादल फटने से 12-14 जून 2024 तक लगातार बारिश के कारण मंगन जिले में कुल 1,447 पर्यटक फंस गए थे… उन सभी को व्यापक बचाव अभियान के बाद अब सफलतापूर्वक निकाल लिया गया है और उनके संबंधित गंतव्य रवाना कर दिया गया है।” मुख्यमंत्री ने बचाव अभियान में शामिल सभी लोगों और पर्यटकों को चुनौतीपूर्ण समय के दौरान धैर्य रखने के लिए धन्यवाद दिया। जिला प्रशासन और पुलिस के अलावा सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ सिक्किम (टीएएएस), स्थानीय पंचायतें और स्वयंसेवक बचाव अभियान में शामिल थे। पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन के कारण सिक्किम में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है। भूस्खलन के कारण लाचुंग शहर में कुछ विदेशियों सहित लगभग 1,500 पर्यटक फंसे हुए थे। सीमा सड़क संगठन सड़कों को साफ करने और संपर्क बहाल करने के लिए काम कर रहा है।
नगालैंड
नगालैंड से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में आगामी शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) चुनाव से कुल 79 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। राज्य निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। मंगलवार को नामांकन वापसी का आखिरी दिन था। पूर्वी नगालैंड के क्षेत्रों सहित राज्य के तीन नगर निगम और 36 नगर पालिका परिषदों के लिए 238 महिलाओं सहित कुल 669 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया था। राज्य निर्वाचन आयोग ने बताया कि शमतोर नगर पालिका परिषद से 17, लोंगलेंग नगर पालिका परिषद से 13, तिजित नगर पालिका परिषद से नौ, चीफोबोजोउ नगर पालिका परिषद, पुंगरो और नागिनिमोरा नगर परिषद से से आठ-आठ, अबोई नगर पालिका परिषद से चार, दीमापुर नगर परिषद से तीन, कोहिमा, मोकोकचुंग, वोखा, जुन्हेबोटो, चोजुबा, अघुनातो, अटोइजु, पेरेन और निउलैंड नगर पालिका परिषद से एक-एक व्यक्ति ने अपना नामांकन वापस लिया है। नगालैंड में 26 जून को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए मतदान होगा। राज्य में 20 साल बाद शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएंगे। आखिरी बार साल 2004 में ये चुनाव हुए थे। राज्य में पहली बार शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण होगा। इस बीच, पूर्वी नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) के क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाली 14 नगर पालिका परिषदों में कुल 61 लोगों ने नामांकन दाखिल किए, जबकि ईएनपीओ ने चुनावों से दूर रहने के आह्वान किया था। जांच के दौरान दो नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए, जबकि मंगलवार तक 59 उम्मीदवारों ने नामांकन वापस ले लिए। इसके साथ ही, ईएनपीओ क्षेत्र में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में कोई उम्मीदवार नहीं बचा।
मिजोरम
मिजोरम से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य सरकार राज्य में 33,000 से अधिक म्यांमा शरणार्थियों का बायोमेट्रिक पंजीकरण कराने के लिए केंद्र सरकार के निर्देश का इंतजार कर रही है। राज्य के गृह विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि नया बायोमेट्रिक पंजीकरण पोर्टल तैयार कर लिया गया है। उन्होंने बताया, ”हम केंद्र से निर्देश मिलने का इंतजार कर रहे हैं। निर्देश मिलते ही हम म्यांमा के नागरिकों का बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करना शुरू कर देंगे।” इससे पहले, मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा था कि डेटा एकत्र करने के लिए बायोमेट्रिक पंजीकरण पोर्टल तैयार किया गया है और निकट भविष्य में इसका उपयोग किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने म्यांमा के साथ सीमा साझा करने वाले मिजोरम और मणिपुर को राज्यों में ‘अवैध प्रवासियों’ का बायोमेट्रिक पंजीकरण कराने और उनकी जानकारियां एकत्र करने का निर्देश दिया था। पिछले वर्ष जून में मंत्रालय ने राज्यों को सितंबर तक यह अभियान पूरा कराने का निर्देश दिया था तथा दोनों राज्यों को एक योजना तैयार करने तथा पंजीकरण प्रक्रिया आरंभ करने का निर्देश दिया था। मिजोरम सरकार ने शुरुआत में केंद्र के निर्देशानुसार प्रशिक्षण आयोजित किया था और नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की थी, लेकिन मंत्रिपरिषद ने पिछले साल सितंबर में बैठक के दौरान म्यांमा शरणार्थियों के लिए बायोमेट्रिक तथा बायोग्राफिक पंजीकरण नहीं करने का निर्णय लिया था और कहा था कि उस वर्ष नवम्बर में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों के कारण ऐसा करने की सलाह नहीं दी जा सकती। लालदुहोमा ने कहा कि राज्य में शरण लिए हुए म्यांमा और बांग्लादेश के नागरिकों को उनका बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करने के केंद्र के निर्देश के मद्देनजर स्वदेश वापस भेजे जाने का डर है। मुख्यमंत्री ने बताया कि जनवरी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में उन्होंने आश्वासन दिया था कि पड़ोसी देशों में शांति बहाल होने तक किसी भी शरणार्थी को वापस उनके देश नहीं भेजा जाएगा। राज्य के गृह विभाग के अनुसार, मिजोरम के विभिन्न हिस्सों में 12,901 बच्चों सहित कुल 33,835 म्यांमाई नागरिकों ने शरण ले रखी है। चम्फाई जिले में सबसे अधिक 14,212 म्यांमाई शरणार्थी रहते हैं।

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