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Poorvottar Lok: Manipur में फिर हुआ बवाल, Arunachal CM ने उठाई धनबल के खिलाफ आवाज, Mizoram को चुनाव परिणाम का इंतजार

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के पुलिस बलों के बीच करीबी समन्वय की जरूरत पर जोर दिया है तो मणिपुर में एक अस्पताल परिसर के बाहर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के कुछ गोले छोड़े हैं। त्रिपुरा से खबर है कि जल्द ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी राज्य का दौर करेंगे। वहीं अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख इख्तियार किया है, साथ ही उन्होंने चुनावों में धनबल के इस्तेमाल के खिलाफ आवाज उठाई है। दूसरी ओर मिजोरम को तीन दिसंबर का बेसब्री से इंतजार है जिस दिन विधानसभा चुनाव के परिणाम आएंगे। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से कई प्रमुख समाचार रहे। आइये सब पर डालते हैं एक नजर लेकिन सबसे पहले बात करते हैं असम की।
असम
असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जीपी सिंह ने कहा कि यह अजीब संयोग है कि जिस दिन एपीएससी में ‘नौकरियों के बदले नकदी’ घोटाले में आरोपी अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया, उसी दिन सेना के शिविर के बाहर ग्रेनेड विस्फोट हुआ। डीजीपी ने कहा कि यह दर्शाता है कि विस्फोट जांच से ध्यान भटकाने की एक कोशिश थी, लेकिन हम घोटाले की तह तक पहुंच इसके दोषियों को दंडित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। असम के तिनसुकिया जिले के डिराक में बुधवार को सेना के एक शिविर के गेट के बाहर दो मोटरसाइकिल सवार लोगों ने ग्रेनेड फेंका था। इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ था। उसी दिन, पुलिस ने असम लोक सेवा आयोग (एपीएससी) द्वारा आयोजित संयुक्त लोक सेवा परीक्षाओं में ‘नकदी के बदले नौकरी’ घोटाले में कथित रूप से शामिल असम लोक सेवा (एपीएस) के दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में एक अन्य अधिकारी को बृहस्पतिवार को हिरासत में लिया गया था। डीजीपी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”यह एक अजीब संयोग है कि जिस दिन असम सरकार और पुलिस एपीएससी घोटाले के मामले में नये सिरे से कार्रवाई शुरू करती है, उसी दिन असम के तिनसुकिया जिले में बदमाशों द्वारा एक छोटा सा विस्फोट किया जाता है। यह एपीएससी घोटाले की जांच से पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान हटाने की कोशिश प्रतीत होती है। ऐसे उपद्रवी और संगठन हमेशा असम को बेहतर बनाने के प्रयासों को दबाने की कोशिश करेंगे।’’ साथ ही उन्होंने कहा कि हम अपराधियों को चिह्नित कर उन्हें दंडित करेंगे और हम घोटाले की तह तक पहुंचकर इसमें शामिल लोगों को दंडित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को पूर्वोत्तर क्षेत्र के पुलिस बलों के बीच करीबी समन्वय की जरूरत पर जोर दिया क्योंकि इस क्षेत्र के विभिन्न राज्य मादक पदार्थों की तस्करी और उग्रवाद जैसी समान समस्याओं से जूझ रहे हैं। उन्होंने अपराध पर प्रभावी तरीके से नकेल और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए पुलिसिंग में तकनीक के अधिकाधिक उपयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया। मेघालय के उमियाम में उत्तर पूर्वीय पुलिस अकादमी (नेपा) में ‘पासिंग आउट’ परेड को संबोधित करते हुए शर्मा ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के पुलिस बलों को मिलकर काम करना चाहिए क्योंकि समस्याएं भी समान हैं। उन्होंने म्यांमा के जरिए मादक पदार्थों की तस्करी को समान समस्या बताया और दावा किया कि विभिन्न राज्यों में सक्रिय उग्रवादी समूह ‘बाहर रहकर एक साथ काम करते हैं और साझा रणनीति अपनाते हैं’। उन्होंने कहा, ‘हमारे पुलिस बलों को आपसी समन्वय बढ़ाना चाहिए और उग्रवादियों से लड़ने के लिए साझा नीति अपनानी चाहिए।’ उन्होंने नवनियुक्त पुलिसकर्मियों से प्रशिक्षण के दौरान विकसित सौहार्द की भावना को बनाए रखने का आग्रह किया। शर्मा ने इस बात पर भी जोर दिया कि उच्च स्तर पर अधिकारियों के बीच आधिकारिक सूचना के आदान-प्रदान की प्रतीक्षा करने के बजाय क्षेत्रीय स्तर पर करीबी समन्वय के माध्यम से अपराध से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने में मदद मिलेगी। शर्मा ने कहा, ‘हमें मादक पदार्थों की तस्करी व अन्य अपराधों से लड़ना है और यह सुनिश्चित करना है कि हमारे वरिष्ठ नागरिक, महिलाएं, बच्चे और अन्य कमजोर वर्ग सुरक्षित रहें।’ पूर्वोत्तर के पांच राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा से पुलिस उपाधीक्षक से लेकर उप-निरीक्षक तक के पदों पर कुल 377 प्रशिक्षु नेपा में बुनियादी पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद उत्तीर्ण हुए हैं।
मणिपुर
मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के इम्फाल में जेएनआईएमएस अस्पताल परिसर के बाहर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के कुछ गोले छोड़े। लोग म्यांमा के एक घायल युवक को अस्पताल भर्ती कराये जाने के विरोध में एकत्र हुए थे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गोली लगने से घायल युवक को असम राइफल्स और पुलिसकर्मियों ने अस्पताल में भर्ती कराया और बाद में इलाज के दौरान युवक की मौत हो गई। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि म्यांमा के थनान गांव के खोनातुम को 8 असम राइफल्स और कामजोंग जिला पुलिस की एक टीम ने पेट के निचले हिस्से में गोली लगने के कारण जेएनआईएमएस में भर्ती कराया था। उन्होंने कहा, ‘‘घटनास्थल के निकट एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में डॉक्टरों द्वारा गोली निकालने के बाद खोनातुम को अस्पताल लाया गया। बाद में जेएनआईएमएस में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।’’ उन्होंने बताया कि जैसे ही यह खबर फैली कि म्यांमा के घायल कुकी समुदाय के व्यक्ति को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया है, स्वास्थ्य केंद्र के बाहर भीड़ एकत्र हो गई। भीड़ ने मांग की कि उसे इलाज के लिए राज्य के बाहर किसी अन्य अस्पताल में ले जाया जाए। अधिकारियों ने बताया कि पुलिसकर्मी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अस्पताल परिसर पहुंचे और आंसू गैस के गोले छोड़े जिससे विवाद शुरू हो गया।
इसके अलावा, मणिपुर में जातीय संघर्ष को “राजनीतिक समस्या” करार देते हुए सेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने मंगलवार को कहा कि जब तक सुरक्षाबलों से लूटे गए लगभग 4,000 हथियार आम लोगों से बरामद नहीं कर लिए जाते तब तक हिंसा की घटनाएं जारी रहेंगी। पूर्वी कमान के ‘जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ’ ने यह भी कहा कि भारत मिजोरम और मणिपुर में आम ग्रामीणों, सेना या पुलिस सहित म्यांमा से शरण लेने वाले किसी भी व्यक्ति को शरण दे रहा है, लेकिन मादक पदार्थों के तस्करों के उग्रवादी समूहों के सशस्त्र कैडरों को नहीं। कलिता ने गुवाहाटी प्रेस क्लब में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘हमारा प्रयास हिंसा को रोकना और संघर्ष के दोनों पक्षों को राजनीतिक समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रेरित करना है। क्योंकि अंततः समस्या का राजनीतिक समाधान ही होना है।’’ उन्होंने कहा कि जहां तक जमीनी स्थिति का सवाल है, भारतीय सेना का उद्देश्य शुरू में अपने घरों से विस्थापित हुए लोगों के लिए बचाव और राहत अभियान चलाना था। कलिता ने कहा, “इसके बाद, हम हिंसा को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें हम काफी हद तक सफल रहे हैं। लेकिन दो समुदायों-मेइती और कुकी के बीच ध्रुवीकरण के कारण यहां-वहां छिटपुट घटनाएं होती रहती हैं।” यह पूछे जाने पर कि झड़प शुरू होने के साढ़े छह महीने से अधिक समय के बाद भी मणिपुर में सामान्य स्थिति क्यों नहीं लौटी है, उन्होंने कहा कि राज्य में रहने वाले तीन समुदायों-मेइती, कुकी और नगा के बीच कुछ विरासत संबंधी मुद्दे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि इससे पहले 1990 के दशक में कुकी और नगाओं के बीच संघर्ष हुआ था, जिसमें लगभग 1,000 लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा, “अब क्या हुआ है कि दो समुदाय पूरी तरह से ध्रुवीकृत हो गए हैं। हालांकि हिंसा का स्तर कम हो गया है। विभिन्न थानों और अन्य स्थानों से 5,000 से अधिक हथियार लूट लिए गए।” अधिकारी ने कहा, “इनमें से केवल 1,500 हथियार ही बरामद किए गए हैं। इसलिए, लगभग 4,000 हथियार अभी भी बाहर हैं। जब तक ये हथियार लोगों के पास हैं, तब तक इस तरह की छिटपुट हिंसक गतिविधियां जारी रहेंगी।” कलिता ने कहा कि भारत-म्यांमा सीमा के माध्यम से मादक पदार्थों के साथ-साथ हथियारों की तस्करी थम गई है, हालांकि कुछ छिटपुट घटनाएं हो सकती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, “लेकिन चूंकि 4,000 हथियार पहले से ही खुले में हैं, मुझे लगता है कि बाहर से हथियार लाने की कोई आवश्यकता नहीं है।” मणिपुर में तीन मई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित होने के बाद शुरू हुईं जातीय झड़पों में 180 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों अन्य घायल हुए हैं। राज्य की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत से कुछ अधिक है, जो पर्वतीय जिलों में रहते हैं। म्यांमा के शरणार्थी संकट पर लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने कहा, “हमारे पड़ोस में कोई भी अस्थिरता हमारे हित में नहीं है। यह निश्चित रूप से हम पर प्रभाव डालती है, क्योंकि हमारे बीच साझा सीमा है। कठिन भौगालिक स्थितियों तथा विकास की कमी के कारण भारत-म्यांमा सीमा संबंधी समस्या बढ़ जाती है।” उन्होंने कहा कि सीमा के दोनों ओर एक ही जातीय मूल के लोग हैं, जहां काफी स्वतंत्र आवाजाही होती है, और सीमाओं का प्रबंधन करने वाले बलों के लिए यह पहचानना मुश्किल हो जाता है कि कौन भारत के लोग हैं और कौन म्यांमा से हैं। कलिता ने कहा, “हम शरण चाहने वाले किसी भी व्यक्ति को आश्रय दे रहे हैं, चाहे वह आम ग्रामीण हो या म्यांमा सेना या म्यांमा पुलिस हो। एक उचित प्रक्रिया का पालन किया जाता है। जब भी वे अंदर आना चाहते हैं, तो हथियार स्पष्ट रूप से अलग कर दिए जाते हैं।’’ उन्होंने कहा, “इसके बाद एक उचित पहचान की जाती है, ताकि अवांछित तत्वों को अलग किया जा सके। हम विदेश मंत्रालय और (म्यांमा) दूतावास से संपर्क करते हैं। म्यांमा सेना के इन सभी जवानों को मोरेह (मणिपुर में) ले जाया जाएगा और फिर (म्यांमा) बल को सौंप दिया जाएगा।” कलिता ने कहा कि सीमा पर बलों के लिए निर्देश बिलकुल स्पष्ट है कि म्यांमा में संघर्ष से बचने के लिए शरण लेने वाले आम ग्रामीणों को रोका नहीं जाए और जब भी वे तैयार हों, उन्हें वापस भेज दिया जाए।
इसके अलावा, मणिपुर के इंफाल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर रविवार दोपहर को एक अज्ञात उड़ती वस्तु (यूएफओ) दिखने के कारण सामान्य उड़ान सेवाएं प्रभावित हुईं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। दो उड़ानों का मार्ग परिवर्तित किया गया और तीन अन्य ने देरी से उड़ान भरी। सेवाएं करीब तीन घंटे बाद सामान्य हो सकीं। हवाई अड्डे के निदेशक चिपेम्मी कीशिंग द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘इम्फाल नियंत्रित हवाई क्षेत्र के भीतर एक अज्ञात उड़ती वस्तु देखे जाने के कारण दो उड़ानों का मार्ग परिवर्तित किया गया है और तीन उड़ानों के प्रस्थान समय में विलंब हुआ है। सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी मिलने के बाद उड़ान संचालन शुरू हुआ।’’ हवाई यातायात नियंत्रण(एटीसी) के एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें अपराह्न ढाई बजे केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) से एक संदेश मिला, जिसमें बताया गया कि हवाई अड्डे के पास एक यूएफओ पाया गया है। अधिकारी ने कहा, ‘‘शाम चार बजे तक यूएफओ नग्न आंखों से हवाई क्षेत्र के पश्चिम की ओर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा था।’’ जिन उड़ानों के मार्ग में परिवर्तन किया गया, उनमें कोलकाता से इंडिगो की एक उड़ान भी शामिल थी, जिसे शुरू में ‘‘ओवरहेड होल्ड करने’’ का निर्देश दिया गया था और 25 मिनट के बाद इसे गुवाहाटी की ओर मोड़ दिया गया। पहले से ही उड़ान भर चुके किसी विमान को एक निर्दिष्ट हवाई क्षेत्र में रखते हुए विलंबित करने के लिए ‘‘ओवरहेड होल्ड करने’’का निर्देश दिया जाता है। देरी से उड़ान भरने वाले विमान करीब तीन घंटे देरी से मंजूरी मिलने के बाद इम्फाल हवाईअड्डे से रवाना हुईं। अधिकारी ने बताया कि शिलांग स्थित भारतीय वायु सेना की पूर्वी कमान को घटनाक्रम की जानकारी दे दी गई है। मणिपुर की सीमा नगालैंड, मिजोरम और असम से लगती है। इसके अलावा यह पूर्व में म्यांमा के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है।
मेघालय
मेघालय से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को कहा कि पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री मणिपुर की स्थिति को लेकर आपस में संपर्क में हैं और इस हिंसा प्रभावित राज्य की जो भी सहायता जरूरत होगी, बाकी सभी राज्य उसे देते रहेंगे। भाजपा नीत पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन के समन्वयक शर्मा पूर्वोत्तर पुलिस अकादमी में 52वें ‘बेसिक कोर्स’ की पासिंग आउट परेड में हिस्सा लेने के लिए मेघालय के रि-भोई जिले के उमसा में थे। इस कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, ”पूर्वोत्तर राज्यों के हम सभी मुख्यमंत्री मणिपुर की स्थिति को लेकर एक-दूसरे के संपर्क में हैं। जिस किसी सहायता की जरूरत होगी और जो भी सहयोग चाहिए, हम अपनी तरफ से दे रहे हैं और सहयोग करते रहेंगे।’’ मणिपुर में तीन मई को भड़की जातीय हिंसा में अब तक 180 से अधिक लोगों की जान चली गयी है। मेइती समुदाय की जनजाति दर्जे की मांग के खिलाफ उस दिन पर्वतीय जिलों में ‘ट्राइबल सॉलिडिरिटी मार्च’ आयोजित किया गया था।
इसके अलावा, मेघालय के उप मुख्यमंत्री प्रेस्टोन टी. ने कहा है कि राज्य सरकार और असम प्रशासन ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को पत्र लिखकर पिछले साल दोनों राज्यों की विवादित सीमा से लगे मुकरोह में हुई गोलीबारी की घटना की जांच अपने हाथ में लेने का अनुरोध किया है। उन्होंने बताया कि असम और मेघालय की सरकारों ने 30 सितंबर को मुकरोह गोलीबारी की जांच सीबीआई से कराने के लिए अनुरोध करने का फैसला लिया था। यह पूछे जाने पर कि क्या मुकरोह गोलीबारी घटना की जांच सीबीआई को सौंपी दी गई है, प्रेस्टोन टी. ने कहा, ‘‘हम पहले ही एक पत्र लिख चुके हैं। असम (राज्य सरकार) ने भी ऐसा किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘गेंद अब सीबीआई के पाले में है।’’ हम आपको बता दें कि गोलीबारी की यह घटना पिछले साल 22 नवंबर को उस वक्त हुई जब असम वनकर्मियों ने कथित तौर पर अवैध रूप से काटी गई लकड़ियों से लदे एक ट्रक को रोकने के बाद मेघालय के मुकरोह के ग्रामीणों पर गोलीबारी की थी। हिंसा में मारे गए छह लोगों में से पांच मेघालय के निवासी थे और एक असम का वन रक्षक था। मेघालय को 1972 में असम से अलग कर एक अलग राज्य बनाया गया था और मेघालय ने असम पुनर्गठन अधिनियम, 1971 को चुनौती दी थी, जिसके कारण दोनों राज्यों के बीच 884.9 किमी लंबी सीमा के 12 क्षेत्रों में विवाद पैदा हो गया। दोनों राज्यों ने छह क्षेत्रों में सीमा विवाद सुलझाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे और शेष को हल करने के लिए बातचीत जारी है।
इसके अलावा, मेघालय में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) ने कहा है कि संगठन के अध्यक्ष एवं महासचिव केंद्र एवं राज्य सरकार के साथ जारी शांति वार्ता में तब तक शामिल नहीं होंगे, जब तक उनके खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस नहीं ले लिए जाते। संगठन के अध्यक्ष बॉबी मार्विन ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ‘‘(राज्य) सरकार अध्यक्ष और महासचिव की भागीदारी पर जोर देती है। हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि हमारे खिलाफ सभी लंबित मामले जब तक वापस नहीं लिए जाते या संघर्ष विराम के लिए किसी रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए जाते, तब तक एचएनएलसी अध्यक्ष या महासचिव वार्ता में भाग नहीं ले सकते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपने नवनियुक्त उपाध्यक्ष टेमिकी लालू को प्रक्रिया पर नजर रखने और इसकी प्रगति का आकलन करने का काम आधिकारिक तौर पर सौंपा है।’’ संगठन ने कहा कि शांति वार्ता का उद्देश्य बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से समाधान निकालना है, लेकिन ऐसा संदेह है कि केंद्र इसे आत्मसमर्पण या निरस्त्रीकरण के रूप में देखता है। उसने कहा, ‘‘हमारा दृढ़ विश्वास है कि स्थायी शांति के लिए राजनीतिक समाधान आवश्यक है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि शांति वार्ता पूर्व निर्धारित शर्तों पर निर्भर न हो।’’ मेघालय के उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन तिनसोंग ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था, ‘‘हम अब भी एचएनएलसी से संदेश का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि उनके शीर्ष नेता पिछली बैठक में शामिल नहीं हो सके थे। जब आप तैयार हों तो कृपया हमें बताएं।’’ एचएनएलसी नेतृत्व ने पिछले साल अगस्त में केंद्र, राज्य सरकार और संगठन के बीच त्रिपक्षीय वार्ता में भाग लेने के लिए अपने ‘उपाध्यक्ष’ और ‘विदेश सचिव’ को अधिकृत किया था। राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) ने फिरौती नहीं देने पर दिसंबर 2020 में पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में स्थित स्टार सीमेंट फैक्टरी के परिसर में बम विस्फोट करने के आरोप में प्रतिबंधित संगठन के चार सदस्यों के खिलाफ उसी महीने आरोपपत्र दायर किया था।
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी दिसंबर में त्रिपुरा का दौरा करेंगे। पार्टी सचिव सरिता लैतफलांग ने कांग्रेस भवन में संवाददाताओं से कहा कि राहुल और प्रियंका विधानसभा चुनाव के प्रचार में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा कि दोनों नेता चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद मां त्रिपुरसुंदरी का आशीर्वाद लेने के लिए त्रिपुरा आएंगे। लैतफलांग ने कहा, “राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में मतगणना तीन दिसंबर को होगी। इन राज्यों में सरकार गठन के बाद राहुल जी और प्रियंका गांधी इस राज्य का दौरा करेंगे। ऐसी उम्मीद है कि वे अलग-अलग दिसंबर के दूसरे एवं तीसरे सप्ताह में यहां आएंगे।’’ इससे पहले, कांग्रेस की त्रिपुरा इकाई के अध्यक्ष आशीष कुमार साहा और लैतफलांग ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में महिला कांग्रेस की नेताओं के साथ बैठक की। हम आपको बता दें कि त्रिपुरा में लोकसभा की दो सीट हैं और 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दोनों सीट पर जीत हासिल की थी।
इसके अलावा, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित एक संगठन ने कहा है कि ईसाई धर्म अपनाने वाले अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों को मिल रहे लाभ को वापस लेने की मांग करते हुए वह क्रिसमस के दिन 25 दिसंबर को अगरतला में एक रैली करेगा। जनजाति सुरक्षा मंच (जेएसएम) की त्रिपुरा इकाई के संयोजक शांति विकास चकमा ने कहा कि एसटी समुदाय से जुड़े लोग, जो धर्मांतरित हुए हैं, उन्हें सूची से बाहर करने के लिए संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए। जेएसएम को आरएसएस की आदिवासी शाखा बनबासी कल्याण आश्रम का समर्थन प्राप्त है। चकमा ने संवाददाताओं से कहा, ‘संवैधानिक प्रावधानों में संशोधन कर धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों का एसटी का दर्जा हटाने की मांग को लेकर हम 25 दिसंबर को स्वामी विवेकानंद मैदान में एक विशाल रैली करेंगे।’ चकमा ने जोर देकर कहा कि जेएसएम किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है लेकिन ब्रिटिश काल के दौरान त्रिपुरा में ईसाई धर्म उस तरह नहीं फैला, जैसा कि अब धर्मांतरण के कारण फैल रहा है। चकमा ने कहा कि ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या 1911 की जनगणना में 138 से बढ़कर 1991 में 46,472 और 2011 में 1,59,582 हो गई है।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग की औपचारिकताओं को पूरा किए बिना संबंधित अधिकारियों को ‘‘फर्जी’’ नियुक्ति आदेश देने के आरोप में 256 शिक्षकों, लिपिकों और सहायक कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य शिक्षा आयुक्त अमजद टाक ने कथित अनियमितताओं का विश्लेषण करने के लिए गठित एक जांच समिति की जांच के बाद विभिन्न जिलों में नियुक्त इन कर्मचारियों को सेवाओं से बर्खास्त करने के अलग-अलग आदेश जारी किए हैं। जांच में पाया गया कि ऐसे नियुक्ति पत्र ‘‘प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय से कभी जारी नहीं किए गए थे’’। आदेशों से पता चला कि ‘‘बड़ी संख्या में प्राथमिक शिक्षक (पीआरटी), प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी), उच्च और निम्न श्रेणी के लिपिक (यूडीसी और एलडीसी) और मल्टी-टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) ने नियुक्ति आदेश प्रस्तुत करके अपना पद सुरक्षित कर लिया था। बाद में पता चला कि यह धोखाधड़ी थी।’’ टाक ने कहा, ‘‘सभी अवैध नियुक्तियां विभिन्न अधिकारियों ने की थी और मामले में जांच जारी है। अब तक लोंगडिंग जिले के माध्यमिक शिक्षा विभाग के एक उप निदेशक को अनियमितताओं में शामिल होने के आरोप में निलंबित किया गया है। मामले में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई शुरू की जाएगी।’’ अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री पेमा खांडू पहले ही मामले को राज्य पुलिस की एक विशेष जांच टीम को सौंपने का आदेश दे चुके हैं। शिक्षा विभाग ने संबंधित अधिकारियों को इस फर्जीवाड़े और फर्जी नियुक्ति आदेशों को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने का भी निर्देश दिया है।
इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख इख्तियार किया है, साथ ही उन्होंने चुनावों में धनबल के इस्तेमाल के खिलाफ आवाज उठाई। बृहस्पतिवार को एक बयान में यह जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री ने ‘डी के कन्वेंशन हॉल’ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार निरोधक संस्कृति की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने चुनावों के दौरान धनबल के इस्तेमाल के चलन को समाप्त करने की जरूरत पर भी जोर दिया। खांडू ने व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष बियुराम वाहगे, महासचिव (संगठन) अनंत नारायण मिश्रा और उनकी टीम की सराहना की। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि यह पहल राज्य में पार्टी को मजबूत करेगी और जमीनी स्तर पर लोगों को सरकार की उपलब्धियों से अवगत कराएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा राज्य में विकास लाने में सक्षम है, साथ ही उन्होंने समग्र विकास के लिए लोगों से सरकार को सशक्त करने की अपील की। बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री ने भाजपा कार्यकर्ताओं को युवाओं को पार्टी में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने को भी कहा।
इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के पक्के-केसांग जिले में ‘पक्के टाइगर रिजर्व फाउंडेशन’ (पीटीआरएफ) ने भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई) के साथ मिलकर शुक्रवार को इस साल इंसान-हाथी संघर्ष से प्रभावित 69 परिवारों को चावल वितरित किए। डब्ल्यूटीआई के एक पदाधिकारी ने बताया कि जिले में पक्के टाइगर रिजर्व के पास स्थित सिजोसा में रहने वाले परिवारों को करीब 69 क्विंटल चावल वितरिए किए गए। डब्ल्यूटीआई के अंतर्गत आने वाले ‘सेंटर फॉर बीयर रिहैबिलिटेशन एंड कंजर्वेशन’ (सीबीआरसी) के प्रबंधक पंजीत बासुमतारी ने कहा कि चावलों का वितरण ‘ग्रेन फॉर ग्रेन’ पहल 2022-23 के हिस्से के रूप में किया गया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष और स्थानीय विधायक बियुराम वाह्गे ने पक्के-केसांग जिले के उपायुक्त तायेक पाडो, संभागीय वन अधिकारी सत्यप्रकाश सिंह और सिजोसा वन रेंज अधिकारी रुबो ताडो की मौजूदगी में चावलों का वितरण किया। पंजीत ने कहा कि भारत में करीब 101 सरकारी अधिसूचित हाथी गलियारे हैं और हर साल हाथियों के साथ संघर्ष की वजह से 400 से ज्यादा इंसानों की मौत होती है जबकि जवाबी प्रतिक्रिया में करीब 100 हाथी मारे जाते हैं। डब्ल्यूटीआई ने ‘ग्रेन फॉर ग्रेन’ योजना किसानों को सहायता प्रदान करने और हाथियों के खिलाफ जवाबी हमलों की घटनाओं में कमी लाने के मकसद से तैयार की है।
मिजोरम
मिजोरम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में कोलासिब जिले के कॉनपुई में बुधवार को प्रस्तावित रेलवे स्टेशन के स्थल पर चट्टान गिरने से दो लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मृतकों की पहचान दीपक दत्त (27) और दुर्गा प्रसाद पस्सी (53) के रूप में हुई है जो असम के होजई जिले के रहने वाले हैं। पुलिस के अनुसार, दोनों शवों को पोस्टमार्टम के बाद उनके पैतृक गांव भेज दिया गया है।
इसके अलावा, मिजोरम की एक जिला अदालत ने एक दंपति पर हमला करने और महिला की हत्या का प्रयास करने के लिए म्यांमा के एक पूर्व सैनिक को बुधवार को दस साल कैद की सजा सुनाई। चम्फाई जिले के अतिरिक्त और सत्र न्यायाधीश सिल्वी जोमुआनपुई राल्ते ने 2022 में चम्फाई जिले में शरण लेने वाले म्यांमा के सैनिक मिन आंग को दोषी ठहराया और सजा सुनाई। अदालत ने उसे महिला की हत्या के प्रयास के लिए सात साल की जेल और दंपति को गंभीर चोट पहुंचाने के लिए तीन साल की जेल की सजा सुनाई। इसने दोनों मामलों में आंग पर कुल 3,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना अदा नहीं करने पर दोषी को तीन माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। आंग 2022 में म्यांमा से बंदूक लेकर मिजोरम भाग आया था। उसे चम्फाई के जोटे गांव में एक राहत शिविर में रखा गया था। उस वर्ष सितंबर में वह राहत शिविर में म्यांमा के एक शरणार्थी दंपति के कमरे में जबरन घुस गया और उन्हें अपने लिये शराब और ड्रग्स खरीदने का आदेश दिया। जब दंपति ने यह कहते हुए मना कर दिया कि राहत शिविरों के अंदर शराब और अन्य पदार्थ सख्त वर्जित हैं, तो आंग ने महिला पर चाकू से हमला कर दिया। महिला के पति ने उसे रोकने की कोशिश की तो आरोपी ने उस पर भी हमला कर दिया, जिससे दंपति को गंभीर चोटें आईं। आरोपी अपराध स्थल से भाग गया लेकिन यंग मिजो एसोसिएशन (वाईएमए) के स्वयंसेवकों ने उसे पकड़ लिया और पुलिस को सौंप दिया। वाईएमए ने घटना के संबंध में एक प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी।

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