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उत्तर भारतीय प्रवासी तय करेंगे Kalyan की सीटों पर राजनीति समीकरण, Congress के सामने होगी मतदाताओं को वापस लाने की चुनौती

महाराष्ट्र की एक प्रमुख लोकसभा सीट कल्याण है। जहां से महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे लगातार तीन बार से सांसद हैं। चुनाव क्षेत्र निर्धारित करने के लिए 2002 को गठित परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद कल्याण लोकसभा सीट 2008 को अस्तित्व में आयी है। इस सीट पर पहली बार 2009 में चुनाव लड़ा गया था। यह क्षेत्र मुंबई में कल्याण-डोंबिवली इलाके का हिस्सा है। मुन्नार अभिलेख में यह निर्वाचन क्षेत्र विदेशी व्यापार का एक महत्वपूर्ण बंदरगाह था। जहां कांसा, लकड़ी एवं वस्त्र का अत्यधिक व्यापार होता था। 14वीं शताब्दी में मुसलमानों ने इस क्षेत्र का नाम इस्लामाबाद कर दिया था। प्रमुख पर्यटक स्थलों में यहां का दुर्गाडी किला एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है।
कल्याण लोकसभा क्षेत्र अंबुनाथ, उल्हासनगर, पूर्वी कल्याण, डोंबिवली, कल्याण ग्रामीण और मुंब्रा-कलवा विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया है। इन छह विधानसभा सीटों में से तीन भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में हैं। तो वहीं, एक सीट शिवसेना, एक मनसे और एक ही सीट शरद पवार के गुट वाली एनसीपी के पास है। अंबरनाथ इस लोक सभा क्षेत्र की एकमात्र आरक्षित (एससी) विधानसभा की सीट है। जहां से एकनाथ शिंदे की गुट वाली शिवसेना के बालाजी किणीकर वर्तमान में विधायक हैं। वे लगातार तीन बार से इस सीट से चुनकर विधानसभा जा रहे हैं। उनके पहले यह सीट एनसीपी के किसन कथोरे के पास थी। शिवसेना का इस सीट पर 1990 से दबदबा बना हुआ है।
भारतीय जनता पार्टी के कब्जे वाली उल्हासनगर पूरी तरह से ठाणे जिले के अंतर्गत ही आती है। इस सीट का कुमार एलानी वर्तमान में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 1962 में राज्य के गठन के साथ ही अस्तित्व में आयी यह सीट दिग्गज नेता पप्पू कलानी के कारण पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। जो 1990 से लेकर 2009 तक लगातार 29 साल तक विधायक चुने गए थे। कुमार एलानी से पहले ज्योति कलानी इस सीट से विधायक थीं। उनके पहले भी कुमार एलानी ही उल्हासनगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। इसके अलावा महाराष्ट्र राज्य में 142 नंबर के नाम से जानी जाने वाली कल्याण पूर्वी विधानसभा सीट 2009 से अस्तित्व में आई है। इस सीट पर अब तक गणपत गायकवाड ही हर बार विधायक चुने जाते रहे हैं। 2019 तक वे निर्दलीय विधायक थे, लेकिन 2019 के चुनाव से पहले उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली थी और पार्टी ने उन्हीं पर भरोसा जताते हुए टिकट दिया था। इस दौरान उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी धनंजय बाबूराव को हराकर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की थी। 2019 में दिए अपने चुनावी हलफनामे के मुताबिक, गणपत गायकवाड पर 18 मुकदमे दर्ज हैं।
भारतीय जनता पार्टी के दबदबे वाली डोंबिवली विधानसभा सीट पर अब तक बीजेपी के अलावा कोई पर भी पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल सकी है। 2009 में अस्तित्व में आई इस सीट पर बीजेपी के रवींद्र चव्हाण लगातार तीन बार से विधायक चुने जा रहे हैं। 2016 के बाद से चव्हाण महाराष्ट्र सरकार के कई मंत्रालयों में बतौर कैबिनेट मंत्री अपनी जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं। कल्याण लोकसभा क्षेत्र की कल्याण ग्रामीण विधानसभा सीट पूरी तरह से ठाणे जिले के अंतर्गत ही आती है। इस सीट पर राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना कब्जा रहा है। कल्याण ग्रामीण सीट पर पहली बार 2009 में चुनाव हुए थे। जहां मनसे के रमेश रतन पाटिल ने जीत दर्ज की थी। उनके बाद यह सीट शिवसेना के सुभाष भोईर ने 2014 में उनसे छीन ली थी। वर्तमान में भी यह सीट मनसे के ही प्रमोद रतन पाटिल के पास है। राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रमोद पाटिल उर्फ राजू पाटिल मनसे के कद्दवार नेता माने जाते हैं। 
इस लोकसभा क्षेत्र की मुंब्रा-कलवा सीट ही एकमात्र ऐसी सीट है। जो महाविकास आघाडी (एमवीए) के पास है। इस सीट पर 2009 में हुए पहले चुनाव के बाद से ही मतदाताओं का भरोसा शरद पवार के गुट वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के ऊपर बना हुआ है। जहां से एनसीपी के जितेंद्र आव्हाड लगातार तीन बार विधायक चुने गए हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने शिवसेना की दीपाली जहांगीर सैयद को हराकर यह सीट अपने कब्जे में की थी। वे राज्य की पूर्ववर्ती सरकार में मेडिकल शिक्षा और अल्पसंख्यक मंत्रालय का कार्यभार भी संभाल चुके हैं। उन्हें एक बार सदन में विपक्ष के उपनेता बनने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
कल्याण लोकसभा सीट पर लगभग 7 लाख मतदाता उत्तर भारतीय हैं, जिसमें हिंदीभाषी मुस्लिम मतदाता भी शामिल हैं। एक समय ये मतदाता कांग्रेस के हुआ करते थे। लेकिन, पिछले कुछ चुनावों से उत्तर भारतीयों का हृदय परिवर्तन हुआ और उनका समर्थन बीजेपी को मिलने लगा। इसके चलते कल्याण सीट और इसके अंतर्गत आने वाले विधानसभा सीटों पर शिवसेना और बीजेपी के उम्मीदवारों को फायदा हुआ। बड़ी संख्या में उत्तर भारतीयों का वोट पाने के बावजूद शिवसेना और बीजेपी ने उत्तर भारतीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को अहमियत नहीं दी। कल्याण (पूर्व) विधानसभा सीट से गणपत गायकवाड विधायक हैं। उत्तर भारतीयों के पिछड़े वर्ग में उनकी पकड़ मजबूत है। हालांकि, गोलीबारी की एक घटना के बाद जिस तरह से शिंदे और गायकवाड के संबंधों में खटास आई है, उसे देखते हुए कहा जा रहा है कि गायकवाड के समर्थक उत्तर भारतीय मतदाता शिंदे को वोट देंगे, इस पर संदेह है।

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