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Kartavyapath अब दूर होंगी कृषि की चुनौतियां, संपूर्ण विकास का है सरकार का लक्ष्य

भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का स्थान अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण है। भारत में आज के समय में भी बहुत बड़ी आबादी कृषि के जरिए रोजगार प्राप्त करती है। देश की रीढ़ माने जाने वाले कृषि के क्षेत्र को बढवा देने के लिए बीते नौ वर्षों में केंद्र सरकार ने काफी काम किया है। देश की खुशहाली के लिए अत्यंत आवश्यक है कि कृषि के क्षेत्र में जरुरी काम किया जाए।

बीते नौ वर्षों की तरह इस वर्ष भी केंद्र सरकार ने कृषि को बहुत महत्व दिया है। हर बजट को गांव, गरीब और किसान वाला बजट माना गया है। आजादी के बाद लंबे समय तक कृषि क्षेत्र अभाव के दबाव में रहा है। आलम ये था कि भारत भारत खाद्य सुरक्षा के लिए दुनिया के अन्य देशों पर निर्भर था। वहीं मोदी सरकार के आने के बाद से भारत न केवल आत्मनिर्भर बना है बल्कि दुनिया में भी निर्यात कर रहा है।

भारत का लक्ष्य आज के समय में सिर्फ चावल, गेहूं के निर्यात या आत्मनिर्भरता तक सीमित नहीं रह गया है। वर्ष 2021-22 में दलहन, मूल्य वर्धित खाद् उत्पाद और खाद्य तेलों के आयात पर ही करीब 2 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए है। अगर आने वाले समय में भारत इन उत्पादों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनता है तो इससे किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचेगा। 

ये हैं बजट में प्रावधान

इस बार बजट में 20 लाख करोड़ रुपये तक किसान ऋण बढ़ाए जाने का प्रावधान किया गया है। 

पीएम किसान निधि के लिए 60 हजार करोड़ रुपये रखे गए है

कृषि क्षेत्र में ओपन सोर्स बेस्ड प्लेटफॉर्म को बढ़ावा दिया जाएगा

एग्री टेक स्टार्टअप के लिए एक्सेलेरेटर फंड की व्यवस्था की गई है

मैन्युफैक्चरिंग करने वाली नई सहकारी समितियों को कम टैक्स रेट का लाभ दिया जाएगा

सहकारी समितियों की 3 करोड़ रुपये तक की निकासी पर अब टीडीएस काटने का प्रावधान नहीं होगा

शुगर कोऑपरेटिव द्वारा 2016-17 से पहले के बकाये के लिए भुगतान पर टैक्स में छूट मिलेगी। इससे शुगर कॉपरेटिव को 10 हजार करोड़ रुपये का लाभ होगा।

केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई पीएम मतस्य संपदा योजना के तहत 6 हजार करोड़ रुपये की लागत से नए सब कंपोनेंट बनाए जाने की घोषणा की है

भारत को श्री अन्न का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए भारतीय बाजार अनुसंधान संस्थान हैदराबाद को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा।

ऐसा रहा था कृषि बजट

– केंद्र में मोदी सरकार के आने से पहले तक यानी वर्ष 2014 में कृषि बजट 25 हजार करोड़ रुपए से भी कम था। वहीं केंद्र सरकार ने बीते नौ वर्षों में इस बजट को बढ़ाकर 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा का कर दिया है। आजादी के बाद लंबे समय तक भारत में कृषि का क्षेत्र आभाव में था। किसानों को केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर बनाया। आज भारत कई तरह के कृषि उत्पादों का निर्यात करने में भी सक्षम है।

– कृषि के क्षेत्र में सरकार ने कई ऐसे काम किए हैं जिन्होंने विकास को आधार दिया है। इसमें एमएसपी में बढ़ोतरी करना, दलहन उत्पादन को बढ़ावा देना, फूड प्रोसेसिंग करने वाले फूड पार्कों की संख्या में  बढ़ोतरी करना शामिल है।

– नौ वर्षों पूर्व तक देश में एग्री स्टार्टअप की संख्या ना के बराबर थी, जो अब बढ़कर तीन हजार तक पहुंची है

– केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद मतस्य उत्पादन के क्षेत्र में 70 लाख मीट्रिक टन की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2014 के पहले इतना ही उत्पादन करने में लगभग 30 वर्षों का समय लगा था।

– आज के समय में देश और दुनिया भर में मोटे अनाज को बढ़ावा दिए जाने के उद्देश्य से इसे श्री अन्न नाम दिया गया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे समय समय पर प्रोत्साहित करते है।

आगामी समय में पूरे होंगे ये लक्ष्य

– सरकार यूरिया उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है। 1,31,100 करोड़ रुपये यूरिया की सब्सिडी, यूरिया उत्पादन बढ़ाने और 20 प्रतिशत यूरिया आयात घटाने पर खर्च किया जाएगा।

–  7 करोड़ किसान और 4.35 करोड़ हेक्टेयर भूमि फसल बीमा योजना के दायरे में लाया जाएगा।

– 2400 किसान उत्पादक संगठनों का निर्माण किया जाएगा। इसके जरिए 4.80 लाख किसानों को कवर किया जाएगा।

– सरकार ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्टक्चर को ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म के तौर पर सामने रखा है जो यूपीआई की तरह है। जैसे यूपीआई ट्रांजैक्शन बढ़ रहा है उसी तरह एग्री टेक डोमेन में भी निवेश और इनोवेशन की अपार संभावनाएं बन रही है।

– टेक्नोलॉजी के जरिए ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा दिया जा रहा है। 

– ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग फसल की देखरेख में किया जाएगा। इससे फसल के संबंध में अनुमान भी लगाया जा सकता है। किसानों को इससे नीति निर्माण करने में मदद मिल सकती है। 

– मौसम के बदलाव की रियल टाइम सूचना भी मिल सकती है

– भारत की पहल पर 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है। भारत ने इसे श्री अन्न नाम दिया है। इसके जरिए मिलेट्स यानी मोटे अनाज को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सकती है। ये मिलेट्स को वैश्विक बाजार भी उपलब्ध करा सकेगा।

– भारत के सहकारिता सेक्टर में एक नई क्रांति हो रही है। अभी तक ये देश के कुछ राज्यों और कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित रहा है लेकिन अब इसका विस्तार देश में हो रहा है।

– जिन क्षेत्रों में सहकारी संस्थाएं पहले से नहीं हैं, वहां डेयरी और फिशरीज सेजुड़ी सहकारी संस्थाओं से छोटे किसानों को बहुत लाभ होगा।

– पीएम मतस्य संपदा योजना के तहत घोषित किए गए नए सब कंपोनेट से मछुआरों और छोटे उद्यमियों के लिए बनेंगे नए अवसर और मतस्य मूल्य श्रंख्ला के साथ बाजार को बढ़ावा मिलेगा।

– प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और केमिकल आधारित खेती को कम करने की दिशा में तेजी से काम होगा। 

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