नगालैंड के सबसे पुराने क्षेत्रीय दलों में से एक, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) का कहना है कि यदि विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी सत्ता में आती है तो नगा राजनीतिक मुद्दे के समाधान के लिए जोर दिया जायेगा।
नगालैंड की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए 27 फरवरी को चुनाव होना है।
एनपीएफ विधायक दल के नेता कुझोलुजो नीनू ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं होने से एनपीएफ अगली सरकार बनाने के लिए किसी भी राजनीतिक दल के साथ चुनाव बाद की रणनीति तय करने को तैयार है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम राज्य में किसी भी राजनीतिक दल के साथ सरकार बनाने या उसमें शामिल होने के लिए तैयार हैं, क्योंकि चुनाव के बाद नगा राजनीतिक मुद्दे का समाधान बहुत आवश्यक होगा।’’
एनपीएफ की केंद्रीय कार्यकारिणी परिषद (सीईसी) ने फैसला किया है कि एनपीएफ अगली सरकार बनाने के लिए नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित किसी भी राजनीतिक दल के साथ चुनाव के बाद गठबंधन के लिए तैयार रहेगी।
एनपीएफ ने 2003 से 2018 तक राज्य में तीन बार शासन किया था।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में एनपीएफ ने 60 सदस्यीय सदन में 58 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे और 26 सीटों पर जीत हासिल की थी। सितंबर 2021 में, यह संयुक्त लोकतांत्रिक गठबंधन बनाने के लिए सत्तारूढ़ एनडीपीपी और भाजपा के साथ आ गई। हालांकि, अप्रैल 2022 में, पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग के नेतृत्व वाले 21 विधायकों के एक समूह का एनडीपीपी में विलय हो गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार नगा राजनीतिक मुद्दे को हल करने के प्रति बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। हम इस मुद्दे पर संतुष्ट नहीं हैं।’’
चुनाव अभियान के लिए पार्टी के प्रमुख एजेंडे पर उन्होंने कहा कि अगर एनपीएफ किसी भी सरकार का हिस्सा है, तो प्राथमिकता कानून के शासन को लागू करने और कराधान को कम करने और विभिन्न नगा समूहों द्वारा जबरन वसूली की कोशिशों को रोकने की होगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में फैसला किया है, उन्होंने कहा कि यह पार्टी उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल करने के बाद ही तय किया जाएगा।