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सभापति Jagdeep Dhankhar की पहल पर प्रधान ने राज्यसभा सदस्यों को वेद उपलब्ध कराने का दिया आश्वासन

नयी दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को कहा कि वह जल्द ही राज्यसभा के सभी सदस्यों को वेद ग्रंथ उपलब्ध कराएंगे। सभापति जगदीप धनखड़ की ओर से इस संबंध में की गई एक पहल के बाद उन्होंने राज्यसभा में यह घोषणा की।
उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान प्रधान महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे। इसी समय सभापति धनखड़ ने उनसे कहा कि यदि वह संसद सदस्यों को वेद की एक प्रति उपलब्ध कराएंगे तो बहुत प्रसंशनीय कदम होगा।
इसके जवाब में प्रधान ने कहा, ‘‘बिल्कुल सर। हम निश्चित रूप से आपके आदेश का पालन करेंगे। राज्यसभा के सारे सदस्यों को वेद उपलब्ध कराएंगे।

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आपने अच्छा सुझाव दिया है। इसका पालन करेंगे।’’
उन्होंने सभापति को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आपने एक बहुत ही पवित्र काम के संबंध में सदन का मार्गदर्शन किया है। वेद के बारे में आपने जो रूचि दिखाई है, वह इतिहास में दर्ज होगा।’’
इसी दौरान कुछ सदस्यों ने अपनी-अपनी में वेद ग्रंथ उपलब्ध कराने की मांग की।
इस पर सदन में मौजूद केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने कहा कि अब तो ऐसी प्रौद्योगिकी मौजूद है कि आप जिस में चाहें पुस्तक को पढ़ सकते हैं।
धनखड़ ने गड़करी के सुझाव को ‘बहुत अच्छा’ करार देते हुए कहा, ‘‘प्रधान जी कठिन मामलों को भी आसान करने में सक्षम हैं। इनका प्रयास प्रभावी भी रहेगा और सार्थक भी रहेगा।’’

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सभापति ने बताया कि उन्होंने यह बात इसलिए उठाई क्योंकि वह जब भी विश्वविद्यालयों या संस्थानों में जाते हैं और छात्रों से पूछते हैं कि उनमें से कितनों ने वेद देखा है तो जवाब देने वालों की संख्या बहुत कम होती है।
उन्होंने सांसदों से भी वेद के बारे में प्रचार-प्रसार का आग्रह किया और कहा कि उन्हें भी कम से कम वेद की 100 प्रतियां लोगों के बीच वितरित करनी चाहिए।
उच्च सदन में हुए इस वाकये के दौरान विपक्ष का कोई सदस्य मौजूद नहीं था। सदन की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ देर बाद ही विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर हिंसा पर सदन में कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा की मांग को लेकर बहिर्गमन किया था।
सदस्यों के पूरक सवालों का जवाब देते हुए प्रधान ने कहा कि महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान को पिछले साल बोर्ड की मान्यता दी गई है।
उन्होंने कहा कि वेद विद्या का मूल भंडार है लेकिन इसकी सुचारू पढ़ाई को लेकर देश में कोई व्यवस्था नहीं थी।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार ने इस दिशा में पहल की है।’’
वेद विद्या प्रतिष्ठान में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की नगण्य संख्या से संबंधित एक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह ऐसा विषय है जिसमें छात्र स्वेच्छा से पढ़ने आते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक इसमें आरक्षण की आवश्यकता नहीं पड़ी है। समाज के सभी वर्ग वेद पढ़ें, सरकार की प्राथमिकता है।’’

उन्होंने सदन को बताया कि महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन में है और एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर पांच अन्य स्थानों पर इसके उपकेंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ये उपकेंद्र चार धामों के अलावा पूर्वोत्तर के कामाख्या पीठ में स्थापित किए जाने हैं।
उन्होंने बताया, ‘‘एक दक्षिण में, एक हरिद्वार में, एक गुवाहाटी में, एक पुरी में और एक द्वारका में है।’’
प्रधान ने कहा कि देश में 123 वेद पाठशालाओं में वेद की शिक्षा दी जाती है जिनमें से 25 उत्तर प्रदेश में हैं।
उन्होंने कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा में देश में 258 गुरुओं द्वारा 2,240 छात्रों को वेद पढ़ाने की व्यवस्था है।

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