कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने सोमवार को कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का ध्यान लोकसभा चुनाव पर है और अगर यह गठबंधन मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में होता है तो अच्छा होता।
मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए एक ही चरण में 17 नवंबर को मतदान होगा और मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी।
कमलनाथ ने भोपाल में संवाददाताओं से कहा, ‘‘ देखिए, बातचीत हुईं और हो भी रही है। अंततः, ‘इंडिया’ गठबंधन केंद्रीय स्तर पर है। केंद्रीय स्तर पर चर्चा चल रही है। यदि यह (गठबंधन मध्य प्रदेश में) होता है तो अच्छा होता, लेकिन यदि नहीं होता है तो इसका (‘इंडिया’ गठबंधन का) ध्यान केंद्रीय में लोकसभा चुनाव पर है।’’
कमलनाथ ने यह टिप्पणी मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और आम आदमी पार्टी (आप) जैसे ‘इंडिया’ गठबंधन के सदस्यों के साथ विधानसभा चुनाव में साझेदारी को लेकर पूछे के सवाल के जवाब में की।‘इंडिया’ गठबंधन ने भोपाल में अक्टूबर के पहले सप्ताह में होने वाली एक संयुक्त रैली रद्द कर दी थी।
समाजवादी पार्टी के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कमलनाथ ने कहा, ‘‘सपा से कई तरह की बातचीत हुई है। हम चाहते हैं कि भाजपा को हराने के लिए सपा हमारा समर्थन करे और वे इसमें रुचि भी रखते हैं। मैं भाजपा को हराने के उनके लक्ष्य के लिए अखिलेश यादव (सपा प्रमुख) को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने मुझसे कहा कि हम (भाजपा को) हराने के लिए एक साथ हैं।’’
हालांकि, कमलनाथ ने कहा कि चुनावी साझेदारी (सहयोगियों के साथ) में कुछ जटिलताएं हैं क्योंकि कांग्रेस को स्थानीय स्थिति पर विचार करना होगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि ‘‘इसमें (मध्य प्रदेश में गठबंधन) कुछ मुश्किलें हैं, अगर वे (सपा) कहते हैं कि हम आपके (कांग्रेस) उम्मीदवार को टिकट देंगे, लेकिन हमारा प्रत्याशी कहता है कि हम सपा के चुनाव चिह्न पर नहीं लड़ना चाहते हैं, तो क्या करें? ऐसी बातें सामने आई हैं; ये सभी व्यावहारिक मुद्दे हैं।’’
मध्य प्रदेश चुनाव के लिए सपा ने अब तक नौ उम्मीदवारों की घोषणा की है जबकि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली ‘आप’ ने 39 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया है।
सपा नेता यश भारतीय ने रविवार को कहा कि पार्टी फिलहाल सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है।
मध्यप्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी ने एक सीट – छतरपुर जिले की बिजावर,जीती थी।
चुनाव के बाद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद कांग्रेस बहुमत से पीछे रह गई, तब बहुजन समाज पार्टी (बसपा)के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों ने तत्कालीन कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन दिया। करीब 15 महीने सत्ता में रहने के बाद मार्च 2020 में कमलनाथ सरकार गिर गई।