सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में बहाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना स्वेच्छा से पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, फैसले में कहा गया कि तत्कालीन महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाने का फैसला, जिसने अंततः उद्धव-ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार को गिरा दिया, कानून के अनुसार नहीं था। जहां सीएम एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सच्चाई की जीत बताई है। वहीं डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि फैसले ने स्थापित किया है कि राज्य में मौजूदा सरकार संवैधानिक और कानूनी है। दूसरी ओर, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि नैतिकता और भाजपा विरोधाभासी शब्द हैं, जबकि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना यूबीटी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा लोकतंत्र की हत्या करके एकनाथ शिंदे जीते। उन्हें अब नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।
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उद्धव क्यों मांग रहे शिंदे का इस्तीफा
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर इस मुख्यमंत्री(शिंदे) और उपमुख्यमंत्री(देवेंद्र फडणवीस) में जरा भी नैतिकता होगी तो इस्तीफा देना चाहिए जैसे मैंने इस्तीफा दिया था। इस देश में प्रजातंत्र की रक्षा करना हमारा काम है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मैं इस्तीफा नहीं देता तो शायद मैं फिर मुख्यमंत्री बन जाता। मैं मेरे लिए नहीं लड़ रहा, मेरी लड़ाई जनता के लिए, देश के लिए है। राजनीति में मतभेद होते रहते हैं लेकिन हमारा एक मत यह है कि इस देश को बचाना है।
लोकतंत्र के लिए मिलकर काम करना जरूरी: शरद पवार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ संवाददाताओं को संबोधित करते हुए राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए पार्टियों का एक साथ काम करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि देश के हालात को देखकर लगता है कि अगर हम मिलकर काम करेंगे तो देश को धर्मनिरपेक्ष सरकार के खिलाफ जिस विकल्प की जरूरत है, उसे समर्थन मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला बाला साहेब, शिवसेना और लोगों की जीत: एकनाथ शिंदे
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने स्थिति के अनुसार काम किया जब शिंदे और उनके वफादार विधायक उद्धव के नेतृत्व वाली पार्टी से अलग हो गए, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन में बदलाव आया। शिंदे ने आगे SC के फैसले को “बालासाहेब ठाकरे की दृष्टि, शिवसेना की सोच और हमारी सरकार के लिए आम लोगों की भावनाओं” की जीत करार दिया।