तेलंगाना के मंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव ने मंगलवार को कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विचार प्रासंगिक मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)-नीत केंद्र सरकार की एक ‘ओछी’ रणनीति है।
रामा राव ने यहां मीडियाकर्मियों के साथ अनौपचारिक बातचीत में विश्वास जताया कि बीआरएस आगामी विधानसभा चुनावों में 90 से अधिक सीट जीतकर दोबारा सत्ता में आएगी।
उन्होने कहा कि तेलंगाना में विपक्षी दल इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि वह किस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरें।
राव ने दावा किया कि भाजपा और कांग्रेस दोनों के पास चुनाव में पेश करने के लिए मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा नहीं है और उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को चुनने के लिए अपनी-अपनी पार्टी के आलाकमानों के ‘‘सीलबंद लिफाफे’’ पर निर्भर रहना पड़ता है।
बीआरएस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘यह (एक राष्ट्र, एक चुनाव) एक राजनीतिक हथकंडा है। यह राजग की ध्यान भटकाने की रणनीति है, क्योंकि हमने पहले भी ऐसे हथकंडे देखे हैं।’’
राव ने सवाल उठाया, ‘‘उन्होंने पिछले नौ वर्षों में ऐसा क्यों नहीं किया? क्या कोई गारंटी है कि ये अब लागू हो जाएगा? अगर भाजपा ऐसा करना चाहती है तो उसे कौन रोक सकता है? उसके पास संसद में प्रचंड बहुमत है।’’
राव ने कहा कि उनकी पार्टी (तब टीआरएस) ने 2018 में एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में एक पत्र दिया था। हालांकि, तब इसे लागू नहीं किया गया।
बीआरएस नेता ने कहा कि जब प्रस्ताव संसद में आएगा तब वे इस बारे में सोचेंगे।
उन्होंने दावा किया कि भाजपा तेलंगाना सहित उन सभी पांच राज्यों में हारने जा रही है, जहां अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं।