गुवाहाटी । असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को बताया कि राज्य से अब तक केवल आठ लोगों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नागरिकता पाने के लिए आवेदन किया है। शर्मा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुएबताया कि इन आवेदकों में से केवल दो ही व्यक्तियों ने संबंधित अधिकारियों को साक्षात्कार दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा, राज्य की बराक घाटी में इस संबंध में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कई हिंदू बंगाली परिवारों को सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने आवेदन करने से इनकार कर दिया और कहा कि वे विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण (एफटी) में अपना मामला लड़ना पसंद करेंगे।
विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण असम के लिए विशेष रूप से अर्ध-न्यायिक निकाय है जो बाहर से आए लोगों राष्ट्रीयता के मुद्दे पर विचार करता है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के अंतिम मसौदे में शामिल नहीं किए गए अधिकतर हिंदू-बंगाली परिवारों ने उन्हें बताया कि उनके पास भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेज हैं, लेकिन वे सीएए के जरिए आवेदन करने के बजाय एफटी को प्राथमिकता देते है। कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि यदि विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी करार दिए गए लोगों की राष्ट्रीयता पर प्रतिकूल फैसला आता है तो वे बाद में सीएए के तहत आवेदन कर सकते हैं। एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, जब नागरिकता के लिए मामला चल रहा है तो नए कानून के तहत नागरिकता प्राप्त करने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
कानूनी प्रावधानों के अनुसार, केवल विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण (एफटी) ही असम में किसी व्यक्ति को विदेशी करार सकता है और यदि निर्णय अनुकूल न हो तो वह उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है। यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य सरकार हिंदू-बंगालियों के खिलाफ विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण में दर्ज मामलों को वापस ले रही है, शर्मा ने कहा, यह भ्रामक है। हम कोई भी मामला वापस नहीं ले सकते। हम केवल यह सलाह दे रहे हैं कि मामला शुरू करने से पहले व्यक्तियों को सीएए पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना चाहिए। अगर कोई मामला दर्ज भी होता है तो कोई नतीजा नहीं निकलेगा क्योंकि ये लोग नागरिकता के लिए पात्र हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह महाधिवक्ता से सीएए का मुद्दा उठाने का अनुरोध करेंगे ताकि एफटी उन लोगों को समय दे सके जिनके मामले चल रहे हैं जिससे वे नए लागू कानून के तहत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकें।