कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने शनिवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि मणिपुर में हिंसा के मामले में जवाबदेही तय की जाए और शांति सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को पद से हटाया जाए।
केंद्र सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने शांति बहाली के लिए ठोस कदम उठाने का भी आग्रह किया।
गृह मंत्री अमित शाह ने सर्वदलीय बैठक में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले दिन से ही मणिपुर की स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं और समस्या का समाधान निकालने के लिए ‘‘पूरी संवेदनशीलता के साथ हमारा मार्गदर्शन’’ कर रहे हैं।
कांग्रेस की ओर से इस बैठक में मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह शामिल हुए। उन्होंने पार्टी की ओर से आठ बिंदु बैठक में रखे जिनमें मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग शामिल है।कांग्रेस ने बैठक को ‘औपचारिकता’ करार देते हुए कहा कि केंद्र को प्रदेश में शांति बहाली के लिए गंभीर पहल करनी चाहिए और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का तत्काल इस्तीफा लिया जाना चाहिए।
इबोबी सिंह ने कहा कि बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री रहते शांति संभव नहीं है।
उन्होंने दावा किया कि बैठक में उन्हें कुछ मिनट का समय दिया गया, जबकि उन्होंने अपनी बात रखने के लिए और समय मांगा था।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘तीन घंटे की बैठक में इबोबी सिंह जी को सात-आठ मिनट का समय दिया गया। यह न सिर्फ उनका और कांग्रेस का, बल्कि मणिपुर का भी अपमान है।’’
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस मामले पर ‘चुप्पी’ तोड़नी चाहिए।
मेघालय के मुख्यमंत्री और नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेता कोनराड संगमा भी बैठक में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि एनपीपी ने मणिपुर की स्थिति को लेकर चिंता जताई है और सरकार से आग्रह किया है कि वह शांति सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाए।तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पटना में विपक्षी दलों की बैठक के 24 घंटों के भीतर मणिपुर के विषय पर हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने एकजुटता के साथ अपनी बात रखी।’’
सर्वदलीय बैठक को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने एक बयान जारी कर प्रश्न किया कि क्या सरकार ‘मणिपुर को कश्मीर में बदलने की कोशिश कर रही है।’
उसने हिंसा प्रभावित मणिपुर में सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल भेजने की मांग की।
राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज झा ने बताया कि मणिपुर को लेकर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में लगभग सभी विपक्षी दलों का यही कहना था कि मणिपुर की जनता को वहां के मुख्यमंत्री पर विश्वास नहीं रहा।
झा ने कहा, ‘‘मौते हो रही हैं, पलायन हो रहा है। वहां के नेतृत्व पर लोगों को विश्वास नहीं है। पूरे विपक्ष ने यह बात कही है। ’’
शिवसेना (यूबीटी) की प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘मैं मणिपुर के कई समूहों से मिली हूं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री पर विश्वास नहीं है। खुद विदेश राज्य मंत्री (राजकुमार रंजन सिंह) ने कहा था कि राज्य में कानून-व्यवस्था चरमरा गई है। जवाबदेही की शुरुआत कहां से होगी? जवाबदेही की शुरुआत राज्य से होगी।’’
मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए छात्रों के एक संगठन द्वारा तीन मई को आहूत ‘आदिवासी एकता मार्च’ में हिंसा भड़क गई थी।
शाह ने पिछले महीने चार दिन के लिए राज्य का दौरा किया था और मणिपुर में शांति बहाल करने के अपने प्रयासों के तहत विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात की थी।