उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार कोमणिपुर हिंसा पर चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्षी दलों द्वारा जोरदार हंगामा करने के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही दिन भर के लिये स्थगित कर दी गयी।
विधानसभा की कार्यवाही पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होते ही समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने मणिपुर का मुद्दा सदन में उठाने की मांग की। सबसे पहले कांग्रेस की आराधना मिश्रा ने मणिपुर का मुद्दा उठाना चाहा, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी।
आराधना ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में महिलाओं के साथ मणिपुर जैसी वीभत्स और निन्दनीय घटना पहले कभी नहीं हुई। इसकी जितनी भी निन्दा की जाय वह कम है।
इसी बीच, विपक्षी सदस्य मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर सदन में नारेबाजी और हंगामा करने लगे।
सदन में सपा और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने शून्यकाल के दौरान कहा कि मणिपुर का मुद्दा बहुत गंभीर है।
उन्होंने कहा, क्या हम इसकी (मणिपुर घटना) निंदा करने के लिए प्रस्ताव पारित नहीं कर सकते?
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने पूछा कि कितने राज्यों के लिए ऐसा किया जाएगा? उन्होंने कहा आप नेता विपक्ष हैं और आपको इसे राजनीतिक रूप नहीं देना चाहिए। जो कुछ भी हुआ वह बेहद गलत था। जहां घटना हुई, वहां चर्चा होगी। बंगाल और केरल में जो कुछ भी हो रहा है, इसे यहां ग़लत या सही नहीं कहा जा सकता।
अखिलेश ने कहा, ‘‘नेता सदन (मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) स्टार प्रचारक हैं। किस प्रदेश में वह (भाजपा के लिये) वोट मांगने नहीं जाते? कम से कम एक मौका है कि आज आप कुछ बोलकर देश की आवाज बन जायें। अगर इसमें हमारा साथ चाहिये तो हम भी आपका साथ देने को तैयार हैं। आज आप साबित कर दीजिए कि आपकी भी कोई आवाज है।
नेता प्रतिपक्ष ने आदित्यनाथ से मुखातिब होते हुए कहा, हम जानते हैं कि भाजपा के एक मुख्यमंत्री के रूप में आपकी बहुत मजबूरियां हैं लेकिन, हम आपसे एक सच्चे योगी के रूप में बोलने की अपेक्षा रखते हैं।
भाजपा शासित राज्यों की बहनों और बेटियों के मन में डर बैठ गया है। इस डर को दूर करना आपका कर्तव्य है।
इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, यहां सभी ने इसकी निंदा की है, लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा दूसरे राज्यों के बारे में नहीं बोल सकती।
इसके पूर्व, संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा, मणिपुर में घटना के बारे में हर कोई जानता है. संबंधित राज्य सरकार या केंद्र इस पर चर्चा कर सकती है, कुछ भी कर सकती है, लेकिन यह विषय यहां से संबंधित नहीं है. इसलिए, वहां इस पर कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए।”
उन्होंने तत्कालीन सत्तारूढ़ सपा की तरफ इशारा करते हुए कहा, जब कैराना की घटना हुई तब कितने निंदा प्रस्ताव पास हुए? कितने लोगों ने पलायन किया, आखिर कितने निंदा प्रस्ताव पारित किये गये? ये घटनाएं तो उत्तर प्रदेश की ही थीं। आप एक बार ही बोल देते कि आप निंदा प्रस्ताव पारित करेंगे। इस सदन के समय को खराब किया जा रहा है।
इस बीच, सदन में मणिपुर मुद्दे पर निंदा प्रस्ताव पारित करने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी जारी रही। शोरगुल और हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
उधर, विधान परिषद में भी मणिपुर में महिलाओं के प्रति अपराधों के मुद्दे पर सपा सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही बाधित रही। सदन व्यवस्थित नहीं हो पाने के चलते कार्यवाही मंगलवार तक के लिये स्थगित कर दी गयी।
पूर्वाह्न 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सपा सदस्य लाल बिहारी यादव तथा अन्य पार्टी सदस्यों ने मणिपुर समेत पूरे देश में महिलाओं के कथित उत्पीड़न का मुद्दा उठाया। सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने प्रश्नकाल के बाद महिला उत्पीड़न का मुद्दा उठाने को कहा। मगर सपा सदस्य इसी पर जोर देते रहे।
सपा सदस्य नरेश उत्तम पटेल ने कहा, मणिपुर की घटना को लेकर पूरा देश शर्मसार हो गया है। उत्तर प्रदेश में हत्या, डकैती, लूट और महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ की घटनाएं हो रही हैं।
इसके बाद सपा के सदस्य हाथों में तख्ती लिए नारेबाजी करते हुए सदन के बीचोबीच आ गए।
सभापति ने सपा सदस्यों से अपने-अपने स्थान पर जाने का आग्रह किया लेकिन हंगामा थमते ना देख उन्होंने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इस प्रकार प्रश्नकाल नहीं हो सका।
अपराह्न 12 बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो भी सपा के सदस्य आसन के समीप पहुंच गये। इसी बीच, सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह सदन के पूर्व सदस्य सुभाष चंद्र महेश्वरी के निधन का निदेश पढ़ने के लिये खड़े हुए तो सपा सदस्य अपने-अपने आसन पर चले गये। बाद में सदन के सदस्यों ने कुछ मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इसके फौरन बाद सपा के सदस्य एक बार फिर सदन के बीचोबीच आकर महिला उत्पीड़न बंद करो के नारे लगाने लगे। शोरगुल के बीच ही सभापति ने नियम 115 की सूचनाएं लेनी शुरू की और उन सभी को सरकार के पास आवश्यक कार्यवाही के लिये भेजा।
इस दौरान सपा सदस्य मणिपुर की घटना पर निंदा प्रस्ताव स्वीकार करने की मांग करते हुए नारेबाजी करते रहे। इस पर सभापति ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिये स्थगित कर दी गयी।
सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर सपा के सदस्य फिर आसन के समीप आ गये और नारेबाजी शुरू कर दी।इसी दौरान सभापति ने कार्यसूची पर उल्लिखित विधायी कार्य पूरे कराये। उसके बाद सदन की कार्यवाही मंगलवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिये स्थगित कर दी।