वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट पढ़ने के एक दिन बाद कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम ने बुधवार को राज्यसभा में अपने भाषण में सरकार से पांच सवाल पूछे। चिदंबरम जिन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए II सरकार में वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया – ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से 400 रुपये की दैनिक न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने और एमएसपी, या न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी प्रदान करने का आह्वान किया, जो 2000 से विरोध कर रहे किसानों की मुख्य मांग है। पी चिदंबरम ने भाजपा नीत केंद्र सरकार को आगाह किया कि यदि उसने बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी पर लगाम नहीं लगायी तो देश की जनता सत्तारूढ़ दल को उसी तरह चुनावों में दंडित करती रहेगी जैसा उसे हाल के उपचुनावों में दंडित किया गया था।
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कांग्रेस के दिग्गज नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से मार्च तक शिक्षा ऋण की बकाया राशि को माफ करने, विवादास्पद अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना को खत्म करने और उन राज्यों के लिए मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनईईटी परीक्षा को रद्द करने की भी मांग की, जो इसे नहीं चाहते हैं। उन्होंने भाजपा पर “कृपया, कुछ और कॉपी करें” का तंज भी कसा। सन्दर्भ उन दावों के लिए था कि 2024 के केंद्रीय बजट में आम चुनाव से पहले विपक्षी दल द्वारा अपने घोषणापत्र में प्रस्तावित योजनाओं को बिना स्वीकृति के उधार लिया गया है।
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने कांग्रेस घोषणापत्र की पृष्ठ संख्या 11, 30 एवं 31 से अच्छे विचारों को लिया। उन्होंने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों और विशेषकर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर को सलाह दी कि वे कांग्रेस घोषणापत्र का अध्ययन करें ताकि पार्टी बैठकों में वे प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री को उनके घोषणापत्र के कुछ और अच्छे विचारों को अपना लेने के लिए मना सकें। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप वे विचार लेते हैं तो हम आपका समर्थन करने में बहुत बहुत प्रसन्न होंगे।’’ चिदंबरम ने कहा, ‘‘नकल करना, इस सदन में निषिद्ध नहीं है, बल्कि नकल करने को इस सदन में प्रोत्साहन और पुरस्कार मिलता है। अत: थोड़ा और नकल करिए।’’
उन्होंने बेरोजगारी को सबसे बड़ी चुनौती करार देते हुए ‘सेंटर फॉर मानिटरिंग इंडियन इकोनामी’ के अनुमानों का हवाला दिया और कहा कि जून 2024 में अखिल भारतीय बेरोजगारी दर 9.2 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि यह कुछ नीचे आ गयी हो। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि पहले उत्पादन आधारित प्रोत्साहन होता था। उन्होंने कहा, ‘‘जब आपने रोजगार आधारित प्रोत्साहन शुरू किया तो उसके कुछ कारण रहे होंगे। मुझे समझता हूं कि इसका कारण यह रहा कि आप उत्पादन आधारित प्रोत्साहन से जितने रोजगार सृजित होने की उम्मीद कर रहे थे, वे नहीं हुए।
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चिदंबरम ने ईएलआई को एक ‘दिलचस्प विचार’ करार दिया लेकिन कहा कि यह ‘‘हमारे भीतर विश्वास उत्पन्न नहीं कर पा रहा है कि आप 290 लाख लोगों को ईएलआई के तहत ला पाएंगे।’’ उन्होंने सरकार को आगाह किया कि कहीं इसका हश्र उस ‘चुनावी जुमले’ की तरह नहीं हो जाए कि हर वर्ष दो करोड़ रोजगार दिए जाएंगे। उन्होंने देश में बेरोजगारी की समस्या की विकरालता को समझाने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग द्वारा 60,244 पदों की खातिर करायी गयी परीक्षा का उदाहरण दिया जिसमें 48 लाख लोगों ने आवेदन किया तथा बाद में यह परीक्षा रद्द कर दी गयी।