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Vanakkam Poorvottar: Palaniswami Vs Panneerselvam की जंग Tamil Nadu Assembly Elections में फिर से AIADMK की चुनावी लुटिया डुबो सकती है

तमिलनाडु में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले विपक्षी अन्नाद्रमुक का नेतृत्व अपने हाथ में लेने के लिए जिस तरह दो पूर्व मुख्यमंत्री पलानीस्वामी और पन्नीरसेलवम आपस में लड़ रहे हैं उसको देख कर इस पार्टी के कार्यकर्ता निराश हैं। हालांकि पन्नीरसेलवम को अन्नाद्रमुक से निष्कासित किया जा चुका है लेकिन राज्य की राजनीति में वह प्रभावशाली नेता हैं इसलिए उन्हें पार्टी में वापस लाने के लिए जहां एक धड़ा सक्रिय है वहीं दूसर धड़ा उनकी वापसी के विरोध में जमकर अड़ा हुआ है। वैसे पार्टी में वापसी की इच्छा खुद पन्नीरसेलवम ने जताई थी लेकिन जिस तरह पलानीस्वामी ने उनकी इच्छा का तीव्र विरोध किया उससे यही प्रदर्शित होता है कि दोनों नेताओं के बीच दिल की दूरी बढ़ चुकी है।
हम आपको बता दें कि कुछ दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने कहा था कि वह अन्नाद्रमुक में लौटने को तैयार हैं, लेकिन उन्होंने इसके लिए शर्त रखी थी कि पार्टी के महासचिव पद का चुनाव कैडर के जरिए होना चाहिए। उन्होंने कहा था, “मैं, टीटीवी दिनाकरन और शशिकला (अन्नाद्रमुक से निष्कासित) बिना शर्त पार्टी में फिर शामिल होने के लिए तैयार हैं। हम बातचीत के जरिए मुद्दों को हल कर सकते हैं।” इस बयान के बाद ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) महासचिव ईके पलानीस्वामी ने संकेत दिया है कि पार्टी से निष्कासित नेता ओ. पन्नीरसेलवम (ओपीएस) की वापसी संभव नहीं है। जयललिता की 77वीं जयंती के एक दिन पहले, पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखे पत्र में पलानीस्वामी ने कहा, “क्या भेड़िया और भेड़ एक साथ रह सकते हैं? क्या खरपतवार और फसल एक साथ उपज का हिस्सा बन सकते हैं? क्या वफादार और गद्दार कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो सकते हैं? मैं आपका ‘नहीं’ सुन सकता हूं।” पलानीस्वामी का यह बयान ओपीएस के लिए परोक्ष प्रतिक्रिया माना जा रहा है।

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उधर, अन्नाद्रमुक से निष्कासित नेता ओ पन्नीरसेल्वम ने अपने पूर्व सहयोगी पलानीस्वामी पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘पाखंड सफल नहीं होगा’ और याद दिलाया कि पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता ने उनकी वफादारी के लिए उन्हें (पन्नीरसेल्वम) भरत (भगवान राम के छोटे भाई) की तरह बताया था। पन्नीरसेल्वम ने पलानीस्वामी का नाम लिए बिना कहा कि उन्हें अन्नाद्रमुक और उनके प्रति उनकी ईमानदारी और वफादारी के लिए पहचाना जाता है और खुद अम्मा (जयललिता) तक ने उनकी प्रशंसा की थी। पन्नीरसेल्वम ने कहा, ‘‘अगर अहंकारी पाखंडियों को नहीं हटाया गया तो अन्नाद्रमुक का पतन निश्चित है, विश्वासघात निश्चित रूप से पराजित होगा, पाखंड को कुचला जाएगा और कृतघ्नों को बाहर निकाल दिया जाएगा।’’ उन्होंने आगे कहा कि वह हमेशा जयललिता के प्रति वफादार रहे हैं, जिन्होंने उन्हें मुख्यमंत्री के पद पर बिठाया। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने ऐसा नहीं कहा। अम्मा ने खुद कहा है कि ‘‘भाई पन्नीरसेल्वम ने सही व्यक्ति को गद्दी वापस देकर इतिहास रच दिया है।’’
पन्नीरसेल्वम ने मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम पर कहा, ‘‘जब बीज बढ़ता है, तो कोई आवाज़ नहीं होती। लेकिन अगर पेड़ गिरता है, तो बहुत शोर होता है। हर कोई जानता है कि शोर कहां से आता है।’’ उन्होंने दावा किया कि मौजूदा नेतृत्व में अन्नाद्रमुक विनाश की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा, ‘‘यह (पार्टी) पतन की ओर बढ़ रही है। यह डूबते जहाज की तरह है, जिस पर कोई नहीं चढ़ता। अगर इसे विनाश से उबारना है, तो कृतघ्न, विश्वासघात के प्रतीक, झूठ के प्रतीक को हटाना होगा। अन्यथा पतन निश्चित है।’’ पन्नीरसेल्वम ने एक तीखे बयान में कहा कि विश्वासघात का पाप धोया नहीं जा सकता और तमिल विद्वान तिरुवल्लुवर का हवाला देते हुए कहा, ‘‘जो लोग सब्र से इंतजार करते हैं, उन्हें सब कुछ मिलता है।’’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘इसलिए, मई 2026 तक इंतजार करें। हमें पता चल जाएगा कि तमिलनाडु पर कौन शासन करेगा। कृतघ्नों को फेंक दिया जाएगा। विश्वासघात निश्चित रूप से हारेगा। पाखंड को कुचल दिया जाएगा।”
हम आपको यह भी बता दें कि सोमवार को जयललिता की 77वीं जयंती के दौरान भी पलानीस्वामी और पन्नीरसेलवम के धड़ों के बीच राजनीतिक नूराकुश्ती देखने को मिली थी। पलानीस्वामी के नेतृत्व में पार्टी नेताओं ने जयललिता को श्रद्धांजलि दी। बाद में उन्होंने 77 किलोग्राम वजन का एक विशाल केक काटा और कार्यकर्ताओं में बांटा। इसके बाद ओ. पनीरसेल्वम ने अपने समर्थकों के साथ चेन्नई में जयललिता की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
हम आपको याद दिला दें कि अपने समर्थकों के बीच जयललिता ‘पुरात्ची थलाइवी’ (क्रांतिकारी नेता), इधाया थैवम (हृदय की देवी) और लौह महिला के रूप में मशहूर थीं। जयललिता का जन्म 24 फरवरी, 1948 को हुआ था और उन्हें विशेष रूप से अम्मा कैंटीन, अम्मा फार्मेसी, गरीब महिलाओं को थाली (मंगलसूत्र) के लिए सोना और बालिका कल्याण योजनाओं जैसी अभिनव योजनाओं के माध्यम से गरीबों एवं हाशिए के वर्गों तक पहुंच वाली सामाजिक कल्याण योजनाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। आरक्षण की नीति, कावेरी के जल पर राज्य के अधिकारों की रक्षा एवं पुरुष-प्रधान दुनिया में राजनीतिक परिदृश्य में नेतृत्व करने के लिए भी उनकी प्रशंसा की जाती है। चेन्नई में एक निजी अस्पताल में 75 दिनों से अधिक समय तक भर्ती रहीं जयललिता ने पांच दिसंबर, 2016 को अंतिम सांस ली थी। हम आपको याद दिला दें कि जयललिता के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक ने वर्ष 2011 में भारी बहुमत से सत्ता हासिल की थी और वर्ष 2016 में भी पार्टी को जीत दिलाई थी। वर्ष 2011 से 2021 तक लगातार दस वर्षों तक सत्ता में कायम रहना तमिलनाडु की राजनीति में एक दुर्लभ उपलब्धि मानी जाती है।

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