भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पश्चिम बंगाल के स्थापना दिवस को 20 जून से बदलकर 15 अप्रैल करने पर तृणमूल कांग्रेस सरकार की आलोचना की और उस पर इतिहास को विकृत करने का आरोप लगाया है। वहीं तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर इस मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के प्रस्तावित स्थापना दिवस पर चर्चा के लिए 29 अगस्त को सर्वदलीय बैठक बुलायी है। सर्वदलीय बैठक बुलाये जाने से महज दो दिन पहले एक समिति ने सिफारिश की थी कि ‘पश्चिमबंग दिवस’ (राज्य का स्थापना दिवस) 15 अप्रैल को ‘बांग्ला दिवस’ के रूप में मनाया जाए। विधानसभा ने ‘पश्चिमबंग’ दिवस तय करने के लिए यह समिति बनायी थी।
इस साल राजभवन और भाजपा ने 20 जून को राज्य का स्थापना दिवस मनाया था।
भाजपा प्रवक्ता सामिक भट्टाचार्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमने अभी तक तय नहीं किया है कि हम सर्वदलीय बैठक में जाएं या नहीं।
दूसरी बात, यह कैसी सर्वदलीय बैठक है जब विधानसभा की एक समिति पहले ही कुछ सिफारिश दे चुकी है और सरकार उसके आधार पर बैठक बुला रही है। राज्य सरकार पहले ही इतिहास को विकृत करने का फैसला कर चुकी है और वह चाहती है कि विपक्ष उसका साथ दे।’’
उन्होंने कहा कि यह अल्पसंख्यक वोटबैंक को तुष्ट करने की एक चेष्टा है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश है कि राज्य के युवा अपने इतिहास से परिचित नहीं हों।
उन्होंने कहा, ‘‘ राजनीति और धर्म से ऊपर उठकर राज्य के लोगों को इसका अवश्य विरोध करना चाहिए।’’
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पश्चिम बंगाल का स्थापना दिवस मनाने पर एक बहस चल रही है और इस मामले पर फैसला करने के लिए ही सर्वदलीय बैठक बुलायी गयी है।
विपक्षी दलों को भेजे आमंत्रण पत्र में बनर्जी ने कहा, ‘‘ मैंने राज्यपाल को पत्र लिखा और अपना विरोध जताया, उसके बाद भी 20 जून को यह दिवस मनाते हुए राजभवन में कुछ कार्यक्रम किये गये।
हमारा विरोध यह है कि क्यों अचानक इस खास तारीख (20 जून) को स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। इसके पीछे की वजह हमारे लिए अस्पष्ट है…. 20 जून को पश्चिमबंग दिवस मनाने का कोई पिछला दृष्टांत नहीं है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि एकतरफा निर्णय लेने की केंद्र की प्रवृति ‘खतरनाक’ है। उन्होंने लिखा, ‘‘ ऐसी परिस्थति में हमने इस मामले पर चर्चा करने और निर्णय लेने के लिए 29 अगस्त को सर्वदलीय बैठक बुलायी है।’’
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा, ‘‘(सर्वदलीय बैठक के लिए) हमें अब तक कोई निमंत्रण नहीं मिला है। जब हमें निमंत्रण मिलेगा तब हम उस पर टिप्पणी करेंगे। दूसरी बात, राज्य के स्थापना दिवस को लेकर विवाद क्या है? विभाजनकारी राजनीति में रूचि लेने वाले ही विवाद पैदा करेंगे।’’
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘स्वतंत्रता एवं विभाजन के इतिहास से अनभिज्ञ भाजपा और तृणमूल जैसे लोग ही राज्य के स्थापना दिवस जैसे मुद्दों पर गड़बड़ियां करेंगे।’’
विपक्षी दलों के बयानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने उन पर मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘विपक्षी भाजपा मामले का राजनीतिकरण कर रही है। वह समाज में घृणा फैलाना चाहती है। यदि उसकी कोई राय है तो उसे सर्वदलीय बैठक में अपनी राय रखनी चाहिए।’’
बीस जून को स्थापना दिवस मनाये जाने से इस साल बड़ा विवाद खड़ा हो गया तथा राजभवन एवं राज्य सरकार के बीच टकराव उत्पन्न हो गया। बनर्जी ने भाजपा और राजभवन पर राजनीतिक लाभ उठाने तथा भाजपा के विमर्श को आगे बढ़ाने के लिए राज्य के स्थापना दिवस का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
बीस जून, 1947 को बंगाल विधानसभा में विधायकों के अलग-अलग समूहों की दो बैठकें हुई थीं। जो विधायक चाहते थे कि पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा रहे, उन्होंने बहुमत से इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया। दूसरा उन क्षेत्रों के विधायकों का समूह था जो आखिरकार पूर्व पाकिस्तान बन गया।