हॉलीवुड के महान फिल्मकार मार्टिन स्कार्सिस का कहना है कि जब उन्होंने पहली बार सत्यजीत रे की फिल्म पाथेर पांचाली देखी थी तब वह किशोरावस्था में ही थे और उस फिल्म ने उनके सामने ‘कई दुनिया’ के दरवाजे खोल दिए।
मार्टिन स्कार्सिस ने अपनी आगामी फिल्म किलर्स ऑफ द फ्लॉवर मून में भी पाथेर पांचाली जैसे अनुभवों को दिखाने की कोशिश की है।
दुनिया के सबसे महान फिल्मकारों में से एक माने जाने वाले स्कार्सिस ने पीटीआई-से कहा कि उन्हें ज्यां रेनॉयर की 1951 की कोलकाता पर आधारित फिल्म द रिवर देखने के बाद भारतीय संस्कृति के बारे में पता चला था। लेकिन, उनके जीवन में पाथेर पांचाली एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, जिसे देखने के बाद सिनेमा को लेकर उनकी सोच और समझ काफी प्रभावित हुई।
स्कार्सिस ने पीटीआई-से कहा, ‘‘ मुझे द रिवर बहुत पसंद आई, लेकिन इसे दूसरी संस्कृति के नजरिये से देखा जाता है।
इसके बाद 1955 में ग्रामीण बंगाल पर आधारित फिल्म पाथेर पांचाली आई। ’’
मार्टिन स्कार्सिस ने एक सामूहिक साक्षात्कार में उनकी नयी फिल्म के भारत जैसे औपनिवेशिक अतीत वाले देशों से संबंधित होने के पीटीआई-के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘ उस फिल्म को देखने के बाद सिनेमा को लेकर मेरी सोच और समझ में काफी बदलाव आया। मैं यह सोचकर हैरान होता था कि एक औपनिवेशिक व्यक्ति होना और जिस उपनिवेशित दुनिया में आप रहते हैं उसका एक विस्तृत हिस्सा होना कैसा होता होगा। ’’
मार्टिन स्कार्सिस (80) ने कहा कि उन्होंने न्यूयॉर्क में पहली बार टेलीविजन पर पाथेर पांचाली का डब अंग्रेजी संस्करण देखा था।
स्कार्सिस ने न्यूयॉर्क से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘..और मैंने कहा था, एक मिनट रुकिए, ये वही लोग हैं जिन्हें मैं आमतौर पर अन्य फिल्मों की पृष्ठभूमि में देखता हूं।
यहां क्या अंतर है? अंतर यह है कि यह फिल्म उन्हीं लोगों द्वारा बनाई गई है, वास्तविक लोगों द्वारा, और मुझे एक अन्य संस्कृति तथा सोचने के दूसरे तरीके, एक संपूर्ण जीवन और इसकी सार्वभौमिकता से परिचित कराया जा रहा है। हम सब कैसे हैं, मूल रूप से हम मनुष्य के रूप में एक जैसे ही हैं। ’’
‘‘ किलर्स ऑफ द फ्लावर मून , को मई में कान्स फिल्म फेस्टिवल में अपने विश्व प्रीमियर के बाद काफी प्रशंसा मिली थी और अब यह भारत में 20 अक्टूबर को रिलीज होने वाली है।