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बारामती । महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि उन्हें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संस्थापक और अपने चाचा शरद पवार से इसलिए अलग होना पड़ा क्योंकि पार्टी के सभी विधायक रुके हुए विकास कार्यों को पूरा करने के लिए एकनाथ शिंदे नीत सरकार में शामिल होना चाहते थे। अजित पवार और आठ विधायकों के शिंदे सरकार में शामिल होने के बाद पिछले साल जुलाई में राकांपा दो धड़ों में बँट गई थी। निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद अजित पवार को पार्टी का नाम और ‘घड़ी’ चिह्न मिल गया था।
जबकि शरद पवार की अगुवाई वाले धड़े का नाम राकांपा (शरदचंद्र पवार) रखा गया और उसे ‘तुरही बजाता व्यक्ति’ का चिह्न दिया गया। बारामती में प्रचार करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आप सोच रहे होंगे कि मुझे इस उम्र में पवार साहेब को नहीं छोड़ना चाहिए था। मैंने साहेब को नहीं छोड़ा। मैंने उनसे कहा कि यह सभी विधायकों की राय है कि हमें (शिंदे) सरकार में शामिल होना चाहिए क्योंकि हमने (महा विकास आघाडी सरकार के तहत) जिन कई विकास कार्यों को मंजूरी दी थी, उन्हें रोक दिया गया है। विधायकों ने (सरकार में शामिल होने के प्रस्ताव के समर्थन में) हस्ताक्षर भी किए।’’
राकांपा प्रमुख ने जनसभा में एकत्रित लोगों से समर्थन मांगते हुए कहा कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में शरद पवार और उनकी बेटी एवं सांसद सुप्रिया सुले का समर्थन किया था। इस साल के लोकसभा चुनाव में सुले ने बारामती से अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को आसानी से हरा दिया था। अजित पवार ने कहा, ‘‘अब, मुझे समर्थन दीजिए। मैं यहां कल एक रैली में भाग लूंगा और पवार साहेब भी एक रैली करेंगे। मैं आपके सामने अपने विचार रखूंगा। आप फैसला करिए कि भावी पीढ़ियों की खातिर किसे वोट करना है।’’ बीस नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में अजित पवार का बारामती में राकांपा (एसपी) उम्मीदवार एवं अपने भतीजे युगेंद्र पवार से मुकाबला होगा। अजित पवार 1991 से बारामती से विधायक रहे हैं।