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हिंगोली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र महाराष्ट्र के 48 संसदीय क्षेत्रों में से एक है। जिस पर 2024 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में क्षेत्र के मतदाताओं ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नागेश बापूराव पाटिल असितकर को विजयी बनाकर संसद में पहुंचाया है। यहां के लोगों ने पहली बार 1977 में अपना सांसद चुनने के लिए मतदान किया। इस संसदीय क्षेत्र में हदगांव विधानसभा क्षेत्र समेत 6 विधानसभा सीटों को समाहित किया गया है। जिला मुख्यालय होने के चलते यहां पर सरकारी विभाग के सभी बड़े दफ्तर हैं। यहां का औंढा नागनाथ में स्थित ज्योतिर्लिंग धार्मिक दृष्टि से लोगों में बेहद प्रचलित है। प्राचीन मल्लिनाथ दिगंबर जैन मंदिर यहां का प्रमुख धार्मिक स्थल है।
यह लोकसभा क्षेत्र राज्य के यवतमाल, नांदेड़ और हिंगोली जिलों को मिलाकर बनाया गया है। जिसके अंतर्गत उमरखेड, किनवत, हदगांव, वसमत, कलमनूरी और हिंगोली विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2019 में हुए अंतिम विधानसभा चुनाव में तीन सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थीं। तो वहीं एक-एक सीट पर कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना अपना उम्मीदवार जिताने में सफल रही थी। हिंगोली लोकसभा क्षेत्र की उमरखेड विधानसभा सीट पर 1962 में राज्य के गठन के साथ ही भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच वर्चस्व की जंग रही है। यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है।
पिछले 10 साल से बीजेपी का यहां कब्जा है जिसके नेता नामदेव सासने इस क्षेत्र से 2019 के चुनाव में विधायक चुने गए थे। तो वहीं, 2009 में कांग्रेस चुनाव जीतने में सफल रही थी। हिंगोली लोकसभा क्षेत्र की किनवत विधानसभा सीट पर अब तक शिवसेना अपना खाता खोलने में कामयाब नहीं हो सकी है। 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के भीमराव रामजी केराम इस क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। उनके पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदीप हेमसिंह जाधव ने यहां लगातार 15 साल तक राज किया था। देश में हुए पहले आम चुनाव के बाद से ही अस्तित्व में आयी हदगांव विधानसभा सीट को राज्य में शिवसेना के सबसे मजबूत गढ़ों में से एक माना जाता है। जहां पार्टी 1995 के बाद से 2014 तक सिर्फ 2009 का ही चुनाव हारी थी।
हालांकि, 2019 में हुए चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे माधवरावजी पाटील जवलगावकर चुनाव जीतने में सफल रहे थे। शिवसेना के सुभाष बापूराव वानखेड़े भी इस क्षेत्र से लगातार 15 साल विधायक रह चुके हैं। महाराष्ट्र राज्य की विधानसभा में 92 नंबर से जाने जानीवाली वसमत विधानसभा सीट पर 1990 से लेकर 2019 के चुनाव तक सिर्फ लड़ाई शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच ही देखी जाती रही है। जिसके तहत शिवसेना ने चार बार तो वहीं एनसीपी ने भी तीन बार जीत दर्ज की है। फिलहाल एनसीपी के चंद्रकांत नवघरे बतौर विधायक इस क्षेत्र के लोगों की आवाज राज्य की विधानसभा में पहुंच रहे हैं।
हिंगोली लोकसभा क्षेत्र के कलमनूरी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने अब तक भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों को अपनी सेवा करने का अवसर दिया है। जहां पिछले विधानसभा चुनाव में शिवसेना के संतोष बांगर ने एनसीपी के 10 साल के वर्चस्व को खत्म करते हुए जीत हासिल की थी। इस लोकसभा क्षेत्र की हिंगोली विधानसभा सीट पर पाटिल परिवार का 1985 से लेकर 2009 तक लगातार दबदबा कायम रहा है। जहां उनके सदस्यों कांग्रेस और बीजेपी के टिकट पर अलग-अलग बार जीत दर्ज की थी। तो वहीं, वर्तमान में बीजेपी के तानाजी मुटकुले ने उसके इस वर्चस्व को तोड़ते हुए 2014 में सफलता प्राप्त की थी। उनके पहले कांग्रेस के बाबूराव पाटिल भी लगातार 15 साल तक विधायक रह चुके हैं।