इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कथित बलात्कार के एक मामले में आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) के अपर पुलिस अधीक्षक राहुल श्रीवास्तव और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी पर रोक बुधवार को 19 जनवरी तक के लिए बढ़ा दी।
इससे पहले, अदालत ने मंगलवार को दोनों को राहत देते हुए राज्य सरकार के वकील को बुधवार तक उनके खिलाफ सुबूत पेश करने को कहा था।
न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति एन. के. जौहरी की पीठ ने आरोपी राहुल और उनकी पत्नी द्वारा दायर याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया।
राहुल और उनकी पत्नी ने अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे को चुनौती देते हुए आग्रह किया है कि उनके खिलाफ बलात्कार का कोई मामला नहीं बनाया जाए।
पिछली छह जनवरी को गोमतीनगर विस्तार थाने में मुकदमा दर्ज कराते हुए पीड़िता ने आरोप लगाया था कि राहुल ने उसके साथ बलात्कार किया था और उसकी पत्नी ने उसे धमकी दी थी।
अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे को चुनौती देते हुए राहुल और उनकी पत्नी ने अनुरोध किया है कि रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों से, विशेष रूप से पीड़िता द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति को 13 अक्टूबर 2023 को लिखे गए पत्र से यह स्पष्ट है कि पीड़िता राहुल के साथ रिश्ते में नहीं थी लेकिन 27 अक्टूबर 2023 को पुलिस महानिदेशक को संबोधित अगले पत्र में पीड़िता ने कहा है कि वह 2019 से 2023 तक राहुल के साथ रिश्ते में थी।
राहुल की पत्नी लखनऊ विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।
याचिकाकर्ताओं ने कहा, इस साल छह जनवरी को पीड़िता द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे में आरोपी राहुल द्वारा 2019 में किसी समय बलात्कार की बात कही गई है। यह मुकदमा चार साल से अधिक समय के बाद दर्ज कराया गया है।
याचिकाकर्ताओं की याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के वकील ने पुलिस महानिदेशक के आदेश पर की गई जांच के बारे में पीठ को बताया।
उन्होंने पीठ को बताया कि इसी साल दो जनवरी को मामले की जांच रिपोर्ट का निष्कर्ष यह है कि बलात्कार और ब्लैकमेलिंग का कोई सुबूत नहीं मिला। हालांकि, आरोपी राहुल और पीड़िता के बीच संबंध के प्रमाण हैं।