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पेट्रोल बम विवाद: तमिलनाडु के राजभवन ने पुलिस पर निष्पक्ष जांच को बाधित करने का आरोप लगाया

तमिलनाडु राजभवन ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि पुलिस ने पेट्रोल बम मामले में उसकी शिकायतों को दर्ज नहीं किया और शुरू होने से पहले ही निष्पक्ष जांच का ‘अंत कर दिया’ गया।
राजभवन ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने ‘हमले’ की घटना को साधारण तोड़फोड़ के कृत्य के रूप में दिखाकर हल्का कर दिया और विस्तृत पूछताछ नहीं की।
सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने बुधवार की घटना को निंदनीय करार देते हुए कहा कि सरकार कभी भी ऐसी अप्रिय घटनाओं की अनुमति नहीं देगी क्योंकि इससे शासन की बदनामी होगी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मामले की राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जांच कराने की मांग की है।
तमिलनाडु राजभवन की ओर से ‘एक्स’ पर कहा गया,‘‘ हमले को लेकर राजभवन की शिकायत को पुलिस ने दर्ज नहीं किया।

पुलिस ने हमले को साधारण तोड़फोड़ के कृत्य के रूप में दिखा दिया। पुलिस ने आननफानन में आरोपी को गिरफ्तार किया और आधी रात को मजिस्ट्रेट को जगाकर आरोपी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। विस्तृत पूछताछ नहीं की गई जिससे हमले के पीछे मौजूद लोगों का पर्दाफाश हो सकता था। शुरू होने से पहले ही निष्पक्ष जांच का ‘अंत कर दिया’ गया।’’
बयालिस वर्षीय एक व्यक्ति ने बुधवार को यहां राजभवन के मुख्य द्वार के सामने स्थानीय इलाके में पेट्रोल बम फेंका था। आरोपी व्यक्ति के विरुद्ध पहले से कई मामले लंबित हैं।
राज्य सरकार की आलोचना करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री एल. मुरुगन और भाजपा विधायक एवं पार्टी की महिला मोर्चा प्रमुख वनाथी श्रीनिवासन ने एनआईए जांच की मांग की।

श्रीनिवासन ने कहा कि मामला एनआईए या केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा जाना चाहिए क्योंकि तमिलनाडु पुलिस ने सत्तारूढ़ द्रमुक से जुड़े लोगों के आदेश पर काम किया है। कानून मंत्री एस. रेगुपति ने कहा कि यह घटना निंदनीय है और राज्य सरकार कभी भी तमिलनाडु में ऐसी अप्रिय घटना नहीं होने देगी क्योंकि इससे सरकार की ही बदनामी होगी।
मंत्री ने आरोप लगाया कि राज्यपाल आर. एन. रवि ने द्रमुक शासन के खिलाफ ‘नफरत’ भड़काई है और वह सरकार के खिलाफ एक विपक्षी नेता की तरह अभियान चला रहे हैं।

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