पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शांतिनिकेतन में विश्वभारती विश्वविद्यालय में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का उल्लेख करने वाली पट्टिकाओं पर रवींद्रनाथ टैगोर का नाम अंकित न किए जाने पर बृहस्पतिवार को प्राधिकारियों की आलोचना की और मुद्दे पर व्यापक प्रदर्शन की चेतावनी दी।
बनर्जी ने कहा कि यदि शुक्रवार तक पट्टिकाएं नहीं बदली गईं तो उनकी पार्टी के कार्यकर्ता आंदोलन शुरू कर देंगे।
मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह केवल टैगोर के चलते है कि शांतिनिकेतन को यूनेस्को दर्जा मिला है और आपने पट्टिकाओं से उनका नाम हटा दिया। हम दुर्गा पूजा के कारण चुप थे। यदि आप पट्टिकाएं नहीं हटाते हैं और नोबेल पुरस्कार विजेता के नाम के साथ नयी पट्टिकाएं कल सुबह 10 बजे तक नहीं लगाते हैं तो हमारे लोग प्रदर्शन शुरू करेंगे।’’
विश्वविद्यालय के प्राधिकारियों द्वारा संगमरमर की पट्टिकाएं लगाए जाने के बाद एक बड़ा विवाद शुरू हो गया था। केंद्रीय विश्वविद्यालय के विशाल परिसर में विभिन्न स्थानों पर स्थापित पट्टिकाओं पर विश्वविद्यालय के पदेन कुलाधिपति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कुलपति विद्युत चक्रवर्ती के नाम उल्लेखित हैं, लेकिन गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का उल्लेख नहीं है, जिन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
विश्व भारती विश्वविद्यालय ने बुधवार को कहा था कि शांतिनिकेतन को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दर्शाने वाली जिस पट्टिका पर विवाद हुआ है, वह इस स्थल को चिह्नित करने के लिए सिर्फ एक अस्थायी पट्टिका है।
विश्व भारती की प्रवक्ता महुआ बंद्योपाध्याय ने पीटीआई- से कहा था, यह धरोहर स्थल को चिह्नित करने के लिए बनाई गई पूरी तरह से एक अस्थायी संरचना है।
विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ शिक्षक ने कहा कि शांतिनिकेतन को यूनेस्को की ओर से 17 सितंबर को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मंजूरी दिए जाने के बाद इस केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थान के परिसर में ऐसी तीन पट्टिकाएं लगाई गई हैं। यूनेस्को ने शांतिनिकेतन की स्थापना के लिए प्रसिद्ध कवि और दार्शनिक रवींद्रनाथ टैगोर को श्रेय दिया है जो 20वीं शताब्दी की शुरुआत के ब्रिटिश वास्तुशिल्प और यूरोपीय आधुनिकतावाद से अलग है।