दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की अध्यक्ष के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की वरिष्ठ अधिकारी निधि छिब्बर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके (छिब्बर के) पास इस पद के लिए योग्यता मौजूद है।
अदालत ने कहा कि वह अधिकार पृच्छा (पूछने का अधिकार) रिट (परमादेश) जारी करने के पक्ष में नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ता ने प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनाया है तथा छिब्बर सीबीएसई अध्यक्ष के पद पर नियुक्त होने के योग्य हैं।
न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा कि ‘इंडिपेंडेंट स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया’ की याचिका ‘‘कानून का घोर दुरुपयोग’’ है।
अधिकार पृच्छा रिट उन मामलों में जारी की जाती है, जहां अदालत द्वारा अपने रिट क्षेत्राधिकार के तहत यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि सार्वजनिक पद संभालने वाले व्यक्ति के पास उस पद पर नियुक्त होने के लिए अपेक्षित योग्यता नहीं है।
उक्त रिट अयोग्य व्यक्ति को संबंधित पद पर आसीन होने से रोकने के लिए अदालतों द्वारा जारी की जाती है।
उच्च न्यायालय ने कहा, मौजूदा मामले में, यह अदालत अधिकार पृच्छा रिट जारी करने की इच्छुक नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ता के वकील द्वारा प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनाया गया है…।
अदालत ने उस याचिका पर आदेश पारित किया, जिसमें दावा किया गया था कि छिब्बर को नौकरशाही में फेरबदल के जरिये नियुक्त किया गया है और वह इस पद पर नियुक्ति के लिए आवश्यक नियम और शर्तें पूरी नहीं करती हैं।
याचिकाकर्ता ने अदालत से अधिकारी की योग्यता और अनुभव से संबंधित संपूर्ण रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश देने का आग्रह किया।
अदालत के निर्देश का पालन करते हुए छिब्बर ने सीबीएसई अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए जरूरी योग्यता से संबंधित अपने दस्तावेज दाखिल किए और यह साबित करने के लिए कुछ दस्तावेजों का भी हवाला दिया कि उन्होंने निदेशक के कैडर में शिक्षा विभाग में 48 महीने तक काम किया है।
छिब्बर के वकील ने कहा कि याचिका में उनकी योग्यता को लेकर लगाया गया यह आरोप गलत है कि उनके पास शिक्षा के क्षेत्र में न्यूनतम तीन साल का अनुभव नहीं है।