प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नयी दिल्ली में ‘कृत्रिम मेधा (एआई) पर वैश्विक साझेदारी’ सम्मेलन में कहा कि कृत्रिम मेधा पर हमें बहुत सावधानी से चलना होगा। उन्होंने कहा कि भारत एआई का उपयोग करके स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव लाने पर काम कर रहा। एआई सतत विकास में भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि AI 21वीं सदी में विकास का सबसे बड़ा टूल बन सकता है और 21वीं सदी को तबाह करने में भी सबसे बड़ी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि डीप फेक का चैलेंज पूरी दुनिया के सामने है, इसके अलावा साइबर सिक्योरिटी, डेटा थेफ्ट, आतंकियों के हाथ में AI टूल्स के आने का भी बहुत बड़ा खतरा है।
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मोदी ने कहा कि आज, भारत एआई और उसके उपसमुच्चय के क्षेत्र में अग्रणी है। हम एआई के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में, हमने कृषि में एक एआई चेक पोर्टल लॉन्च किया है, जो किसानों को उनके आवेदन की स्थिति की जांच करने, भुगतान विवरण तक पहुंचने और सरकारी योजनाओं के बारे में आसानी से सूचित रहने की सुविधा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भारत में, हम एआई नवाचार की भावना देख रहे हैं। आज भारत AI प्रतिभा और AI से संबंधित नए विचारों में सबसे प्रमुख खिलाड़ी है। भारत के युवा तकनीकी विशेषज्ञ और शोधकर्ता सीमाएं तलाश रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में हमारा विकास मंत्र है, सबका साथ, सबका विकास। हमने ‘एआई फॉर ऑल’ की भावना से प्रेरित होकर सरकारी नीतियां और कार्यक्रम तैयार किए हैं। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास सामाजिक विकास और समावेशी विकास के लिए एआई की क्षमताओं का पूरा लाभ उठाना है। भारत एआई के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि आज, भारत एआई और उसके उपसमुच्चय के क्षेत्र में अग्रणी है। हम एआई के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में, हमने कृषि में एक एआई चेक पोर्टल लॉन्च किया है, जो किसानों को उनके आवेदन की स्थिति की जांच करने, भुगतान विवरण तक पहुंचने और सरकारी योजनाओं के बारे में आसानी से सूचित रहने की सुविधा प्रदान करता है।
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नरेंद्र मोदी ने कहा कि एआई की विकास यात्रा जितनी अधिक समावेशी होगी, समाज उतने ही बेहतर परिणाम प्राप्त करेगा। पिछले दशकों से सीखते हुए जहां प्रौद्योगिकी तक पहुंच में असमानता थी, अब हमें समाज को इस तरह के नुकसान से बचाना चाहिए। जब लोकतांत्रिक मूल्य प्रौद्योगिकी से जुड़ते हैं, तो यह समावेशिता के लिए गुणक के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि AI के कई सकारात्मक प्रभाव हैं, लेकिन इसके कई नकारात्मक प्रभाव भी हैं जो चिंता का विषय है। 21वीं सदी के विकास में AI सबसे बड़ा टूल बन सकता है। लेकिन ये 21वीं सदी को तबाह करने में सबसे बड़ी भूमिका भी निभा सकता है… डीपफेक पूरी दुनिया के लिए एक चुनौती है… AI टूल्स का आतंकियों के हाथ में जाना भी एक बड़ा खतरा है. यदि आतंकवादी संगठनों को एआई हथियार मिलते हैं, तो इसका वैश्विक सुरक्षा पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा… हमें योजना बनाने की जरूरत है कि इससे कैसे निपटा जाए।