प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को विपक्ष पर राम मंदिर को ‘राजनीतिक हथियार’ के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में, प्रधान मंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधा और अयोध्या में मंदिर के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ या अभिषेक समारोह में शामिल नहीं होने के उसके फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जब हमारा जन्म भी नहीं हुआ था, जब हमारी पार्टी का जन्म भी नहीं हुआ था। उस वक्त ये मामला कोर्ट में निपट सकता था। समस्या का कोई समाधान हो सकता था।
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मोदी ने कहा कि जब भारत का बंटवारा हुआ, तो बंटवारे के वक्त वे ये तय कर सकते थे कि ऐसा-ऐसा करेंगे। ऐसा नहीं किया गया. क्यों? क्योंकि ये उनके हाथ में एक हथियार की तरह है, वोट बैंक की राजनीति का हथियार है। कांग्रेस और विपक्षी दलों पर अदालत के फैसले में देरी करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ”यहां तक कि जब मामला अदालत में चल रहा था, तब भी उन्होंने अदालत के फैसले में देरी करने की कोशिश की। क्यों? क्योंकि उनके लिए, यह एक राजनीतिक हथियार था, वे कहते रहे कि राम मंदिर बनाएंगे, तुम्हें मार डालेंगे।”
नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह वोट बैंक को खुश करने का एक तरीका था। अब क्या हुआ? राम मंदिर बन गया, कोई अप्रिय घटना नहीं हुई और वो मुद्दा उनके हाथ से निकल गया। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू पर परोक्ष हमला बोलते हुए मोदी ने कहा, ”दूसरा, उनका स्वभाव। देखिए सोमनाथ मंदिर से लेकर अब तक की घटनाएं। सोमनाथ मंदिर से क्या समस्या थी? डॉ. राजेंद्र बाबू जाना चाहते थे। न कोई जनसंघ था, न कोई भाजपा। लेकिन उन्होंने उसे जाने से मना कर दिया।”
प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकराने के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए मोदी ने कहा आपको गर्व होना चाहिए कि जिन लोगों ने राम मंदिर बनाया है, जिन्होंने इसके लिए संघर्ष भी किया है, वे आपके सारे पाप भूल जाते हैं। वे आपके घर आते हैं और आपको आमंत्रित करते हैं। और वे नई शुरुआत करना चाहते हैं। आप भी उन्हें अस्वीकार करें। उन्होंने कहा कि फिर तो ऐसा लगता है कि वोट बैंक ने आपको लाचार बना दिया है। और उस वोट बैंक की वजह से ऐसी चीजें होती रहती हैं। और ये…किसी को नीचा दिखाना, किसी का अपमान करना, ये उनका स्वभाव है।
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मोदी ने कहा कि जहां तक रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की बात है तो उन्हें न्योता मिला, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया… जबकि उन्हें गर्व होना चाहिए था। इससे स्पष्ट होता है कि उनके लिए वोटबैंक ही सबसे जरूरी है। ये किसी को नीचा दिखाना अपना अधिकार मानते हैं। लेकिन मैं कहता हूं- ये तो नामदार हैं और मैं कामदार हूं।