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प्रधानमंत्री मोदी को मणिपुर के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करना चाहिए: कांग्रेस नेता गोगोई

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मणिपुर के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करना चाहिए और उनकी पार्टी उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनकर खुशी महसूस करेगी।
हिंसाग्रस्त मणिपुर के विभिन्न हिस्सों का दौरा करने के बाद विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य सांसदों के साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए गोगोई ने कहा कि वे नयी दिल्ली लौटकर संसद में उन भयावह घटनाओं को सभी के सामने रखेंगे जिसकी जानकारी हमें प्राप्त हुई।
गोगोई ने कहा, ‘‘आज का दिन हम सभी के लिए मुश्किल था। हम चार राहत शिविरों में गए और लोगों की पीड़ा सुनी। महिलाएं अपनी आपबीती सुनाकर रो पड़ीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज रात, हमने जो देखा है उसपर चर्चा करेंगे और कल राज्यपाल से मिलेंगे।

हमने जो यहां पर देखा है उसके आधार पर उन्हें ज्ञापन सौंपेगे। हम ये कहानियां दिल्ली भी लेकर जाएंगे और संसद में बताएंगे।’’
गोगोई ने कहा कि संसद में अब मणिपुर हिंसा पर चर्चा होनी चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने आरोप लगाया है कि विपक्षी पार्टियां फोटों खिंचवाने गई हैं। इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ भाजपा को मणिपुर आने से किसने रोका है? पूर्वोत्तर जनतांत्रिक गठबंधन (एनईडीए) कहा हैं? वे क्या कर रहे हैं? यह ‘इंडिया’ के दल है जो लगातार राज्य में आ रहे हैं।’’
तृणमूल कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि यह भरोसा देने के लिए है कि पूरा विपक्ष मणिपुर के साथ है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो)सांसद महुआ माझी ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह दावा करते रहे हैं कि मणिपुर में शांति लौट आई है लेकिन ‘‘शांति कहा हैं?राज्य अब भी जल रहा है।’’

द्रविड़ मुनेत्र कषगम(द्रमुक) सांसद कनिमोई ने कहा कि लोग महसूस कर रहे हैं कि सरकार ने उन्हें छोड़ दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘वे महसूस कर रहे हैं कि सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी और हिंसा जारी रहेगी। उन्हें मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के प्रति विश्वास नहीं है।’’
‘ इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के प्रतिनिधिमंडल में 21 सांसद है जो जमीनी हालात का आकलन करने के लिए दो दिवसीय मणिपुर दौर पर हैं।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

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