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प्रधानमंत्री मोदी ने जी20 देशों से जनता की भलाई के लिए नवाचार का आग्रह किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जी20 देशों से जनता की भलाई के लिए प्रौद्योगिकी की “समान उपलब्धता” और नवाचार को सभी के वास्ते सुलभ करने का आग्रह किया।
गुजरात की राजधानी गांधीनगर में जी20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक को वीडियो लिंक के जरिए संबोधित करते हुए उन्होंने सभी से अगली स्वास्थ्य आपात स्थिति को रोकने, उसके लिए तैयारी करने और प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।
उन्होंने दर्शकों को बताया कि भारत वैश्विक समय सीमा से पहले ही क्षय रोग (टीबी) को खत्म कर देगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “वैश्विक स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल विभिन्न डिजिटल स्वास्थ्य पहलों को एक साझा मंच पर लाएगी। आइए अपने नवाचारों को जनता की भलाई के लिए खोलें। आइए हम वित्त पोषण (फंडिंग) के दोहराव से बचें।”

स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए सुलभ बनाने में डिजिटल समाधानों और नवाचारों की भूमिका पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि वे हमारे प्रयासों को न्यायसंगत और समावेशी बनाने के लिए एक उपयोगी साधन हैं क्योंकि दूर-दराज के मरीज टेली-मेडिसिन के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, “आइए हम प्रौद्योगिकी की समान उपलब्धता को सुविधाजनक बनाएं। यह पहल वैश्विक दक्षिण के देशों को स्वास्थ्य सेवा वितरण में अंतर को कम करने की अनुमति देगी। यह हमें सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) प्राप्त करने के हमारे लक्ष्य के एक कदम और करीब ले जाएगी।”
उन्होंने जी20 सदस्यों को बताया कि भारत लोगों की भागीदारी की मदद से वैश्विक समय सीमा से पहले ही क्षय रोग (टीबी) को खत्म कर देगा।
स्वास्थ्य पहल की सफलता में एक प्रमुख कारक के रूप में सार्वजनिक भागीदारी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत के कुष्ठ उन्मूलन अभियान की सफलता के मुख्य कारणों में से एक था।

उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलन पर देश का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम सार्वजनिक भागीदारी को भी प्रोत्साहित करता है।
मोदी ने कहा, “हमने देश के लोगों से टीबी उन्मूलन के लिए नि-क्षय मित्र बनने का आह्वान किया है। इसके तहत लगभग 10 लाख मरीजों को नागरिकों ने गोद लिया है। अब हम 2030 के वैश्विक लक्ष्य से काफी पहले टीबी उन्मूलन हासिल करने की राह पर हैं।”
लचीलेपन को कोविड-19 महामारी के दौरान सीखे गए सबसे बड़े सबक में से एक बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों को लचीला होना चाहिए।
मोदी ने कहा, “हमें अगली स्वास्थ्य आपात स्थिति को रोकने, तैयारी करने और प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार रहना चाहिए। आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। जैसा कि हमने महामारी के दौरान देखा, दुनिया के एक हिस्से में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बहुत कम समय में दुनिया के अन्य सभी हिस्सों को प्रभावित कर सकती हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी स्वास्थ्य को इतना महत्वपूर्ण मुद्दा मानते थे कि उन्होंने इस विषय पर स्वास्थ्य की कुंजी नामक पुस्तक लिखी।
उन्होंने कहा, “कोविड-19 महामारी ने हमें याद दिलाया कि स्वास्थ्य हमारे निर्णयों के केंद्र में होना चाहिए और इसने हमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग का मूल्य भी दिखाया, चाहे वह दवा और वैक्सीन वितरण में हो या लोगों को घर वापस लाने में हो।”
प्रधानमंत्री ने दर्शकों को बताया कि महामारी के दौरान ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के तहत, भारत ने 100 से अधिक देशों को टीके की 30 करोड़ खुराक पहुंचाई, जिनमें वैश्विक दक्षिण के कई देश भी शामिल हैं।

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