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प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी डॉ. पूजा खेडकर फेक सर्टिफिकेट से लेकर कई अन्य मामलों के कारण चर्चा में आ गई है। प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी डॉ. पूजा खेडकर पर कई गंभीर आरोप लगाए जा रहे है। उनपर फेक डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट से लेकर जाति प्रमाण पत्र देने का आरोप है। इसी बीच लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) ने महाराष्ट्र सरकार से प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी डॉ. पूजा खेडकर के रुके हुए प्रशिक्षण के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है।
प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी डॉ. पूजा खेडकर ने आईएएस अधिकारी बनने के लिए आंशिक अंधेपन का प्रमाण पत्र दिया था। पद पाने के लिए उन पर ओबीसी जाति प्रमाण पत्र बनवाने के भी आरोप लगे हैं। अब सिविल सेवा परीक्षा में प्रवेश के उनके प्रयासों के बारे में नई जानकारी सामने आई है। यह भी पता चला है कि उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग को सौंपे गए हलफनामे में खुद को दृष्टिहीन और मानसिक रूप से बीमार बताया है।
यूपीएससी ने खेडकर के चयन को चुनौती दी
यूपीएससी ने खेडकर के चयन को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में चुनौती दी थी। चौंकाने वाली बात यह है कि उनके एमआर प्रमाणपत्र को स्वीकार कर लिया गया, जिसके कारण उन्हें आईएएस अधिकारी के रूप में नियुक्ति मिल गई। विकलांगता दावों के अलावा, पूजा खेडकर पर गैर-क्रीमी लेयर होने का भी आरोप लगाया गया है।
यह भी उल्लेख किया गया कि पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर ने अपने चयन हलफनामे में घोषित किया था कि उनकी संपत्ति 40 करोड़ रुपये की है। सवाल उठाया गया है कि वह ओबीसी गैर-आपराधिक परत के लिए कैसे योग्य हो गई? दिलीप खेडकर ने वंचित बहुजन अघाड़ी से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन पूजा खेडकर गैर-आपराधिक परत के लिए कैसे योग्य होंगी? पूजा खेडकर ने यह भी खुलासा किया कि वह मानसिक रूप से बीमार हैं। उन्होंने मेडिकल रिसर्च में भाग लेने से भी इनकार कर दिया।