राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत के लोग देश को 2047 तक विकसित बनाने की दिशा में तेजी से बढ़ना चाहते हैं और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) एवं अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों को इस लक्ष्य की प्राप्ति में योगदान देना चाहिए।
कैग द्वारा आयोजित तृतीय ‘ऑडिट दिवस’ समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने विभिन्न कदम उठाने के लिए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की तारीफ भी की। इनमें डाटा प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र की स्थापना शामिल है जिसमें डिजिटल प्रौद्योगिकी और अन्य आधुनिक तरीके अपनाये जा रहे हैं।
मुर्मू ने कहा, ‘‘आज, हमारे देशवासी 2047 तक विकसित भारत बनाने की दिशा में तेजी से बढ़ना चाहते हैं। कैग समेत देश के सभी महत्वपूर्ण संस्थानों और समुदायों को इस लक्ष्य को पाने के लिए योगदान देना होगा।’’
देश में 16 नवंबर, 1860 को प्रथम महालेखा परीक्षक की नियुक्ति और कैग के गठन के महत्व को रेखांकित करते हुए 2021 से हर साल आज के दिन ‘ऑडिट दिवस’ मनाया जाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कैग की पूरी टीम से एक नियंत्रक और एक परीक्षक के रूप में योगदान की अपेक्षा की जाती है।
उन्होंने कहा कि कैग की टीम भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज की वैश्विक प्रतिस्पर्धा वाली बाजार प्रणाली का प्रभाव सभी संस्थानों और उद्यमों के लिए प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि देश के सभी उद्यमों और गतिविधियों में नैतिकता के आधार पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता लगातार बढ़नी चाहिए।
उन्होंने कहा कि वित्तीय औचित्य और वैधता सुनिश्चित करते हुए त्वरित वृद्धि और विकास के राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधाओं को दूर करना कैग सहित सुशासन के लिए जिम्मेदार प्रत्येक संस्थान और व्यक्ति के प्रभावी योगदान की कसौटी है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लेखा परीक्षकों को सुशासन के सूत्रधार के रूप में माना जाना चाहिए, न कि आलोचकों के रूप में। उन्होंने कहा कि उन्हें मार्गदर्शक माना जाना चाहिए जिनकी जांच-पड़ताल हमें सही रास्ते पर चलना सिखाती है।
कैग गिरीश चंद्र मुर्मू ने कहा कि डिजिटल तकनीक के परिप्रेक्ष्य में शासन में आमूल-चूल बदलाव को देखते हुए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने भी प्रौद्योगिकी को अपनाया है।