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हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए छात्रों की ‘मनोवैज्ञानिक जांच’ भी जरूरी

उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर में स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए इस वर्ष से अभ्यर्थियों के सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण के साथ ही उनकी ‘मनोवैज्ञानिक जांच’ भी अनिवार्य कर दी गई है।
इससे पहले, कॉलेज में एमबीबीएस और एमडी-एमएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए केवल सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण ही किया जाता था, जिसमें सभी अभ्यर्थियों की नाक, कान-गला, नेत्र रोग, मेडिसिन रेडियोलॉजी और पैथेलोजी जांच शामिल थी।

वहीं, छात्राओं को स्त्री रोग विशेषज्ञों की जांच से भी गुजरना पड़ता था।
हालांकि, इस वर्ष से मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए छात्रों की मनोवैज्ञानिक जांच भी जरूरी कर दी गई है। संस्थान का कहना है कि मनोवैज्ञानिक जांच का उद्देश्य केवल किसी मानसिक समस्या से ग्रस्त छात्र को समय पर इलाज उपलब्ध कराना है, ताकि उसकी पढ़ाई पर असर न पड़े।
देहरादून में राजकीय मेडिकल कॉलेज के जनसंपर्क अधिकारी आलोक उप्रेती ने बताया कि मनोवैज्ञानिक जांच की मदद से छात्रों के व्यवहार, व्यक्तित्व और कार्य क्षमता का अंदाजा लगाया जाएगा।

उन्होंने कहा, “इस जांच का मकसद डिप्रेशन (अवसाद) या किसी अन्य मानसिक समस्या से ग्रस्त विद्यार्थियों को समय पर इलाज मुहैया कराना है, ताकि उनकी पढ़ाई किसी भी तरह से प्रभावित न हो।”
सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2004 से एमबीबीएस पाठ्यक्रम संचालित कर रहे राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में प्रतिवर्ष तीन-चार ऐसे विद्यार्थी प्रवेश लेते रहे हैं, जो किसी प्रकार की मानसिक परेशानी से ग्रस्त होते हैं।

सूत्रों ने कहा कि इस कारण ऐसे छात्र निर्धारित समय पर पाठ्यक्रम पूरा नहीं कर पाते और उनमें से कुछ को एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने में पांच से छह वर्ष तक लग जाते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, पिछले वर्ष एक विद्यार्थी का मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं होने पर उसके अभिभावकों को कमरा लेकर साथ में रहना पड़ा था, जिसके बाद उसकी पढ़ाई पूरी हो पाई थी।
नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण भी कई छात्र मानसिक रूप से अस्वस्थ हो जाते हैं।
हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस और एमडी एवं एमएस की कुल 100 सीटें हैं, जिनके लिए प्रवेश प्रक्रिया जारी है।
उत्तराखंड में चार राजकीय और तीन निजी मेडिकल कॉलेज हैं।

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