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यूपी विधानसभा उप चुनाव में जिम्मेदारी से पीछे हटे राहुल गांधी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस की जड़े मजबूत करने में लगे राहुल गांधी ने एक बार फिर दिखा दिया है कि उनकी कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। संभव इसीलिये उन्होंने राज्य की 10 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव को लेकर कांग्रेस के सभी पांच सांसदों को तो अलग-अगल विधान सभा क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंप दी, लेकिन राहुल गांधी ने अपने कंधों पर कोई जिम्मेदारी नहीं ली। गौरतलब हो, विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस दस सीटों में से पांच पर स्वयं चुनाव लड़ना चाहती है और पांच सीटें समाजवादी पार्टी के लिये उसने छोड़ने का मन बनाया है।
इसी के अनुसार कांग्रेस आलाकमान ने पांच सीटों पर अपने सांसदों की पर्यवेक्षकों के रूप में नियुक्ति कर दी है। इसी के तहत अमेठी के सांसद किशोरी लाल शर्मा को सीसामऊ, सांसद इमरान मसूद को मीरापुर, सांसद राकेश राठौर को कुन्दरकी, सांसद तनुज पुनिया को गाजियाबाद व सांसद उज्जवल रमन सिंह को फूलपुर का पर्यवेक्षक बनाया गया है। जबकि राहुल गांधी चाहते तो फूलपुर विधान सभा क्षेत्र की जिम्मेदारी स्वयं भी संभाल सकते थे। फूलपुर वह सीट है जहां से उनके पर नाना पंडित जवाहर लाल नेहरू सांसद रह चुके थे। इसी वजह से कांग्रेस आलाकमान ने समाजवादी पार्टी से फूलपुर की सीट की महत्ता को देखते हुए यहां से अपनी पार्टी के लिये समाजवादी पार्टी के सामने दावेदारी पेश की है।

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उत्तर प्रदेश कांग्रेस भी इस बात का कोई जबाव नहीं दे पा रहा है कि उप चुनाव में राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा कौन सभी भूमिका निभायेगें। बात यहीं तक सीमित नहीं है। भले ही राहुल गांधी ने वॉयनाड सीट छोड़कर रायबरेली से अपनी सांसदी तय कर ली है, लेकिन यूपी को लेकर राहुल गांधी के दिल की दूरियां कम नहीं हो पा रही हैं। अभी भी उनकी यूपी में कोई सक्रियता नहीं दिखाई दे रही है। वह रायबरेली तक तो फिर भी कभी कधार आ जाते हैं,लेकिन इससे बाहर यूपी में कहीं नहीं दिखाई पड़ते हैं। 
 
खैर, कांग्रेस आलाकमान ने जहां अपने पांच सांसदों के ऊपर उप चुनाव की जिम्मेदारी डाली है वहीं विधायक को भी फ्री नहीं छोड़ा है। इसी क्रम में कांगे्रस ने विधायक वीरेन्द्र चौधरी को मझवां, नसीमुद्दीन सिद्दीकी को कटेहरी, अखिलेश प्रताप सिंह को मिल्कीपुर, राजकुमार रावत को खैर व रामनाथ सिकरवार को करहल का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। इससे पहले समाजवादी पार्टी भी छह विधानसभा क्षेत्रों के पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर चुकी है।

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