लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि देश के युवा बेरोजगारी से पूरी तरह हतोत्साहित हो गए हैं और दावा किया कि भाजपा की “शिक्षा विरोधी मानसिकता” के कारण उनका भविष्य अध्यक्ष में है। पूर्व कांग्रेस प्रमुख की टिप्पणी एक मीडिया रिपोर्ट पर आई है, जिसमें दावा किया गया है कि 2024 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) से स्नातक होने वाले इंजीनियरों के वेतन में नियुक्ति में मंदी के कारण गिरावट आई है। गांधी ने अपने व्हाट्सअप चैनल पर कहा कि आर्थिक मंदी का दुष्परिणाम अब देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे आईआईटी को भी भुगतना पड़ रहा है। आईआईटी से प्लेसमेंट में लगातार गिरावट और वार्षिक पैकेज में गिरावट से युवाओं की हालत और खराब हो रही है, जो बेरोजगारी के चरम का सामना कर रहे हैं।
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कांग्रेस नेता ने दावा किया कि 2022 में 19% छात्रों को कैंपस प्लेसमेंट नहीं मिल सका और यही दर इस साल दोगुनी होकर 38% हो गई। गांधी ने कहा कि जब देश के सबसे प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों का यह हाल है तो बाकी संस्थानों की क्या दुर्दशा होगी। आज युवा बेरोजगारी से पूरी तरह हतोत्साहित है – माता-पिता पेशेवर शिक्षा प्राप्त करने के लिए लाखों खर्च कर रहे हैं, जबकि छात्र उच्च ब्याज दरों पर ऋण लेकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। फिर नौकरी या सामान्य आय न मिलना ही उनकी वित्तीय स्थिति में गिरावट का कारण बन रहा है।
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गांधी ने कहा कि यह भाजपा की “शिक्षा विरोधी” मानसिकता का परिणाम है, जिसके कारण इस देश के मेधावी युवाओं का भविष्य “अध्यक्ष” में है। क्या मोदी सरकार के पास भारत के मेहनती युवाओं को इस संकट से मुक्त कराने की कोई योजना है? उसने पूछा। गांधी ने कहा, विपक्ष अपनी पूरी ताकत से युवाओं की आवाज उठाना जारी रखेगा और इस ”अन्याय” के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराएगा।